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शतावरी का सेवन करते समय किन बातों का ध्यान रखें? आयुर्वेदाचार्य से जानें

Precautions should be taken while Taking Shatavari: शतावरी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होती है, लेकिन इसका सेवन करते वक्त कुछ खास बातों का ध्यान न रखा जाए, तो यह नुकसानदेह हो सकती है।
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शतावरी का सेवन करते समय किन बातों का ध्यान रखें? आयुर्वेदाचार्य से जानें


Precautions should be taken while Taking Shatavari: शतावरी (Shatavari) एक जानी-मानी आयुर्वेदिक जुड़ी-बूटी है। शतावरी को कई प्रकार से स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना गया है। हजारों सालों से शतावरी का इस्तेमाल महिलाओं के स्वास्थ्य को बेहतर करने, प्रजनन क्षमता, पाचन और रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए किया जा रहा हैं। यूं तो शतावरी कई तरह के स्वास्थ्य (Health Benefits of Shatavari) के लिए फायदेमंद होती है, लेकिन आयुर्वेद में इसका सेवन करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखने की बात रही है।

आयुर्वेदिक सेंटर माधवबाग के सीईओ और आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉ. रोहित साने (Dr. Rohit Madhav Sane) के अनुसार, "शतावरी" शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है। शतावरी का अर्थ होता है, "वह स्त्री जिसके सौ पति हों"। आसान भाषा में कहें तो शतावरी का सेवन महिलाओं के स्वास्थ्य को इतना मजबूत बना देता है, कि वह जीवन में आने वाली हर शारीरिक चुनौती का आसानी से कर सके।

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1. दोष के हिसाब से करें सेवन

शतावरी का सेवन करने से मुख्य रुप से शरीर का पित्त और वात दोष शांत हो जाता है। लेकिन यह जड़ी-बूटी शरीर के कफ दोष को बढ़ा सकती है। जिन लोगों को पहले से ही अधिक कफ दोष यानी की वजन बढ़ना, ठंड लगना, जुकाम और बगलम की परेशानी होती है, उन्हें शतावरी का सेवन नहीं करने की सलाह दी जाती है। वहीं, पित्त और वात दोष प्रधान वाले लोग इसका सेवन बिना किसी संकोच के कर सकते हैं।

2. मात्रा का रखें ध्यान

आयुर्वेदिक एक्सपर्ट रोहित साने के अनुसार, महिलाओं को शतावरी चूर्ण की 1 से 3 ग्राम हल्के गुनगुने दूध या गर्म पानी के साथ सेवन करने की सलाह दी जाती है। शतावरी चूर्णका सेवन हमेशा रात को भोजन के बाद ही करना चाहिए। वहीं, जो लोग शतावरी चूर्ण की बजाय कैप्सूल या बाजार में मिलने वाले सिरप का सेवन कर रहे हैं, उन्हें इसकी मात्रा के बार में डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। इस जड़ी-बूटी की तासीर गर्म होती है। इसका सेवन ज्यादा मात्रा में किया जाए, तो यह पाचन संबंधी परेशानियों का कारण बन सकती है।

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3. बीमारियों के आधार पर

हार्मोन संबंधी बीमारी से जूझ रहे लोग, किडनी की परेशानी और कफ बढ़ाने वाली स्थितियों में शतावरी का सेवन न करने की सलाह दी जाती है। शतावरी में फाइटोएस्ट्रोजेन (plant-based estrogen) पाया जाता है। हार्मोन से जुड़ी परेशानी में शतावरी का सेवन किया जाए, तो यह कई प्रकार के इम्बैलेंस का कारण बनती है।

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4. औषधीय के साथ मिश्रित करके

आयुर्वेदाचार्य का कहना है कि शतावरी का सेवन अन्य आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी के साथ नहीं करना चाहिए। कुछ लोगों को शतावरी को अश्वगंधा, विदारीकंद या दूध के साथ मिलाकर पीने की सलाह दी जाती है। लेकिन इसका सेवन बिना डॉक्टर की सलाह पर नहीं करना चाहिए। अगर आप पहले ही शतावरी का सेवन कर रहे हैं, तो इस दौरान तैलीय और देरी से पचने वाले खाद्य पदार्थों को खाने से बचना चाहिए।

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निष्कर्ष

शतावरी एक आयुर्वेदिक औषधी है, लेकिन इसका सेवन करते वक्त बीमारियों, सही मात्रा और समय का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। हर व्यक्ति के शरीर की प्रकृति अलग होती है। इसलिए शतावरी का सेवन करने से पहले एक बार आयुर्वेदिक एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।

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