कभी-कभी आप ने महसूस किया होगा कि पैरों को हिलाने में दिक्कत महसूस होती है। इस स्थिति को रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम कहते हैं। यह स्थिति तब होती है जब व्यक्ति को अपने पैरों में कुछ महसूस नहीं होता यानि उसे पैर सुन्न महसूस होते हैं। खासतौर पर यह समस्या शाम या रात के समय होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह वो समय है जब व्यक्ति लंबे समय तक बैठे रहता है। तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति को अपने पैरों में खालीपन महसूस होता है और चलने में दिक्कत भी महसूस हो सकती है। इस समस्या के बारे में व्यक्ति को पता होना जरूरी है। आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने लेख के माध्यम से बताएंगे कि रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम होने पर व्यक्ति को क्या लक्षण नजर आ सकते हैं साथ ही कारण और इलाज के बारे में भी जानेंगे। इसके लिए हमने जॉव्इंट केयर फिजियोथेरेपी एंड रेहाब सेंटर ग्रेटर नोएडा के डॉक्टर अंकुर नागर (Physiotherapist Dr. Ankur Naagar) से बात की है। पढ़ते हैं आगे...
रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम के लक्षण (symptoms of Restless legs syndrome)
जैसा कि हमने पहले भी बताया कि इस समस्या के चलते व्यक्ति को पैर हिलाने में दिक्कत होती हैं। यही कारण होता है कि इस परिस्थिति में व्यक्ति भरपूर नींद नहीं ले पाता है। पूरी नींद ना लेने के कारण वह ना तो फ्रेश महसूस करता है और उसके स्वभाव में भी चिड़चिड़ाहट महसूस होती है। इससे अलग व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार भी हो सकता है। बता दें कि जिस इंसान को यह समस्या होती है उसके पैरों में झुनझुनाहट महसूस हो सकती है। हालांकि, इससे अलग कुछ और लक्षण भी हैं जो इससे अलग नजर आ सकते हैं। ये लक्षण निम्न प्रकार हैं-
1 - पैरों में खुजली होना। (हालांकि ये समस्या पैरों के सुन्न होने के बाद होती है।)
3 - पैरों में जलन महसूस करना।
4 - पैरों में दर्द होना।
5 - पैरों में झनझनाहट होना।
6 - चलने में दिक्कत महसूस करना।
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रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम के कारण (causes of Restless legs syndrome)
जैसा कि हमने पहले भी बताया कि रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम लंबे समय तक किसी जगह पर बैठने से हो सकता है। वहीं इसके पीछे कुछ और भी कारण हो सकते हैं। ये कारण निम्न प्रकार हैं-
1 - इस समस्या के लिए जिम्मेदार फैमिली हिस्ट्री हो सकती है। हालांकि इसके लक्षण 40 वर्ष के बाद दिखना शुरू होते हैं। ऐसे में इस समस्या कै एक कारण आनिवंशिक भी है।
2 - गर्भावस्था के दौरान यह समस्या सबसे ज्यादा देखने को मिलती है। ऐसा इसलिए क्योंकि रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम के वजन बढ़ने के कारण उनके पैरों पर भार या दबाव पड़ने लगता है ऐसे में महिलाओं के लिए ये समस्या खतरनाक भी हो सकती है। बता दें कि डिलेवरी के बाद ये समस्या खुद ब खुद दूर हो जाती है।
रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम से होने वाले जोखिम
बता दें कि यह समस्या किसी भी उम्र में विकसित हो सकती है। बच्चे भी इस समस्या का शिकार हो सकते हैं। हालांकि बढ़ती उम्र के साथ यह विकार अधिक आम है और पुरुषों की तुलना में महिलाओं में को यह समस्या ज्यादा होती है।
1 - जो लोग शुगर से ग्रस्त हैं या जिन्हें शराब पीने की लत है वे आपके हाथों और पैरों की नसें प्रभावित हो सकती है।
2 - आयरन की कमी होने पर आरएलएस हो सकता है या बिगड़ सकता है। इसके अलावा पेट या आंतों से रक्तस्राव हो चुका है तो भारी मासिक धर्म का अनुभव हो सकता है।
3 - रीढ़ की हड्डी में एनेस्थीसिया देने से आरएलएस की समस्या बढ़ सकती है।
रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम से होने से बचाव
1 - शरीर में आयरन की कमी ना होने दें।
2 - शराब का सेवन कम मात्रा में करे।
3 - लंबे समय तक एक स्थान पर ना बैठे रहें।
4 - शुगर का रेग्यूलर चेकअप करवाएं।
5 - अपने वजन को नियंत्रित रखें।
6 - गर्भवती महिलाएं पैरों की समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
नोट - ऊपर बताए गए बिंदुओं से पता चलता है कि रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम होने पर व्यक्ति को काफी दिक्कत हो सकती है। ऐसे में अगर इस लेख में बताए गए लक्षण नजर आए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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