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मोतियाबिंद सर्जरी के बाद दोबारा लेंस बदलने की नौबत क्यों आती है? जानें इसकी वजह और प्रक्र‍िया

मोतियाबिंद सर्जरी के बाद लेंस रिप्लेसमेंट की जरूरत गलत लेंस पावर या विजन में गड़बड़ी जैसी समस्याओं के कारण पड़ सकती है।
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मोतियाबिंद सर्जरी के बाद दोबारा लेंस बदलने की नौबत क्यों आती है? जानें इसकी वजह और प्रक्र‍िया


मोतियाबिंद की सर्जरी आज एक सामान्य प्रक्रिया बन चुकी है, जिसमें खराब हो चुके प्राकृतिक लेंस को हटाकर उसकी जगह एक आर्ट‍िफ‍िश‍ियल लेंस लगाया जाता है। आमतौर पर यह सर्जरी सफल होती है और मरीज की दृष्टि पहले से काफी बेहतर हो जाती है। लेकिन कुछ दुर्लभ मामलों में ऐसा भी होता है कि मरीज को सर्जरी के कुछ हफ्तों या महीनों बाद दृष्टि में फिर से धुंधलापन या असहजता महसूस होती है। ऐसे में सवाल उठता है क‍ि क्या लेंस में कोई गड़बड़ी हुई है? क्या इसे दोबारा बदला जा सकता है? बहुत कम लोग जानते हैं कि हर आर्ट‍िफ‍िश‍ियल लेंस एक जैसा नहीं होता। कई बार डॉक्टर द्वारा लगाया गया लेंस मरीज की आंख की संरचना या जरूरतों के अनुसार सही नहीं बैठता या फिर शरीर उस लेंस को अस्वीकार कर देता है। इसके अलावा, कुछ मरीजों को मोनोफोकल लेंस की जगह मल्टीफोकल लेंस की जरूरत महसूस होती है, जिससे पास और दूर की दृष्टि दोनों में स्पष्टता मिले। इन जैसे मामलों में ही लेंस को दोबारा बदलने की जरूरत पड़ती है। लेकिन ये फैसला सिर्फ लक्षणों के आधार पर नहीं, डॉक्टर की जांच के बाद ही किया जाता है। इस लेख में हम जानेंगे क‍ि मोत‍ियाब‍िंद की सर्जरी के बाद, लेंस को दोबारा बदलने की जरूरत क्‍यों होती है और इसकी क्‍या प्रक्र‍िया है। इस व‍िषय पर बेहतर जानकारी के ल‍िए हमने दुर्गा सहाय नर्स‍िंग होम, यूपी बि‍जनौर के नेत्र रोग व‍िशेषज्ञ डॉ व‍िनीत माथुर से बात की।

मोतियाबिंद सर्जरी के बाद लेंस रिप्लेसमेंट की जरूरत क्‍यों पड़ती है?- Why Lens replacement be Needed After Cataract Surgery

  • अगर सर्जरी के बाद भी मरीज को साफ दिखाई नहीं देता, तो हो सकता है लेंस की पावर गलत चुनी गई हो। इससे दृष्टि धुंधली या अस्पष्ट रहती है। इस स्‍थि‍त‍ि में लेंस बदलने की जरूरत होती है।
  • कभी-कभी लेंस अपनी जगह से हिल जाता है या झुक जाता है, जिससे रोशनी सही तरीके से व‍िभाज‍ित नहीं हो पाती और देखने में मुश्‍क‍िल होती है।
  • कुछ मरीजों को रात में लाइट के चारों ओर रिंग्स दिखना या डबल इमेज की समस्या होती है। ये संकेत होते हैं कि लेंस आपकी आंख के मुताब‍िक नहीं है।
  • शरीर कभी-कभी आर्ट‍िफ‍िश‍ियल लेंस को स्वीकार नहीं करता और आंखों में सूजन, दर्द या जलन की शिकायत होती है।
  • कभी-कभी पहले से मौजूद आंख की बीमारियां जैसे मैक्युलर डिजेनेरेशन या ग्लूकोमा भी लेंस से जुड़ी समस्‍या का कारण बन सकते हैं।

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लेंस बदलने की प्रक्रिया कैसी होती है?- Procedure for Eye Lens Replacement

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  • सबसे पहले आंखों की पूरी जांच होती है जिसमें लेंस की पोजीशन, आंख का दबाव, रेटिना की स्थिति और अन्य कारणों की पहचान की जाती है।
  • अगर लेंस बदलना जरूरी होता है, तो आंख को टॉपिकल एनेस्थेसिया या लोकल एनेस्थेसिया से सुन्न किया जाता है।
  • डॉक्टर माइक्रोइंस्ट्रूमेंट्स की मदद से पहले लगाए गए लेंस को बहुत सावधानी से हटाते हैं, ताकि आंख की प्राकृतिक संरचना को कोई नुकसान न हो।
  • फिर नया और सही पावर वाला लेंस लगाया जाता है, जो आंख में आसानी से फिट हो जाता है।
  • सर्जरी के बाद मरीज को कुछ दिन आराम करने की सलाह दी जाती है। एंटीबायोटिक और सूजन कम करने वाली आई ड्रॉप्‍स दी जाती हैं।

क्या लेंस बदलना सुरक्षित है?- Is IOL Replacement Safe

जी हां, अनुभवी डॉक्‍टर द्वारा की गई लेंस और उसे बदलने की प्रक्रिया सुरक्षित मानी जाती है। हालांकि, हर सर्जरी की तरह इसमें भी थोड़ा रिस्क होता है जैसे रेटिना डिटैचमेंट, सूजन या इंफेक्‍शन, लेकिन ऐसा न के बराबर मामलों में होता है।

मोतियाबिंद सर्जरी के बाद लेंस दोबारा बदलने की जरूरत बहुत कम मरीजों को पड़ती है, लेकिन अगर दृष्टि से जुड़ी समस्याएं बनी रहें, तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। समय पर सही जांच और डॉक्टर से सलाह लेकर इस स्थिति को आसानी से सुधारा जा सकता है।

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FAQ

  • क्या लेंस रिप्लेसमेंट सर्जरी दर्दनाक है?

    नहीं, लेंस रिप्लेसमेंट सर्जरी दर्दनाक नहीं होती क्योंकि प्रक्रिया के दौरान आंख को लोकल एनेस्थेसिया से सुन्न कर दिया जाता है। मरीज को हल्का दबाव या हलचल महसूस हो सकती है, पर दर्द नहीं होता।
  • लेंस रिप्लेसमेंट को ठीक होने में कितना समय लगता है?

    सर्जरी के बाद आमतौर पर 1-2 दिनों में सामान्य दृष्टि लौटने लगती है, लेकिन पूरी तरह ठीक होने में लगभग 4 से 6 हफ्ते लगते हैं। इस दौरान दवाओं और डॉक्टर की सलाह मानना जरूरी होता है।
  • लेंस रिप्लेसमेंट सर्जरी कितनी सफल है?

    लेंस रिप्लेसमेंट सर्जरी 95 प्रत‍िशत से ज्यादा मामलों में सफल मानी जाती है। सही लेंस चयन, विशेषज्ञ सर्जन और फॉलोअप से विजन में सुधार संभव होता है। इसके बहुत ही कम मामलों में क‍िसी प्रक्र‍ार की समस्‍या देखने को म‍िलती है, ऐसा होना बहुत दुर्लभ है।

 

 

 

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