प्रेग्नेंसी के दौरान दूसरी तिमाही नॉर्मल केस में आरामदायक होती है पर इस दौरान भी प्रेग्नेंसी से जुड़ी कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और लापरवाही बरतने पर भ्रूण को नुकसान भी हो सकता है इसलिए आपको हर दिन सावधानी बरतने की जरूरत है। इस लेख में हम दूसरी तिमाही के दौरान होने वाली समस्या और उससे बचने के तरीकों के बारे में चर्चा करेंगे। लखनऊ के झलकारीबाई अस्पताल की गाइनोकॉलोजिस्ट डॉ दीपा शर्मा ने बताया कि दूसरी तिमाही के दौरान भ्रूण का विकास हो रहा होता है, दूसरी तिमाही खत्म होने तक बेबी एक किलोग्राम का हो जाता है इसलिए इस समय भूख भी बढ़ती है जिसे ध्यान में रखते हुए संतुलित आहार लेने की जरूरत है।
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प्रेग्नेंसी के दौरान दूसरी तिमाही में होने वाली समस्याएं (Complications during second trimester)
- सिर दर्द
- ल्यूकोरिया
- टेस्ट बड बदलना
- चिड़चिड़ापन
- कब्ज
- पीठ दर्द
- सीने में जलन
- सांस फूलना
- आंखें धुंधली होना
- ज्यादा पेशाब आना
- स्ट्रेस बढ़ना
- बाल झड़ना
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प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही कैसी और कब होती है? (Second trimester of pregnancy)
प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही का मतलब है प्रेग्नेंसी के चौथे महीने से लेकर छठे महीने तक का समय। 9 महीने की प्रेग्नेंसी को तीन भाग में बांटा गया है। पहली तिमाही का मतलब है 1से 3 महीने, दूसरी तिमाही है 4 से 6 महीने और तीसरी तिमाही है 7 से 9 महीने का समय। दूसरी तिमाही यानी 4 से 6 महीने के समय को आप 13 से 28 सप्ताह भी बोल सकती हैं। दूसरी तिमाही वो समय होता है जब पेट बढ़ने लगता है और लोग आपको देखकर नोटिस करना शुरू करते हैं कि आप प्रेगनेंट हैं। डॉक्टरों का मानना है कि वैसे तो नॉर्मल केस में दूसरी तिमाही के दौरान कोई खास परेशानी नहीं होती पर लापरवाही के कारण दूसरी तिमाही के दौरान मिसकैरेज की संभावना बढ़ सकती है इसलिए आपको खास बातों का ख्याल करने की जरूरत है।
दूसरी तिमाही में आ सकती है सूजन की समस्या (Swelling during pregnancy)
प्रेग्नेंसी के दौरान दूसरी तिमाही में आपके पैरों में सूजन हो सकती है क्योंकि शिशु का वजन बढ़ने के कारण होने वाली मां के शरीर पर बोझ आता है, इस दौरान शिशु मां के शरीर से कैल्शियम भी लेता है ऐसे में अगर मां के शरीर में कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा नहीं होगी तो हड्डियों में दर्द हो सकता है। वजन बढ़ने के कारण पैर की नसों में सूजन आ जाती है और नसें नीले रंग की हो सकती हैं जिसे हम वैरिकोज नस के नाम से जानते हैं। इस समस्या से बचने के लिए आप एक ही जगह पर लंबे समय तक लेटने या बैठने से बचें। इसके अलावा छोटी लाल नस जिसे हम स्पाइडर नस कहते हैं वो भी देखने को मिल सकती हैं पर आपको एक्स्ट्रा फैट और गलत आहार लेने से बचना है।
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प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही के दौरान किन बातों का ध्यान रखें? (Necessary tips to follow during second trimester of pregnancy)
- प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में आपको व्यायाम जरूर करना है, इस स्टेज में पीठ में दर्द की समस्या हो सकती है इसलिए आपको प्लैंक करना चाहिए।
- प्लैंक करने के लिए आप घुटने के बल बैठें, कलाई को सीधे रखकर पैरों को सीधा करें, पेट और पीठ को सीधा रखें।
- प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में आपको ओमेगा 3 फैटी एसिड, अंडा, लो-फैट डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन करना है।
- प्रेग्नेंसी में आप कॉफी का सेवन अवॉइड करें, कैफीन का सेवन भ्रूण के लिए हानिकारक हो सकता है।
- प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में आप बाईं करवट सो सकती हैं, इससे ब्लड फ्लो बढ़ेगा।
- प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही या किसी भी अन्य स्टेज में आप पेट के बल सोने से बचें।
- दूसरी तिमाही में तेज सिर दर्द, पेट दर्द, सूजन होना प्रीक्लेम्पसिया के लक्षण हो सकते हैं, ये लक्षण नजर आने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें।
- प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही के दौरान आप कुछ जरूरी जांचों को जरूर करवाएं जैसे प्रोटीन की जांच, ग्लूकोज़ की जांच, ब्लड टेस्ट, अल्ट्रासाउंड आदि।
प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में हेल्दी डाइट लें, पानी का सेवन करें, डॉक्टर की सलाह पर चेकअप और एक्सरसाइज करती रहें तो आप और होने वाली संतान सेहतमंद रहेगी। ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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