गर्भावस्था के बाद महिलाओं को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। डिलीवरी के बाद महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं जिनकी वजह से कई तरह की समस्याएं होती हैं। डिलीवरी के बाद होने वाले शारीरिक बदलाव और हार्मोनल बदलाव के कारण होने वाली समस्याओं में एक समस्या है लोकिया (Lochia)। प्रसव के बाद रक्तस्राव जिसे पोस्टपार्टम ब्लीडिंग भी कहा जाता है एक सामान्य प्रक्रिया है। लेकिन आपको यह जान लेना बहुत जरूरी है कि इस इस स्थिति में कब आपको डॉक्टर के पास जाने की जरूरत पड़ती है। दरअसल लोकिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें डिलीवरी के बाद महिलाओं को वजाइनल डिस्चार्ज होता है और इस दौरान ब्लीडिंग भी होती है। शरीर द्वारा गर्भ की झिल्लिओं और परतों को इस प्रक्रिया के द्वारा बाहर किया जाता है। आइये विस्तार से जानते हैं इसके बारे में।
क्यों होती है पोस्टपार्टम ब्लीडिंग या लोकिया की समस्या? (What Causes Postpartum Bleeding Lochia?)
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हर महिला को डिलीवरी के बाद पोस्टपार्टम ब्लीडिंग की समस्या से जूझना पड़ता है। यह एक प्रकार का डिस्चार्ज होता है जो पीरियड्स की तरह से होता है। आमतौर पर यह समस्या डिलीवरी के चार सप्ताह बाद तक रहती है। डिलीवरी के बाद चार सप्ताह तक होने वाली डिस्चार्ज और ब्लीडिंग की समस्या को लोकिया की समस्या कहते हैं। इस प्रक्रिया के द्वारा महिला के शरीर से गर्भ में मौजूद परत, झिल्लियां और अन्य गंदगी बाहर होती है। इस स्थिति में महिलाओं को शुरुआत में ज्यादा खून निकलता है जिसके बाद तमाम बलगम और गंदगी बाहर होती है। गर्भावस्था के बाद डिस्चार्ज में ये चीजे शामिल होती हैं।
- गर्भ में बचा हुआ और खराब खून।
- गर्भाशय में मौजूद झिल्लियां और परत।
- सफेद रक्त कोशिकाएं।
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लोकिया की समस्या में महिलाएं क्या करें?
डिलीवरी के ठीक बाद यूट्रस से होने वाला डिसचार्ज पीरियड्स के दौरान होने वाली ब्लीडिंग से अलग होता है। ये वो डिसचार्ज होता है जो डिलीवरी के बाद इनर लाइनिंग से निकलता है। इसे आम भाषा में म्यूकस या वजाइनल डिसचार्ज के नाम से जाना जाता है। इस डिसचार्ज का रंग लाल, भूरा, पीला भी हो सकता है। इस समस्या में महिलाओं को मेटरनिटी या सेनेटरी पैड का इस्तेमाल करना चाहिए। डिलीवरी के बाद होने वाले डिस्चार्ज या ब्लीडिंग की समस्या में आपको टैम्पोन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। शुरुआत में इस समस्या में गंभीर रूप से ब्लीडिंग हो सकती है लेकिन धीरे-धीरे यह म्यूकस और डिस्चार्ज में बदल जाता है। इस दौरान संक्रमण से बचने के लिए आपको साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
कब करना चाहिए डॉक्टर से संपर्क?
पोस्टपार्टम ब्लीडिंग की समस्या को समान्य माना जाता है। इस समस्या में गर्भाशय में मौजूद म्यूकस और अन्य तरल पदार्थ शरीर से बाहर आते हैं। यह ब्लीडिंग और डिस्चार्ज डिलीवरी के कुछ हफ्ते बाद तक रहती है। डिलीवरी के बाद लगभग 4 हफ्तों तक यह समस्या सामान्य रूप से बनी रहती है। लेकिन अगर इस समस्या के दौरान आपको गंभीर रूप से दर्द या तनाव का सामना करना पड़ता है तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर से संपर्क जरूर करना चाहिए। इसके अलावा आपको अगर यह समस्या डिलीवरी के 4 हफ्ते बाद भी बनी रहती है तो चिकित्सक की सलाह के बाद ही दवाओं का सेवन करना चाहिए। डिलीवरी के बाद शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण महिलाओं को डिस्चार्ज के साथ ही मानसिक समस्याएं भी हो सकती हैं। इसके लिए आपको खुद का ध्यान रखना चाहिए। ब्लीडिंग और डिस्चार्ज की समस्या में गंभीर लक्षण दिखने पर महिलाओं को डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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डिलीवरी के बाद के शुरुआती तीन महीने बहुत प्रिशियस होते हैं, इसलिए महिला को पूरी तरह से रेस्ट करना चाहिए। ये तीन महीने उसके शरीर में कई चीजों को बना रहे होते हैं, जिस पर उसकी स्वस्थ प्रेग्नेंसी निर्भर कर रही होती है। इस दौरान ऐसे कोई काम नहीं करने चाहिए, जिससे महिला को नीचे की ओर दबाव हो। इस तरह से ब्लीडिंग की समस्या को रोका जा सकता है।
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