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मानसून में पाचन दुरुस्त रखेंगे ये 5 प्रोबायोटिक रिच फूड्स, एक्सपर्ट से जानें

बरसात का मौसम अपने साथ नमी, उमस और कई तरह की बीमारियां लेकर आता है। यहां जानिए, पेट सही रखने के लिए प्रोबायोटिक फूड कौन-कौन से होते हैं?
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मानसून में पाचन दुरुस्त रखेंगे ये 5 प्रोबायोटिक रिच फूड्स, एक्सपर्ट से जानें


बरसात का मौसम आते ही नमी और उमस बढ़ जाती है, यह मौसम जितना सुकून और ठंडक लाता है, उतना ही हमारी सेहत पर असर भी डालता है। इस दौरान बैक्टीरिया और वायरस तेजी से पनपते हैं, जिससे दस्त, डायरिया, पेट दर्द, गैस, अपच और फूड पॉइजनिंग जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। कमजोर इम्यूनिटी और बिगड़ा हुआ पाचन तंत्र ही बरसात में बार-बार बीमार पड़ने का सबसे बड़ा कारण है। ऐसे में सेहतमंद रहने के लिए डाइट में प्रोबायोटिक फूड्स शामिल करना बेहद जरूरी है। प्रोबायोटिक्स ऐसे अच्छे बैक्टीरिया होते हैं, जो हमारी आंतों में पाचन प्रक्रिया को संतुलित रखते हैं। यही कारण है कि बरसात के दिनों में डॉक्टर और न्यूट्रिशन एक्सपर्ट अक्सर लोगों को डाइट में प्रोबायोटिक फूड्स शामिल करने की सलाह देते हैं। इस लेख में जयपुर में स्थित Angelcare-A Nutrition and Wellness Center की निदेशक, डाइटिशियन एवं न्यूट्रिशनिस्ट अर्चना जैन (Archana Jain, Dietitian and Nutritionist, Director, Angelcare-A Nutrition and Wellness Center, Jaipur) से जानिए, मानसून में प्रोबायोटिक फूड कौन-कौन से खाने चाहिए?

मानसून में प्रोबायोटिक फूड कौन-कौन से खाने चाहिए? - Probiotic Rich Foods For Monsoon

1. छाछ

बरसात में अक्सर लोग भारी खाना खा लेते हैं, जिससे अपच और पेट फूलने की समस्या बढ़ जाती है। ऐसे में छाछ सबसे अच्छा विकल्प है। छाछ में गुड बैक्टीरिया होते हैं, जो आंतों को हेल्दी रखते हैं और कब्ज की समस्या दूर करते हैं। इसके अलावा छाछ शरीर को ठंडक भी देती है और पाचन एंजाइम्स को एक्टिव करती है। यह भारी खाने को जल्दी पचाने में मदद करती है। दोपहर के खाने के बाद या साथ में मसाला छाछ पिएं। इसमें भुना हुआ जीरा पाउडर, काला नमक और पुदीना मिलाने से इसका स्वाद और फायदे दोनों बढ़ जाते हैं।

2. दही

दही को भारतीय भोजन का अहम हिस्सा माना जाता है और यह सबसे सस्ता और असरदार प्रोबायोटिक फूड है। इसमें मौजूद बैक्टीरिया आंतों में अच्छे जीवाणुओं की संख्या बढ़ाते हैं। मानसून के मौसम में दही खाने से पाचन तंत्र मजबूत (pet sahi rakhne ke liye kya khayen) रहता है और दस्त या डायरिया जैसी समस्या जल्दी नहीं होती। इसके अलावा, दही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी को भी बढ़ाता है। दही में कैल्शियम और प्रोटीन अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं, जिससे हड्डियां और मांसपेशियां भी मजबूत रहती हैं। मानसून में सुबह या दोपहर के खाने में सादा दही या रायता लें। कोशिश करें कि रात में ज्यादा दही न खाएं, क्योंकि इससे बलगम बढ़ सकता है।

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3. फर्मेंटेड राइस

भारत के कई राज्यों में रात भर भिगोए हुए और सुबह खाए जाने वाले चावल की परंपरा है। इसे पांता भात या फर्मेंटेड राइस भी कहते हैं। इसमें नेचुरल रूप से प्रोबायोटिक बैक्टीरिया विकसित हो जाते हैं, जो आंतों की सेहत के लिए बेहद लाभकारी होते हैं। बरसात के मौसम में इसका सेवन करने से पाचन तंत्र मजबूत होता है, आंतों में अच्छे बैक्टीरिया की संख्या बढ़ती है और शरीर को एनर्जी भी मिलती है। साथ ही, यह शरीर को ठंडक देता है और डिहाइड्रेशन से बचाता है। रात में पके हुए चावलों को पानी में भिगोकर छोड़ दें और सुबह थोड़ा नमक या दही के साथ इसका सेवन करें।

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pet sahi rakhne ke liye kya khayen

4. अचार

भारतीय घरों में अचार सिर्फ स्वाद बढ़ाने के लिए नहीं बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी खाया जाता है। पारंपरिक तरीके से बनाए गए अचार में नेचुरल रूप से फर्मेंटेशन प्रक्रिया होती है जिससे अच्छे बैक्टीरिया बनते हैं और यह बैक्टीरिया आंतों की सेहत सुधारते हैं, साथ ही इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं। हालांकि, बाजार में मिलने वाले पैक्ड अचार में प्रिजर्वेटिव और ज्यादा नमक होता है, जो सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए घर का बना अचार ही सबसे अच्छा विकल्प है। खाने के साथ थोड़ी मात्रा में घर का बना आम, नींबू या मिर्च का अचार लें। ध्यान रखें कि इसका सेवन सीमित मात्रा में करें।

5. इडली-डोसा बैटर

दक्षिण भारतीय फूड्स जैसे इडली, डोसा और उत्तपम बनाने के लिए जो बैटर तैयार किया जाता है, वह किण्वित यानी फर्मेंटेड होता है। इस फर्मेंटेशन की प्रक्रिया में बैक्टीरिया और यीस्ट मिलकर अच्छे प्रोबायोटिक्स तैयार करते हैं। इडली और डोसा हल्के, आसानी से पचने वाले और पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। मानसून में भारी और ऑयली खाने की बजाय हल्के फर्मेंटेड फूड्स लेना पेट को हेल्दी रखता है। नाश्ते या डिनर में इडली और डोसा को नारियल चटनी या सांभर के साथ खाया जा सकता है। यह डाइजेशन के लिए बेहद फायदेमंद है।

निष्कर्ष

मानसून का मौसम बीमारियों का मौसम माना जाता है, लेकिन यदि हम अपने भोजन में प्रोबायोटिक युक्त फूड्स शामिल करें तो कई परेशानियों से बच सकते हैं। दही, छाछ, फर्मेंटेड राइस, घर का बना अचार और इडली-डोसा बैटर जैसे फूड्स पाचन शक्ति को बढ़ाते हैं, इम्यूनिटी मजबूत करते हैं और मानसून में तंदुरुस्त रखते हैं। इसलिए इस बरसात, स्वाद के साथ-साथ सेहत का भी ध्यान रखें और अपनी डाइट को प्रोबायोटिक-रिच बनाएं।

All Images Credit- Freepik

FAQ

  • क्या मानसून से पेट की समस्या होती है?

    मानसून में पेट की समस्या अन्य मौसमों के मुकाबले ज्यादा होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि मानसून में वायरस आदि से इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में साफ-सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए।
  • पेट को ठीक रखने के लिए क्या करें?

    पेट को ठीक रखने के लिए सबसे जरूरी है कि आप डाइट में ऐसी चीजों को शामिल करें जिनमें तेल और मसालों का उपयोग कम हो। इसके अलावा सिर्फ घर का बना भोजन ही करें। ध्यान रखें कि अगर आप रात को सोने से कम से कम 2 घंटे पहले भोजन करते हैं तो इससे पेट की समस्याएं काफी हद तक कम हो सकती हैं।
  • रात में क्या खाएं कि सुबह पेट साफ हो जाए?

    सुबह पेट साफ करने के लिए सबसे जरूरी है कि आप एक हेल्दी लाइफस्टाइल मेंटेन करें और रात के साथ हल्का सुपाच्य भोजन ही करें। इसके साथ ही सोने से पहले हल्का गुनगुना पानी पीना भी सुबह पेट साफ करने में सहायक हो सकता है।

 

 

 

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