पोस्टपार्टम कार्डियोमायोपैथी (Postpartum Cardiomyopathy) महिलाओं में होने वाली दिल से जुड़ी बीमारी है। इस बीमारी को पेरिपार्टम कार्डियोमायोपैथी (पीपीसीएम) के नाम से भी जाना जाता है। ये बीमारी महिलाओं में गर्भावस्था से लेकर डिलीवरी के 5 महीने बाद तक होने वाले हार्ट फेलियर का कारण भी होती है। इस बीमारी में एक तरह से कंजेस्टिव हार्ट फेल्योर जिसकी वजह से हृदय पहले से बड़ा और कमजोर हो जाता है। महिलाओं में दिल से जुड़ी इस बीमारी की वजह से हृदयघात (Heart Failure) की स्थिति होती है। आइए जानते हैं पोस्टपार्टम कार्डियोमायोपैथी की समस्या क्या है? इसके कारण क्या हैं और इस बीमारी में इलाज और बचाव क्या हैं?
पोस्टपार्टम कार्डियोमायोपैथी (Postpartum Cardiomyopathy)
पोस्टपार्टम कार्डियोमायोपैथी की बीमारी को लेकर हमने दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल्स के इंटरनल मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ तरुण साहनी से जानकारी ली। डॉ साहनी के मुताबिक यह समस्या डायलेटेड कार्डियोमायोपैथी (Dilated Cardiomyopathy) का एक प्रकार है जिसमें दिल की मांसपेशियां कमजोर हो जाती है और इसकी वजह से दिल को काम करने में कठिनाई होती है। यह बीमारी महिलाओं को होती है और ज्यादातर मामलों में यह गर्भावस्था के दौरान या डिलीवरी के 5 महीने तक होने वाले हार्ट फेलियर का कारण होती है। इस बीमारी में हमारे दिल की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं जिसकी वजह से उन्हें सही तरीके से काम करने में दिक्कत होती है। इसमें हमारा हृदय पर्याप्त मात्रा में शरीर के सभी अंगों तक खून को पंप नहीं कर पाता है। हालांकि यह एक दुर्लभ बीमारी है और भारत में इसकी वजह से अधिक महिलाऐं प्रभावित नहीं होती हैं।
पोस्टपार्टम कार्डियोमायोपैथी के कारण (What Causes Postpartum Cardiomyopathy?)
पोस्टपार्टम कार्डियोमायोपैथी के कुछ निश्चित कारण नहीं हैं। चूंकि गर्भावस्था के दौरान आपका दिल 50 प्रतिशत ज्यादा खून पंप करता है। इसलिए भी इस समस्या का खतरा ज्यादा रहता है। कुछ मामलों में इसका कारण असंतुलित खानपान, बीमारी आदि होते हैं। इस समस्या के कुछ सामान्य कारण इस प्रकार से हैं।
- मोटापे की वजह से।
- अधिक धूम्रपान करने की वजह से।
- शराब का अधिक मात्रा में सेवन।
- दिल से जुड़ी किसी गंभीर बीमारी की वजह से।
- कमजोर इम्यूनिटी।
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पोस्टपार्टम कार्डियोमायोपैथी के जोखिम (Risk Factors of Postpartum Cardiomyopathy)
हालांकि पोस्टपार्टम कार्डियोमायोपैथी के कोई निश्चित कारण नहीं है इसलिए यह पता लगाना कि किन लोगों को इस बीमारी का खतरा अधिक होता है ये मुश्किल है। हालांकि कुछ शोध और जानकारी के हिसाब से एक्सपर्ट्स इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि इस बीमारी के प्रमुख जोखिम कारक ये हो सकते हैं।
- 30 वर्ष से अधिक उम्र
- गर्भ में एक से ज्यादा बच्चों का होना
- प्रीक्लेम्पसिया या एक्लम्पसिया
- हाई ब्लड प्रेशर
- खून की कमी
- अस्थमा
- शराब का अधिक सेवन
- दिल की गंभीर बीमारी
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पोस्टपार्टम कार्डियोमायोपैथी के लक्षण (Postpartum Cardiomyopathy Symptoms)
आमतौर पर पोस्टपार्टम कार्डियोमायोपैथी की समस्या में दिखने वाले लक्षण दिल की बीमारी और गर्भावस्था में होने वाले लक्षणों के जैसे ही होते हैं। पोस्टपार्टम कार्डियोमायोपैथी की समस्या में मरीज को ये लक्षण हो सकते हैं।
- सांस लेने में दिक्कत (खासकर लेटने पर)
- खांसी
- निचले पैरों, टखनों और पेट में सूजन
- दिल की धड़कन का तेज होना
- अत्यधिक थकान
- गर्दन की नसों में सूजन
- व्यायाम करने में कठिनाई
- छाती में दर्द
- हाई ब्लड प्रेशर
पोस्टपार्टम कार्डियोमायोपैथी का इलाज (Postpartum Cardiomyopathy Treatments)
महिलाओं में इस बीमारी की स्थिति के हिसाब से इसका इलाज किया जाता है। कार्डियोमायोपैथी की वजह से दिल को होने वाले नुकसान का कोई सटीक इलाज नहीं है लेकिन इस स्थिति में डॉक्टर इसके लक्षण खत्म होने तक दवाओं के सेवन की सलाह देते हैं। गंभीर मामलों में इसका इलाज करने के लिए हार्ट ट्रांसप्लांट, या हार्ट पंप ट्रांसप्लांट भी किया जाता है। इस रोग से बचने के लिए खानपान संतुलित होना और दिल की सेहत की खास निगरानी करना फायदेमंद होता है।
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हमें उम्मीद है आपको यह जानकारी पसंद आयी होगी। पोस्टपार्टम कार्डियोमायोपैथी दिल से संबंधित रोग है जो गर्भवती महिलाओं को तकलीफ देता है। इस बीमारी के लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सक की सलाह लेना जरूरी होता है। अगर आपके पास महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े विषयों को लेकर कोई सवाल हैं तो उन्हें आप कमेंट बॉक्स के जरिये हम तक भेज सकते हैं। हम आपके सवाल का जवाब देने की पूरी कोशिश करेंगे।
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