व्यक्ति के अलग-अलग स्वभाव होते हैं। कुछ बेहद धैर्य के साथ अपना काम करते हैं तो कुछ आपाधापी में अपने काम को अंजाम देते हैं। जिन लोगों के अंदर धैर्य की कमी होती है उनको भविष्य में दिक्कतों का सामना उठाना पड़ता है। लेकिन अगर बचपन से ही व्यवहार में विनम्रता लाई जाए तो भविष्य भी सरलता से गुजरता है। बता दें कि विनम्र बनने से न केवल बच्चों के मन में दूसरों की मदद करने की भावना जाग्रत होगी बल्कि आप दूसरों से हमेशा विनम्र होकर बातें भी करेंगे। ऐसे में आप कुछ तरीके को अपनाकर अपने बच्चों को विनम्र बना सकते हैं। आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि माता-पिता बच्चों को कैसे विनम्र बना सकते हैं। इसके लिए हमने गेटवे ऑफ हीलिंग साइकोथेरेपिस्ट डॉ. चांदनी (Dr. Chandni Tugnait, M.D (A.M.) Psychotherapist, Lifestyle Coach & Healer) से भी बात की है। पढ़ते हैं आगे..
1 - खुद में बदलाव जरूरी
अगर आप अपने बच्चों को विनम्रता में रहना सिखा रहे हैं तो सबसे पहले ये आदत आपके खुद के अंदर होना जरूरी है। यदि आप बच्चों के सामने लड़ रहे हैं या आपके अंदर धैर्य की कमी है तो वे भी विनम्र होने के बजाय आपकी इन्हीं सब आदतों को अपना लेंगे। ऐसे में सबसे पहले खुद में बदलाव करना जरूरी है। तभी आप अपने बच्चों के व्यवहार में भी बदलाव ला सकते हैं।
2 - दूसरों की मदद करना सिखाएं
माता पिता अपने बच्चों को खुद की गलती मानना सिखाएं। इससे ना केवल उनके मन में विनम्रता की भावना पैदा होगी बल्कि वे झूठ बोलने की आदत और अपनी गलती को दूसरों के ऊपर थोपने की आदत से भी बच पाएंगे। ऐसे में सबसे पहले बच्चों को उनकी गलतियों को स्वीकार करना जरूरी है। तभी आप उनके स्वाभाव में भी बदलाव ला पाएंगे।
3 - दूसरों से करें अच्छा व्यवहार
बच्चों को दूसरों की मदद करना भी सिखाएं। ऐसा करने से ना केवल वह विनम्र स्वभान के बनेंगे बल्कि उनके अंदर एक अच्छी आदत का जन्म भी होगा। जब आप एक दूसरे की मदद करते हैं तो इससे ना केवल मन की शांति मिलती है बल्कि उनके उज्वल भविष्य के लिए भी यह एक अच्छी आदत है, जिसे वे सीखेंगे।
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4 - अहंकार की भावना को करें दूर
बच्चों के अंदर अहंकार की भावना आना सही नहीं है। अहंकार से ना केवल बच्चे अपने अंदर नकारात्मक भावनाओं को पैदा कर सकते हैं बल्कि उनकी सोच भी बंधने लगती है। ऐसे में माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वह बच्चों को अहंकार से दूर रखें। साथ ही उनके अंदर यदि अहंकार की भावना पैदा भी हो गई है तो इसे दूर करने के लिए आप बच्चों को दूसरों के साथ घुलना मिलना सिखाएं। ऐसा करने से उनके अंदर मिलने-जुलने की भावना पैदा होगी और वे दूसरों को समझने के लिए प्रेरित भी होंगे।
5 - महान लोगों की प्रेरणादायक कहानी सुनाएं
बच्चों को प्रेरणादायक कहानी सुना कर बच्चों के अंदर विनम्रता ला सकते हैं। बता दें कि हमारे देश में कई ऐसे महान पुरुषों की कहानियां मौजूद हैं जिनसे ना केवल व्यक्ति को ऊर्जा मिलती है बल्कि वे उनके जैसा बनने के लिए प्रेरित भी होते हैं। ऐसे में आप अपने बच्चों को महान लोगों की प्रेरणादायक कहानियां सुनाएं। ऐसा करने से भी उनके व्यवहार में बदलाव नजर आ सकता है।
6 - दूसरों की प्रशंसा करना सिखाएं
खुद की तारीफ सुनना जितना पसंद है उतना ही दूसरों की तारीफ करना भी जरूरी है। ऐसा करने से न केवल लोग आपकी तरफ आकर्षित होंगे बल्कि आपके अंदर विनम्रता की झलक भी दिखाई देंगी। ऐसे में आप बच्चों में विनम्रता बनाए रखने के लिए और उनके स्वभाव में बदलाव करने के लिए उन्हें दूसरे की तारीफ करना भी सिखाएं। बच्चों को दूसरे के काम की सराहना करनी आना चाहिए।
7 - आपस में रहें मिलजुल कर
बच्चों के अंदर विनम्रता की भावना को पैदा करने के लिए आपस में मिल जुल कर रहना भी जरूरी है। इससे ना केवल उनके अंदर एकाग्रता की भावना पैदा होगी बल्कि उनके स्वभाव में भी धैर्य और विनम्रता दोनों का विकास होगा। इसके अलावा बच्चों को दोस्तों के साथ बाहर खेलने आदि के लिए भी भेज सकते हैं, जिससे न केवल बच्चों का दायरा बढ़ता है बल्कि वे मिलनसार भी बन सकते हैं।
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8 - बच्चों को संस्कृति का ज्ञान होना भी जरूरी
आप अपने बच्चों को संस्कृति के बारे में बताएं। उन्हें बताएं कि बड़ों की इज्जत कैसे की जाती है या दूसरों की मदद जैसे किसी भूखे को खाना खिलाना किसी गरीब का सामान खरीदना आदि से उनका कितना फायदा हो सकता है। ऐसा करने से न केवल बच्चों में अच्छी आदतों का विकास हो पाएगा बल्कि उन्हें अपनी संस्कृति के बारे में भी पता चलेगा।
नोट- ऊपर बताए गए बिंदुओं से पता चलता है कि बच्चों के अंदर विनम्रता की भावनाओं को पैदा करने के लिए सबसे पहले माता-पिता को खुद की आदतों को बदलना जरूरी है। क्योंकि बच्चे वही सीखते हैं जैसा उनके सामने होता है। ऐसे में यदि माता-पिता उनके सामने विनम्र बनके रहेंगे या धैर्य के साथ हर परिस्थिति को हल करेंगे तो बच्चे के अंदर भी उसी आदत का जन्म होगा।
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