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बच्चों को कैसे बनाएं वक्त का पाबंद? एक्सपर्ट से जानें बच्चों को टाइम मैनेजमेंट सिखाने के 7 आसान तरीके

बच्चों को वक़्त का पाबंद होना जरूरी है। ऐसे में माता-पिता कुछ तरीकों को अपनाकर अपने बच्चों को वक्त की कीमत का अहसास करवा सकते हैं।
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बच्चों को कैसे बनाएं वक्त का पाबंद? एक्सपर्ट से जानें बच्चों को टाइम मैनेजमेंट सिखाने के 7 आसान तरीके


अक्सर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा ना केवल आगे बढ़े बल्कि अपनी जिम्मेदारियों को उठाने के काबिल भी बने। हालांकि आजकल के बच्चे अपना ज्यादा से ज्यादा वक्त गैजेट्स जैसे- वीडियो गेम्स, मोबाइल, लैपटॉप आदि पर गुजार देते हैं, जिससे ना ही उन्हें समय की कीमत का अंदाजा होता है और ना ही अपनी जिम्मेदारियों का अनुभव। ऐसे में माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वह बच्चे को न केवल समय की कीमत का एहसास दिलाएं बल्कि उन्हें टाइम मैनेजमेंट भी सिखाएं। ऐसे में कुछ तरीके माता-पिता के बेहद काम आ सकते है। आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि माता-पिता कैसे अपने बच्चों को वक़्त का पाबंद बना सकते हैं। इसके लिए हमने गेटवे ऑफ हीलिंग साइकोथेरेपिस्ट डॉ. चांदनी (Dr. Chandni Tugnait, M.D (A.M.) Psychotherapist, Lifestyle Coach & Healer) से भी बात की है। पढ़ते हैं आगे...

1 - बने खुद उदाहरण

अकसर बच्चे अपने माता-पिता द्वारा की गई एक्टिविटीज को दोहराने की कोशिश करते हैं। ऐसे में सबसे पहले माता-पिता को वक्त की कीमत समझनी जरूरी है। यदि वे बच्चे के सामने वक्त बर्बाद करेंगे या बेकार के कामों में अपना समय व्यतीत करेंगे तो बच्चे भी आपको देखा देख इसी चीज को दोहराएंगे और सीखेंगे। ऐसे में सबसे पहले माता पिता को न केवल समय की कीमत समझनी होगी बल्कि बच्चों के लिए एक उदाहरण भी बनना होगा।

2 - बच्चों को दें इनाम

यदि आपके बच्चे ने कोई काम समय पर पूरा किया है या आपके द्वारा तय समय पर किसी काम को समाप्त कर दिया है तो ऐसे में न केवल उसकी तारीफ करें बल्कि उसके काम की सराहना करते हुए उसे इनाम भी दें। ऐसा करने से वह भविष्य में भी अपने काम को न केवल समय पर पूरा करने के लिए प्रेरित होगा बल्कि यह उसकी आदत का भी हिस्सा बन जाएगा।

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3 - बच्चों को दें घड़ी या कैलेंडर

बच्चों के पास एक घड़ी या कैलेंडर का होना जरूरी है। ऐसा इसलिए क्योंकि वह घड़ी या कैलेंडर को देखकर ही टाइम मैनेजमेंट को समझ पाएंगे। उदाहरण के तौर पर आप कैलेंडर पर या घड़ी पर समय निर्धारित करें कि बच्चे को किस समय उठना है, किस समय पर सोना है, किस समय नहाना है। ऐसा करने से बच्चे उस समय को फॉलो करेंगे और समय पर अपना काम पूरा करने की कोशिश करेंगे।

4 - बच्चे को दिखाएं अपना भरोसा

यदि आपके बच्चे में आत्मविश्वास की कमी है तो हो सकता है कि ऐसे में वह किसी भी काम को थोड़ा धीरे धीरे या रुक रुक कर पूरा करता हो। ऐसे में आपकी जिम्मेदारी है कि आप अपने बच्चे को भरोसा दिखाएं कि वह अपना काम भली-भांति और समय पर पूरा कर सकता है। जब आप अपने बच्चे पर भरोसा रखेंगे तो बच्चे के अंदर भी आत्मविश्वास का विकास होगा।

5 - बातों की कीमत समझाएं

बच्चे को बताएं कि जुबान की कीमत क्या होती है। यदि बच्चे ने किसी से कहा है कि यह काम वो तय समय पर पूरा करके देंगा तो बच्चे को उसी समय पर काम को पूरा करने के लिए प्रेरित करें। ऐसा करने से न केवल सामने वाला व्यक्ति बच्चे की जुबान की कीमत को समझेगा बल्कि उस पर भरोसा भी रखेगा। ऐसे में बच्चे के अंदर भी ईमानदारी का विकास होगा।

6 - छोटे बच्चों का करें मार्गदर्शन

बच्चों को सही राह दिखाना भी माता-पिता की जिम्मेदारी है। ऐसे में केवल कहने मात्र से काम नहीं चलेगा। माता-पिता को समय-समय पर अपनी बच्चों का मार्गदर्शन करना होगा। यदि बच्चे आपके द्वारा द्वारा दिए गए नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं तो ऐसे में उसे प्रेरित करने के लिए आप मार्गदर्शन दें और सही तरीकों को अपनाने के लिए प्रेरित करें।

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7 - बच्चों से ना करें सख्ती

अकसर माता-पिता की आदत होती है यदि बच्चा उनके द्वारा दिए गए काम को पूरा नहीं कर रहा है या वे और बच्चों से थोड़ा सा पीछे है तो वे सख्ती के माध्यम से उसे आगे बढ़ाने के लिए मजबूर करते हैं। पर ऐसा करना गलत है। इससे न केवल बच्चों का मनोबल टूटेगा बल्कि वह खुद को दूसरों से कम भी आंकने लगेगा। ऐसे में माता-पिता को समझना होगा कि हर बच्चा एक जैसा नहीं होता। यदि आपका बच्चा किसी काम को धीरे धीरे कर रहा है तो ऐसे में आप एक्सपर्ट की मदद से उसके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित भी कर सकते हैं।

नोट - ऊपर बताए गए बिंदुओं से पता चलता है कि माता-पिता कुछ तरीकों को अपनाकर अपने बच्चों को वक़्त का पाबंद बना सकते हैं। हालांकि इसके लिए उन्हें थोड़े से धैर्य और अनुशासन की जरूरत है। बच्चों की आदत में एक साथ बदलाव लाना संभव नहीं है। ऐसे में सबसे पहले माता-पिता को खुद के अंदर बदलाव लाने की जरूरी है। तभी वह अपने बच्चे के अंदर भी बदलाव ला सकते हैं। यदि आपके बच्चे को कोई मानसिक समस्या है या आपका बच्चा औरों की तुलना में थोड़ा कम प्रदर्शन देता है तो ऐसे में माता-पिता किसी एक्सपर्ट की मदद ले सकते हैं और अपने बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य को ठीक करने की कोशिश कर सकते हैं।

इस लेख में फोटोज़ Freepik से ली गई हैं।

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