डाइट में ये छोटा सा बदलाव बचा सकता है कैंसर से, नॉन वेजिटेरियन दें ध्यान: स्टडी

वैज्ञानिकों ने हाल की स्टडी में पाया कि नॉन वेजिटेरियन लोग अगर अपनी डाइट में ये छोटा सा बदलाव कर लें, तो कैंसर सहित कई जानलेवा बीमारियों को कम किया जा सकता है।
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डाइट में ये छोटा सा बदलाव बचा सकता है कैंसर से, नॉन वेजिटेरियन दें ध्यान: स्टडी

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम क्या खा रहे हैं, इस पर ज्यादा सोचने का वक्त शायद ही किसी के पास हो। लेकिन हाल में हुई एक स्टडी के बाद ये बात साफ हो गई है कि अगर खानपान ठीक रखा जाए, तो लंबे समय में कैंसर सहित कई जानलेवा बीमारियों से बचाव हो सकता है। जी हां, The Lancet Planetary Health नामक एक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार आपके खाने की थाली में एक छोटा सा बदलाव आपको कैंसर, डायबिटीज, हार्ट की बीमारियों सहित कई गंभीर बीमारियों से बचा सकता है। इस स्टडी के मुताबिक, अगर लोग प्रोसेस्ड मीट का सेवन कम कर दें, तो कोलोरेक्टल कैंसर के मामलों में बड़ी गिरावट आ सकती है।


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रिसर्च में क्या देखा गया?

यह स्टडी यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग समेत कई संस्थानों के वैज्ञानिकों ने की। शोधकर्ताओं ने एक माइक्रोसिमुलेशन मॉडल का इस्तेमाल किया, जिसमें यह अनुमान लगाया गया कि अगर लोग प्रोसेस्ड मीट और अनप्रोसेस्ड रेड मीट कम खाएं, तो आने वाले वर्षों में बीमारियों का बोझ कितना घट सकता है।

स्टडी में खासतौर पर चार स्वास्थ्य समस्याओं पर फोकस किया गया:

  • कोलोरेक्टल कैंसर
  • टाइप 2 डायबिटीज
  • कार्डियोवैस्कुलर डिजीज
  • समय से पहले मौत का जोखिम

रिसर्च के मुताबिक, अगर प्रोसेस्ड मीट का सेवन धीरे-धीरे कम किया जाए, तो हजारों नए कैंसर मामलों को रोका जा सकता है।

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प्रोसेस्ड मीट क्यों बनता है खतरा?

प्रोसेस्ड मीट में सॉसेज, बेकन, सलामी, हॉट डॉग, पैक्ड मीट जैसे फूड्स शामिल होते हैं। इन्हें लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए नमक, नाइट्रेट और प्रिजरवेटिव्स मिलाए जाते हैं।

वैज्ञानिकों के अनुसार, इन फूड्स में मौजूद केमिकल्स शरीर में जाकर सूजन (इंफ्लेमेशन) बढ़ाते हैं और आंतों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं। लंबे समय तक ऐसा खाना कोलन और रेक्टम से जुड़े कैंसर का खतरा बढ़ा देता है। यही वजह है कि World Health Organization (WHO) पहले ही प्रोसेस्ड मीट को कैंसर के जोखिम से जोड़ चुका है।

स्टडी का निष्कर्ष क्या रहा?

रिसर्च में यह सामने आया कि अगर लोग रोजाना प्रोसेस्ड मीट की मात्रा को आधा भी कर दें, तो आने वाले दशकों में: कोलोरेक्टल कैंसर के हजारों नए केस रोके जा सकते हैं। इसके साथ ही इससे हार्ट डिजीज और डायबिटीज का खतरा भी कम हो सकता है, जिससे लंबे समय में हेल्थकेयर सिस्टम पर पड़ने वाला बोझ भी घट सकता है वैज्ञानिकों का कहना है कि यह कोई अचानक डाइट बदलने की सलाह नहीं है, बल्कि धीरे-धीरे हेल्दी विकल्प अपनाने की बात है।

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रेड मीट vs प्रोसेस्ड मीट

स्टडी में यह भी साफ किया गया कि प्रोसेस्ड मीट का खतरा अनप्रोसेस्ड रेड मीट की तुलना में ज्यादा है। हालांकि, ज्यादा मात्रा में रेड मीट खाना भी हेल्थ के लिए सही नहीं माना जाता। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, संतुलित डाइट में सब्जियां, फल, साबुत अनाज और प्लांट-बेस्ड प्रोटीन की मात्रा बढ़ाना ज्यादा फायदेमंद है।

कुल मिलाकर कैंसर जैसी बीमारी हमेशा किस्मत या जेनेटिक्स की वजह से नहीं होती। हमारी रोज की आदतें भी इसमें बड़ी भूमिका निभाती हैं। अगर आप पूरी तरह मीट छोड़ना नहीं चाहते, तो भी कम से कम प्रोसेस्ड मीट को रोज की डाइट से हटाएं। बाहर का पैक्ड और फास्ट फूड कम करें और घर का ताजा, सादा खाना खाएं। यही छोटे बदलाव आने वाले समय में बड़ी बीमारियों से बचाव कर सकते हैं।

शोधकर्ताओं का कहना है कि पब्लिक हेल्थ पॉलिसी में भी ऐसे बदलावों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, ताकि लोग हेल्दी विकल्प चुन सकें। सही जानकारी और आसान विकल्प ही लोगों को बेहतर फैसले लेने में मदद करते हैं। यह रिसर्च अमेरिका की आबादी पर आधारित है, लेकिन इसके नतीजे पूरी दुनिया के लिए चेतावनी की तरह हैं। स्टडी बताती है कि रोजमर्रा की डाइट में छोटे-छोटे बदलाव लंबे समय में बड़ी बीमारियों से बचा सकते हैं।

कुल मिलाकर ज्यादातर बीमारियां हमारी लाइफस्टाइल खासकर खानपान से जुड़ी होती हैं। इसलिए अगर खानपान को संतुलित रखने का फैसला लिया जाए, तो आने वाली पीढ़ियों को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से काफी हद तक बचाया जा सकता है।

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  • Dec 31, 2025 11:24 IST

    Published By : Anurag Gupta

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