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8 साल की बच्ची की हुई कार्डियक अरेस्ट से मौत, जानें बच्चों में कार्डियक अरेस्ट के कारण और लक्षण

कुछ दिनों पहले बच्चों की कार्डियक अरेस्ट से मौत होने के दो मामले सामने आए हैं। डॉक्टर से जानें बच्चों में कार्डियक अरेस्ट के क्या कारण हैं।
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8 साल की बच्ची की हुई कार्डियक अरेस्ट से मौत, जानें बच्चों में कार्डियक अरेस्ट के कारण और लक्षण


Cardiac Arrest In Children: हाल ही में गुजरात से एक चौकाने वाला मामला सामने आया है। जहां आठ साल की बच्ची की कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई है। सूत्रों के मुताबिक बच्ची शुक्रवार सुबह स्कूल में ही बेहोश होकर गिर गई। बच्ची को सीपीआर दिया गया और तुरंत ही पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया। कुछ समय तक उसे वेंटिलेटर पर भी रखा गया लेकिन उसकी जान बच न सकी। कुछ दिनों पहले ऐसा ही एक मामला कर्नानट से भी सामने आया था, जहां क्लास में जाते दौरान कार्डियक अरेस्ट से बच्ची की मौत हुई थी। लगातार सामने आते ऐसे मामले बच्चों की सेहत पर बड़ा सवाल खड़ा करते हैं। क्योंकि, इतनी कम उम्र में कार्डियक अरेस्ट होना हर किसी के लिए चिंता का विषय बन जाता है। ऐसे में बच्चों की सेहत में होने वाले हर छोटे बदलाव पर ध्यान देना जरूरी हो जाता है। इन मामलों के बाद हर कोई यही सोच रहा है कि आखिर बच्चों को इतनी छोटी उम्र में कार्डियक अरेस्ट क्यों हो रहा है। इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए हमने बात कि फरीदाबाद के अमृता हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ आशिष कुमार से।

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बच्चों में कार्डियक अरेस्ट होने के कारण- Reasons of Cardiac Arrest In Children

डॉक्टर आशिष कुमार कहते हैं कि बच्चों में कार्डियक अरेस्ट को बढ़ावा देने में ये फैक्टर जिम्मेदार होते हैं-

कंजेनिटल हार्ट डिजीज- Congenital Heart Diseases

इंडियन पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी सोसाइटी के मुताबिक, हर साल भारत में 1000 जन्में बच्चों में से 8 में कंजेनिटल हार्ट डिजीज पाई जाती हैं। इसके लिए एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट (एएसडी), वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (वीएसडी) जैसी स्थितियां भी जिम्मेदार हो सकती है। दूसरे शब्दों में जिन बच्चों को जन्म से ही कुछ समस्याएं रहती हैं उनमें कार्डियक अरेस्ट का खतरा रहता है।

रूमेटिक हार्ट डिजीज- Rheumatic Heart Disease

बच्चों में स्ट्रेप्टोकोकल थ्रोट इंफेक्शन वल्वुलर डैमेज का पहला कारण होता है। इसके कारण कार्डियक अरेस्ट की संभावना बढ़ जाती है।

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मायोकार्डिटिस- Myocarditis

मायोकार्डिटिस के कारण भी बच्चों को कार्डियक अरेस्ट का खतरा बढ़ सकता है। यह एक वायरल इंफेक्शन है, जो विशेष रूप से एंटरोवायरस के कारण होता है। कई रिसर्च में सामने आया है कि मायोकार्डिटिस बच्चों में कार्डियक अरेस्ट होने के मुख्य कारणों में देखा गया है। ऐसे में बच्चे को बहुत ज्यादा थकावट और चेस्ट पेन हो सकता है।

कावासाकी डिजीज

इंडियन अकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक के मुताबिक कावासाकी डिजीज का पता न लग पाने के कारण कई गंभीर समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। इसके कारण मायोकार्डिटिस डिजीज का खतरा भी बढ़ सकता है।

ओबेसिटी और लाइफस्टाइल फैक्टर्स- Obesity and Lifestyle Factors

बच्चों में अनहेल्दी डाइट और लाइफस्टाइल से जुड़ी आदते कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का खतरा बढ़ा सकती हैं। इनके कारण भी बच्चों को कार्डियक अरेस्ट का खतरा बढ़ सकता है।

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बच्चों में कार्डियक अरेस्ट होने के लक्षण- Symptoms of Cardiac Arrest In Children

  • बच्चों में चेस्ट पेन होना सामान्य नहीं है। यह कार्डियक अरेस्ट का संकेत भी हो सकता है। खासकर कंजेनिटल हार्ट डिजीज और रूमेटिक हार्ट डिजीज से ग्रस्त बच्चों में सीने का दर्द कार्डियक अरेस्ट का संकेत होता है।
  • एक्सपर्ट के मुताबिक बच्चों में थकावट ज्यादा रहना या उनका एनर्जी लेवल कम होना भी कार्डियक अरेस्ट का लक्षण हो सकता है।
  • अगर बच्चे को फिजिकल एक्टिविटी के वक्त बेहोशी होती है, तो ये कार्डियक अरेस्ट का शुरुआती लक्षण हो सकता है। हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी से ग्रस्त लोगों में ये समस्याएं ज्यादा होती हैं।
  • सायनोसिस और सांस फूलने के कारण रेस्पिरेटरी डिजीज का खतरा बढ़ सकता है। इसके कारण हार्ट फेलियर का खतरा हो सकता है।

अगर आपको बच्चों में इनमें से कोई भी लक्षण नजर आता है, तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाए। लक्षणों को पहचनानकर बच्चों में कार्डियक अरेस्ट के खतरे को कम किया जा सकता है।

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