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मोत‍ियाब‍िंद की आधुन‍िक सर्जरी 'फेकोइमल्सीफिकेशन' क्‍या है? डॉक्‍टर से जानें प्रक्र‍िया, फायदे

फेकोइमल्सीफिकेशन, मोतियाबिंद सर्जरी है जिसमें अल्ट्रासाउंड से धुंधले लेंस को हटाकर आर्ट‍िफ‍िश‍ियल लेंस लगाया जाता है, यह प्रक्रिया सुरक्षित होती है।
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मोत‍ियाब‍िंद की आधुन‍िक सर्जरी 'फेकोइमल्सीफिकेशन' क्‍या है? डॉक्‍टर से जानें प्रक्र‍िया, फायदे

भारत में हर साल लाखों लोगों को मोतियाबिंद की समस्या होती है, खासकर 50 साल की उम्र के बाद। हालांकि यह उम्र बढ़ने की सामान्य प्रक्रिया मानी जाती है, लेकिन समय पर इलाज न होने पर यह अंधेपन का कारण बन सकती है। पहले मोतियाबिंद का इलाज पारंपरिक ऑपरेशन से किया जाता था, जिसमें मरीज को कई दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ता था और आंख पर टांके भी लगाए जाते थे। लेकिन अब विज्ञान की मदद से एक बेहद आधुनिक, सुरक्षित और दर्द रहित तकनीक सामने आई है- फेकोइमल्सीफिकेशन (Phacoemulsification)। दुर्गा सहाय नर्स‍िंग होम, यूपी बि‍जनौर के नेत्र रोग व‍िशेषज्ञ डॉ व‍िनीत माथुर ने बताया कि यह तकनीक विशेष रूप से भारत में तेजी से लोकप्रिय हो रही है क्योंकि यह सर्जरी मात्र 15-20 मिनट में हो जाती है और मरीज उसी दिन घर जा सकता है। भारत के बड़े सरकारी और निजी आई हॉस्‍प‍िटल्‍स में अब ज्‍यादातर मोतियाबिंद के मरीजों को फेको तकनीक से ऑपरेट किया जा रहा है। यह सर्जरी न केवल हाई-टेक है, बल्कि मरीजों की रिकवरी भी बहुत तेजी से होती है। इस लेख में जानेंगे कि फेकोइमल्सीफिकेशन क्या है, यह कैसे की जाती है, इसके क्या फायदे हैं और भारत में इसका इलाज कैसे और कहां उपलब्ध है।

मोत‍ियाब‍िंद की आधुन‍िक सर्जरी फेकोइमल्सीफिकेशन क्या है?- What is Modern Cataract Surgery Phacoemulsification

फेकोइमल्सीफिकेशन एक आधुनिक मोतियाबिंद सर्जरी तकनीक है जिसमें अल्ट्रासाउंड वेव्स की मदद से आंख के धुंधले लेंस (कैटरेक्ट) को तोड़कर निकाल दिया जाता है। इसके बाद उसकी जगह एक आर्ट‍िफ‍िश‍ियल लेंस (IOL- Intraocular Lens) लगाया जाता है जिससे दृष्टि सामान्य हो जाती है। यह प्रक्रिया माइक्रो-इंसिजन तकनीक से की जाती है, यानी बिना टांकों के बहुत छोटी चीरा लगाकर।

इसे भी पढ़ें- मोतियाबिंद का इलाज टालने से क्या खतरा हो सकता है? डॉक्‍टर से जानें

फेकोइमल्सीफिकेशन की प्रक्रिया कैसी होती है?- Procedure of Phacoemulsification

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  • आंख को सुन्न करने के लिए लोकल एनेस्थीसिया या आई ड्रॉप्स दिए जाते हैं।
  • आंख की सतह पर लगभग 2.2 से 2.8 एमएम का छोटा चीरा लगाया जाता है।
  • अल्ट्रासोनिक डिवाइस से कैटरेक्ट को तोड़कर उसे न‍िकाला जाता है।
  • अंत में उसी जगह आर्ट‍िफ‍िश‍ियल लेंस (IOL) डाल दिया जाता है। इसमें टांके की जरूरत नहीं होती।

सर्जरी में क‍ितना समय लगता है?- Time Taken For Surgery

  • पूरी प्रक्रिया लगभग 15 से 20 मिनट में पूरी हो जाती है।
  • मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती।
  • सर्जरी के 1-2 घंटे बाद मरीज घर जा सकता है।

फेकोइमल्सीफिकेशन के फायदे- Benefits of Phacoemusification

  • मरीज सामान्य दिनचर्या में 24-48 घंटे में लौट सकता है।
  • आंख में कट या टांका नहीं लगता, जिससे आंख में इंफेक्‍शन का खतरा कम होता है।
  • यह प्रक्रिया बहुत ही आसान होती है, जिससे दर्द या असहजता न के बराबर होती है।
  • इस तकनीक से दृष्टि में सुधार तुरंत नजर आता है और विजन शार्प होता है।
  • पारंपरिक सर्जरी की तुलना में, इसमें कम समस्‍याएं होती हैं, जैसे सूजन या रेटिना डिटैचमेंट

भारत में सर्जरी की उपलब्धता और लागत- Availability and Cost of Surgery in India

  • भारत के लगभग सभी प्रमुख शहरों (दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता, चेन्नई, लखनऊ आदि) में यह तकनीक उपलब्ध है।
  • AIIMS जैसे प्रमुख केंद्रों में यह सर्जरी की जाती है।
  • सर्जरी की कीमत निजी अस्पतालों में 60 हजार से 1 लाख तक हो सकती है, यह लेंस के प्रकार पर निर्भर करता है।
  • सरकारी अस्पतालों में या आयुष्मान भारत कार्डधारकों के लिए यह सर्जरी नि:शुल्क या कम दरों पर उपलब्ध है।

आईओएल लेंस के विकल्प- Types of IOL Lens

सर्जरी के बाद देखभाल के ल‍िए ट‍िप्‍स- Post Eye Surgery Care Tips

  • आंखों पर पानी या धूल न जाने दें।
  • 2-4 हफ्तों तक आंखों में दवा डालते रहें।
  • चश्मा लगाने की जरूरत हो सकती है।
  • टीवी या मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल न करें।
  • आंख मलने से बचें और धूप में बाहर निकलते समय चश्मा पहनें।

फेकोइमल्सीफिकेशन तकनीक ने मोतियाबिंद के इलाज को आसान, सुरक्षित और तेज बना दिया है। भारत में इस तकनीक को तेजी से अपनाया जा रहा है और अब यह आम लोगों के लिए भी सुलभ होती जा रही है।

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FAQ

  • मोतियाबिंद के लिए सबसे अच्छी आंख की सर्जरी कौन सी है?

    फेकोइमल्सीफिकेशन, सबसे आधुनिक और सुरक्षित सर्जरी मानी जाती है, जिसमें लेंस बदलकर विजन तुरंत सुधरता है। यह प्रक्रिया बिना टांकों की होती है, इसमें दर्द नहीं होता और मरीज जल्दी रिकवर करता है।
  • मोतियाबिंद ऑपरेशन का खर्च कितना आता है?

    निजी अस्पतालों में मोतियाबिंद ऑपरेशन का खर्च 60 हजार से 1 लाख तक होता है, यह लेंस और तकनीक पर निर्भर करता है। सरकारी अस्पतालों या आयुष्मान भारत योजना के तहत यह मुफ्त या बहुत कम पैसों में भी कराया जा सकता है।
  • मोतियाबिंद सर्जरी के नुकसान क्या हैं?

    मोतियाबिंद की सर्जरी सुरक्षित है, लेकिन कभी-कभी धुंधलापन, आंख लाल होना या रेटिना से जुड़ी दिक्कतें हो सकती हैं। इन समस्‍याओं से बचने के लिए सर्जरी के बाद उचित देखभाल और डॉक्टर की सलाह जरूरी होती है।

 

 

 

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  • Current Version

  • Nov 09, 2025 13:02 IST

    Published By : Anurag Gupta

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