भारतीय परिवार में न चाहते हुए भी कई बार दो बच्चों के बीच भेदभाव हो जाता है। लेकिन हम ऐसा नहीं कह सकते हैं कि माता-पिता ऐसा जानबूझकर करते है। कभी-कभी जाने-अनजाने में ऐसा हो जाता है लेकिन बच्चों का मन बहुत कोमल और सरल होता है। उन्हें छोटी सी बात भी मन पर लग जाती है और अगर समय रहते इन भावनाओं को समझकर माता-पिता दूर नहीं करते तो, आगे चलकर ये बड़ी परेशानी का कारण बन सकती है। आपका बच्चा आपसे दूर होता जाता है। ये बातें कई बार फिल्मों और नाटक के माध्यम से भी समाज में दिखाई जाती है ताकि माता-पिता के रूप में आप इन बातों का ध्यान रखें। लेकिन इस समस्या को दूर करने से पहले आपको समस्या के बारे में जानना जरूरी है। दरअसल भेदभाव भी दो तरीके को हो सकते हैं। पहले तो छोटे-बड़े बच्चे के बीच भेदभाव। अक्सर घरों में ऐसा होता है कि घर के छोटे बच्चे को लोग ज्यादा प्यार करते हैं और बड़े बच्चे पर कम ध्यान देते हैं। ऐसे में बड़े बच्चे के मन में हीन भावना आ सकती है। इसके अलावा अगर दूसरी ओर देखे तो, कई बार हम किसी भी काम को करने के लिए बड़े बच्चे को जिम्मेदारी सौंप देते हैं। हालांकि ऐसा करने के पीछे माता-पिता की सोच होती है कि छोटे बच्चे को काम करने में ज्यादा समय लगेगा तो, इसलिए वे बड़े बच्चे को ही कोई भी काम सौंप देते हैं। लेकिन इस चक्कर में छोटे बच्चे को उसकी अहमियत कम लगती है और उसके मन में हीन भावना आने लगती है।
कुछ ऐसा ही भेदभाव घर में बेटे-बेटियों के बीच देखने को मिलता है। हालांकि ये भेदभाव किसी गलतफहमी में नहीं मानसिकता की वजह से होता है। हमारे घरों में लड़कियों की जगह लड़कों को ज्यादा वैल्यू दी जाती है। इस चक्कर में बेटियां मानसिक और भावनात्मक रूप से कमजोर हो जाती है। उनमें वो आत्मविश्वास नहीं आ पाता है कि वह अपने भाई से बेहतर हो सकती है। इस भावना की वजह से लड़कियों के मन में काफी उथल-पुथल चल रही होती है।
बच्चों के बीच भेदभाव करने के नुकसान (side effects of partiality towards one child)
1. बच्चों में अवसाद
माता-पिता जब किसी एक बच्चे के साथ भेदभाव करते हैं तो, दूसरे बच्चे के मन में काफी असहज भावनाएं उत्पन्न होने लगती है। वह अपने परिवार से खुद को दूर महसूस करने लगते हैं। साथ ही अवसाद से घिर जाते हैं और कभी तो ये स्थिति इतनी खराब हो जाती है कि वह किसी से भी बात तक करना बंद कर देते हैं। साथ ही आत्महत्या तक का प्रयास भी करते हैं। इसलिए बच्चों के कोमल मन का हमेशा ध्यान रखना चाहिए।
2. चिड़चिड़ापन और बदतमीजी
बच्चों के बीच भेदभाव करने के कारण एक बच्चा ज्यादा चिड़चिड़ा और बदतमीज भी हो सकता है। वह आपकी बात नहीं मानता और अपने मन का ही करता है। छोटी-छोटी बातों पर उसे जल्दी गुस्सा आ जाता है। परिवार से दूर रहने की कोशिश करता है तो, आपको बच्चे पर ध्यान देने की जरूरत है।
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3. हमेशा शिकायत करना
आपका बच्चा अगर हमेशा आपसे शिकायत करता है कि आप उससे प्यार नहीं करते हैं तो, उनकी बातों पर आपको गौर करने की जरूरत है। इसे नजरअंदाज न करें या बच्चे पर गुस्सा भी न करें। इससे बच्चे के मन में गलत भावनाएं आती है कि आप सिर्फ भाई या छोटे बच्चे से प्यार करते हैं।
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4. पढ़ाई-लिखाई पर असर
जब बच्चे के मन में हीन भावना आती है तो, बच्चा अंदर से असहाय और अपना आत्मविश्वास खोने लगता है। इसका सीधा असर उनकी पढ़ाई पर भी पड़ता है। ऐसे में बच्चे का प्रदर्शन लगातार खराब होता जाता है। साथ ही पढ़ाई-लिखाई में भी उनका मन नहीं लगता है। कई बार इस बात को माता-पिता समझ नहीं पाते और उन्हें लगता है कि बच्चा बहाने बना रहा है या पढ़ने से भाग रहा है।
5. बॉन्डिंग खराब होना
एक बार अगर बच्चे के मन में ये बात घर कर गई कि आप उससे प्यार नहीं करते या आप उसपर कम ध्यान देते हो तो , बच्चा आपसे दूर जाने लगता है। इससे आपकी बॉन्डिंग भी खराब होने लगती है और इसे समय रहते, अगर आपने ठीक नहीं किया तो बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है। आज के परिवेश में आपका बच्चा भटक भी सकता है। आपको उन्हें प्यार से संभालने की जरूरत होती है।
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बच्चे का डर कैसे दूर करें
1. बच्चे की बातों और व्यवहार पर जरूर ध्यान दें। हर बार बच्चे की हरकत को बदतमीजी कहकर न टालें। उनके मन को समझने की कोशिश करें।
2. अगर आपका कोई बच्चा उदास रहता है या आपसे शिकायत करता है तो, उससे बात कीजिए। उसे समझाने की कोशिश कीजिए।
3. अपने बच्चों को समान रूप से प्यार दीजिए ताकि उन्हें भेदभाव का एहसास न हो।
4. बच्चों के साथ बाहर घूमने जाएं और अपने दोनों बच्चों को समान चीजें लेकर देने की कोशिश करें।
5. अगर कोई बच्चा गलत व्यवहार कर रहा है तो, उसे प्यार से समझाए और ये बात उन्हें बताए कि वह उनके लिए कितना खास है।