
pranayam for sinus: साइनस नाक का एक रोग है। यह सर्दियों में अधिक परेशान करता है। नाक बंद होना, सिर दर्द, आधे सिर में तेज दर्द और नाक बहना साइनस के लक्षणों में शामिल हैं। साइनस की वजह से चेहरे पर सूजन भी आती है। साइनस रोगियों के गले में अकसर कफ जमा रहता है। धूल-मिट्टी की वजह से साइनस की समस्या बढ़ जाती है। समय पर साइनस का इलाज न किया जाए, तो यह अस्थमा का भी कारण बन सकता है।
अधिकतर लोग एलर्जी और साइनस से राहत पाने के लिए एंटीबायोटिक दवाइयों का सेवन करते हैं। लेकिन आप चाहें तो कुछ योगासन या प्राणायाम (pranayam for sinus) के जरिए भी इसे ठीक कर सकते हैं। प्राणायाम साइनस से नहीं बल्कि इसकी वजह से होने वाली समस्याओं से राहत दिलाता है। प्राणायाम चेहरे की सूजन, नाक के निचले हिस्से को भी आराम दिलाता है। प्राणायाम करने से नाक और गले में जमा कफ भी आसानी से निकल जाता है। विस्तार से जानें साइनस के लिए प्राणायाम (pranayam for sinus)-

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1. कपालभाति (can kapalbhati cure sinus)
कपालभाति साइनस की समस्या से राहत दिलाने में बेहद फायदेमंद होता है। इससे सर्दी-जुकाम, एलर्जी और साइनस की समस्या से निजात मिलती है। इसलिए आपको रोजाना सुबह खाली पेट कपालभाति जरूर करनी चाहिए। कपालभाति की विधि-
- कपालभाति करने के लिए सबसे पहले किसी शांत वातावरण में एक मैट बिछा लें।
- इस पर पद्मासन की अवस्था में बैठ जाएं।
- इस दौरान अपनी रीढ़ की हड्डी को एकदम सीधी रखें।
- दोनों हथेलियों को घटुने पर रखें। हथेलियां आकाश की तरफ खुली होनी चाहिए।
- अब लंबी सांस लें। सांस छोड़ते हुए पेट को अंदर की तरफ खींचें।
- इस प्रक्रिया को 20 बार दोहराएं। इससे आपको एक राउंड पूरा हो जाएगा।
- आप कपालभाति के 3 राउंड कर सकते हैं।
- रोजाना इसके अभ्यास से आपको साइनस की वजह से होने वाली दिक्कतों में काफी आराम मिलेगा।
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2. अनुलोम विलोम (is anulom vilom good for sinus)
कपालभाति की तरह ही अनुलोम विलोम भी साइनस से राहत दिलाता है। अनुलोम विलोम करने से फेफड़े मजबूत बनते हैं। यह गले में जमा कफ को निकालने में भी मदद करता है। नियमित रूप से अनुलोम विलोम करने से पेट से जुड़े रोग दूर होते हैं। यह श्वसन तंत्र को भी मजबूत बनाता है। अनुलोम विलोम ऑक्सीजन लेवल भी बढ़ाता है। जानें अनुलोम विलोम की विधि-
- अनुलोम विलोम करने के लिए सबसे पहले मैट पर पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं।
- अब अपने बाएं हाथ से ज्ञान मुद्रा बनाएं।
- दाएं हाथ के अंगूठे से दाईं नासिका को बंद करें। बाईं नासिक से सांस लें।
- इसके बाद बाईं नासिका बंद करें और दाईं नासिक से सांस छोड़ें।
- इस क्रिया को कई बार दोहराएं। इससे आपको काफी आराम मिलेगा।
3.भ्रामरी (bhramari pranayama for sinusitis)
भ्रामरी प्राणायाम अपनी यांत्रिक सफाई और सूजन-रोधी प्रभावों द्वारा साइनस को हवादार करने में मदद करता है। भ्रामरी क्रोनिक साइनसिसिस के रोगियों में लक्षणों में सुधार करता है। नियमित रूप से भ्रामरी का अभ्यास करने से साइनस की समस्या में काफी आराम मिलता है। साथ ही इससे फेफड़ों की भी सफाई होती है। भ्रामरी प्राणायाम की विधि-
- भ्रामरी प्राणायाम करने के लिए सबसे पहले किसी स्वच्छ वातावरण में एक मैट बिछा लें।
- इस पर पद्मासन या सुखासन की अवस्था में बैठ जाएं।
- अपने दोनों हाथों के अंगूठों से दोनों कानों को बंद कर लें।
- दोनों हाथों की तर्जनी उंगुली को माथे पर रखें। अब मध्यमा, अनामिका और कनिष्का उंगुली को आंखों पर रखें।
- मुंह बंद करें और नाक के माध्यम से सामान्य गति से सांस लें।
- इसके बाद नाक के माध्यम से मधुमक्खी जैसी आवाज करते हुए सांस छोड़ें।
- सांस छोड़ते हुए ॐ का उच्चारण करें।
- आप इसे क्रिया को 5-7 बार दोहरा सकते हैं।
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इन प्राणायामों के अलावा तिर्यक ताड़ासन, कटि चक्रासन, शंकासन और शवासन भी साइनस में लाभकारी होते हैं। आप चाहें तो साइनस से राहत पाने के लिए इन योगासनों का भी अभ्यास कर सकते हैं। लेकिन शुरुआत में किसी एक्सपर्ट की राय जरूर लें।
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