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सुबह उठते ही जरूर पीना चाहिए गुनगुना पानी, आयुर्वेदाचार्य से जानें पानी पीने का सही तरीका

आयुर्वेद के अनुसार सुबह पानी पीना सेहत के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि आप ब्रह्म मुहूर्त में और सही मात्रा में पानी पिएं।
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सुबह उठते ही जरूर पीना चाहिए गुनगुना पानी, आयुर्वेदाचार्य से जानें पानी पीने का सही तरीका

How To Drink Water in Morning Ayurveda: ज्यादातर लोग सुबह उठकर बासी मुंह पानी पीने की आदत अपने मॉर्निंग रूटीन में शामिल करते हैं। हम सभी बड़े-बुजुर्गों को कहते हुए सुना है कि सुबह खाली पेट पानी पीना हमारे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। ऐसा माना जाता है कि सुबह पानी पीने से हमारा पाचन बेहतर रहता है, मेटाबॉलिज्म अच्छा रहता है और पेट से जुड़ी समस्याओं से राहत मिलता है। लेकिन कई लोगों को सुबह खाली पेट पानी पीने के बाद पाचन से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिसका कारण सुबह गलत समय और तरीके से पानी पीना है। आयुर्वेद में, सुबह सबसे पहले पानी पीने की प्रथा को उषापान के नाम से जाना जाता है, जो 16वीं शताब्दी के ऋषि भावमिश्र द्वारा शुरू किया गया था। लेकिन आज के समय में लोग पानी पीने के आयुर्वेदिक तरीके को फॉलो नहीं करते हैं, जिस कारण आपके सेहत पर पानी पीने के नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है। ऐसे में आइए आयुर्वेदिक डॉक्टर वरलक्ष्मी यनमन्द्र से जानते हैं आयुर्वेद में पानी पीने का सही नियम क्या है? और आज के समय में लोग पानी पीते समय क्या गलती करते हैं?

पानी पीने के बारे में आयुर्वेद क्या कहता है?

भावमिश्र ने ब्रह्ममुहूर्त में या सूर्योदय से ठीक पहले लगभग 640 मिली पानी पीने की सलाह दी है। यह समय पाचन अग्नि को बढ़ाने और शरीर को आने वाले दिन के लिए तैयार करने के लिए अच्छा माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस समय खाली पेट पानी पीने से शरीर में मौजूद टॉक्सिक पदार्थ बाहर निकल जाते हैं, बॉडी फंक्शन को संतुलित करने और पाचन क्रिया को बढ़ावा देने में मदद मिलती है। लेकिन सुबह सूरज निकलने से पहले यानी ब्रह्म मुहूर्त में खाली पेट पानी पीना आपके शरीर के लिए फायदेमंद होता है। 

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सुबह गलत तरीके से पानी पीने के क्या नुकसान है?

16वीं शताब्दी में, लोगों की लाइफस्टाइल हमारी लाइफ से बहुत अलग थी। वे शारीरिक रूप से एक्टिव थे, सुबह जल्दी उठते थे और सात्विक जीवनशैली बनाए रखते थे। सुबह जल्दी उठकर बड़ी मात्रा में पानी पीने की उनकी क्षमता को शारीरिक गतिविधि के बढ़े हुए स्तर और मजबूत पाचन का कारण माना जाता था। लेकिन आज के समय में लोग अक्सर सुबह 6 से 10 बजे के बीच पानी पीते हैं, जिसे आयुर्वेद में कफ काल माना जाता है, जिस दौरान आपका चयापचय सुस्त होता है, इस समय ज्यादा मात्रा में पानी पीने से पाचन तंत्र पर दबाव पड़ता है, जिससे पेट की समस्याएं जैसे ब्लोटिंग, अपच और एसिडिटी की समस्या बढ़ती है। 

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आयुर्वेद के अनुसार पानी कैसे पीना चाहिए?

  • अगर मुमकिन हो तो आप अपने शरीर की प्राकृतिक लय के साथ तालमेल बिठाने के लिए सूर्योदय से पहले उठने की कोशिश करें और ब्रह्म मुहूर्त में पानी पिएं। 
  • सुबह खाली पेट बहुत ज्यादा मात्रा में पानी पीने से बचें, जो आपके पाचन पर दबाव डाल सकता है। इसके स्थान पर आप अपने पाचन को बढ़ावा देने के लिए धीरे-धीरे एक छोटा गिलास गर्म पानी पिएं। 
  • पानी पीने के साथ नियमित व्यायाम से अपने शरीर को मजबूत बनाने से आपकी पाचन क्षमता में सुधार हो सकता है और आपको उषापान यानी ब्रह्म मुहूर्त में पानी पीने का फायदा मिल सकता है। 
 
 
 
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सुबह खाली पेट पानी पीने के फायदों को पाने के लिए जरूरी है कि आप आयुर्वेदिक तरीके को अपनाएं और सूरज निकलने के बाद खाली पेट पानी पीने से बचें, ताकि पाचन से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा मिल सकें और उषापान को अपनाकर अपनी लाइफस्टाइल को स्वस्थ बनाए।

Image Credit: Freepik 

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