बच्चों की परवरिश के दौरान माता-पिता द्वारा अनजाने में की जाने वाली गलतियां उनके मानसिक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकती हैं। कई बार कुछ पेरेंट्स अनजाने में बच्चों के साथ ऐसा बर्ताव करते हैं जिसका नकारात्मक असर बच्चों पर पड़ता है लेकिन पेरेंट्स को इसके बारे में जानकारी नहीं होती है। बच्चों की परवरिश के दौरान माता-पिता द्वारा उनका भावनात्मक शोषण (Teenage Emotional Abuse By Parents) अनजाने में हो सकता है। आपका बच्चों के साथ नकारात्मक व्यवहार भावनात्मक शोषण या मनोवैज्ञानिक शोषण कहा जाता है और इसकी वजह से बच्चों का विकास तो प्रभावित होता ही है साथ ही उनकी मानसिक सेहत पर इसका प्रभाव बहुत गहरा होता है। कई बार आप अनजाने में बच्चों के भले के लिए कुछ ऐसा व्यवहार अपनाते हैं जिसे मनोवैज्ञानिक और मानसिक रूप से गलत माना जाता है। आइये विस्तार से जानते हैं बच्चों के भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक शोषण के बारे में।
क्या है बच्चों का भावनात्मक शोषण? (What Is Teenage Emotional Abuse By Parents?)
आसान भाषा में कहें तो बच्चों के साथ एक ऐसा व्यवहार का तरीका जिसमें आप अनजाने में बच्चों की भावनाओं को आहत करते हैं। बच्चों का पेरेंट्स द्वारा भावनात्मक शोषण करना व्यवहार का एक पैटर्न है जिसे मनोवैज्ञानिक शोषण या दुर्व्यवहार कहा जाता है। इसकी वजह से बच्चों में आत्म मूल्य की भावना को नुकसान होता है और बच्चों के भावनात्मक विकास पर भी गहरा असर पड़ता है। बच्चों की आलोचना करना और हर बात पर उन्हें धमकी देना या अपमानित करने जैसी आदतें इसमें शामिल होती हैं। बच्चों का भावनात्मक शोषण उनके शारीरिक और यौन शोषण से जुड़ा हुआ भी हो सकता है। कई मामलों में बच्चों का भावनात्मक शोषण इतना सामान्य हो सकता है जिसे आप पहचान नहीं पाते हैं लेकिन इसका असर उनपर बहुत गहरा पड़ता है।
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बच्चों का भावनात्मक शोषण के संकेत (Signs Of Teenage Emotional Abuse)
बच्चों में भावनात्मक शोषण का प्रभाव बेहद हानिकारक और लंबे समय तक दिखने वाला होता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में लाखों बच्चों में भावनात्मक शोषण के लक्षण देखे जाते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक बच्चों में भावनात्मक शोषण का पता लगाना बहुत कठिन होता है आमतौर पर पेरेंट्स द्वारा बच्चों पर हो रहे भावनात्मक शोषण के बारे में बाहर से अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाता है। कई बार बच्चों के व्यवहार से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उस पर भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक शोषण का असर हो रहा है। अक्सर जो बच्चे पहले थोड़ा अलग हुआ करते थे उनके व्यवहार में अचानक बदलाव से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है। बच्चों में भावनात्मक शोषण या मनोवैज्ञानिक दुर्व्यवहार के संकेत इस प्रकार से हैं।
- माता-पिता के नाम से डर।
- बच्चों के स्कूल के प्रदर्शन में गिरावट।
- कम उम्र में बच्चों का डिप्रेशन में जाना।
- खुद के बारे में बुरी बात कहना।
- अन्य बच्चों के साथ खेलकूद या सामाजिक गतिविधियों में भाग न लेना।
- पेरेंट्स में भावनात्मक शोषण के लक्षण -
- बच्चों के प्रति सम्मान की कमी।
- बच्चों के साथ बुरी तरह से बात करना।
- हर बात पर उन्हें धमकाना।
- बच्चों के साथ लगाव या अपनापन नहीं होना।
- बच्चों के जरूरतों के प्रति उदासीन रहना।
- बच्चों को गाली देना या हमेशा बुरी तरह से डांटना।
बच्चों में भावनात्मक शोषण के लंबे समय तक दिखने वाले प्रभाव (Long Term Effects Of Teenage Emotional Abuse)
भावनात्मक शोषण के शिकार बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर इसका गहरा असर होता है। लंबे समय तक भावनात्मक शोषण का शिकार होने वाले बच्चों में कई समस्याएं हो सकती हैं। अमेरिका के पर्ड्यू विश्वविद्यालय द्वारा किये गए एक अध्ययन के मुताबिक भावनात्मक शोषण से ग्रसित बच्चों में मानसिक समस्याएं, भावनात्मक विकास की कमी जैसी समस्या के साथ कैंसर जैसी गंभीर बीमारी भी हो सकती है। भावनात्मक शोषण का शिकार बच्चे नशे की चपेट में आ सकते हैं जो कैंसर जैसी समस्या का प्रमुख कारण माना जाता है।
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भावनात्मक शोषण का शिकार होने वाले बच्चे अक्सर माता-पिता या उनकी देखभाल करने वाले लोगों के दर की वजह से किसी से भी इस बात को शेयर नहीं करते हैं। ऐसे बच्चों में सिर्फ व्यवहार से जुड़ी आदतों और बदलाव को देखकर ही इसका पता लगाया जा सकता है। माता-पिता को हमेशा बच्चों की परवरिश के दौरान इसका ध्यान रखना चाहिए। कई बार कुछ आर्थिक और सामाजिक परिस्थितियों की वजह से पेरेंट्स या बच्चों की देखभाल करने वाले उनके साथ ऐसा व्यवहार करते हैं लेकिन उन्हें इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि इसकी वजह से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और उनके विकास पर गहरा नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
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