बच्चों का मन बेहद कोमल और नाजुक होता है। ऐसे में उनको छोटी से छोटी बात भी ठेस पहुंचा सकती है। वे बहुत जल्दी खुश भी हो जाते हैं और बहुत जल्दी दुखी भी। ऐसे में उनके सामने माता पिता को सामान्य व्यवहार रखना जरूरी होता है। ऐसी एक भावना होती है बच्चों में ईर्ष्या की भावना। यदि बच्चों में ईर्ष्या की भावना पैदा हो जाए तो इसके कारण बच्चे की मानसिक स्थिति पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। बता दें कि ईर्ष्या यानी जलन की भावना किसी भी कारण से पैदा हो सकती है। आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि बच्चों में ईर्ष्या की भावना की किस कारण पैदा होती है। साथ ही लक्षण और बचाव के बारे में भी जानेंगे। इसके लिए हमने गेटवे ऑफ हीलिंग साइकोथेरेपिस्ट डॉ. चांदनी (Dr. Chandni Tugnait, M.D (A.M.) Psychotherapist, Lifestyle Coach & Healer) से भी बात की है। पढ़ते हैं आगे...
बच्चों में ईर्ष्या की भावना पैदा होने के कारण
बच्चों में ईर्ष्या की भावना पैदा होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। ये कारण निम्न प्रकार हैं-
1 - एंग्जाइटी की समस्या
जब बच्चे एंजाइटी की समस्या का शिकार हो जाते हैं तो उनके अंदर ईर्ष्या जैसे लक्षण भी नजर आ सकते हैं। बता दें कि एंग्जाइटी, तनाव, चिंता आदि ये सब मानसिक स्थिति के ही हिस्से हैं जो बच्चे के मन में जलन या ईशा को पैदा कर सकते हैं।
2 - बच्चों के साथ सख्ती करना गलत
कई बार माता-पिता बच्चों पर इतनी रोक लगा देते हैं कि जिसके कारण वे खुद को दूसरे बच्चों से ज्यादा कमजोर समझने लगते हैं। ऐसे में माता-पिता को समझना चाहिए कि बच्चों पर ज्यादा सख्ती करने से बच्चों का आत्मविश्वास कमजोर हो सकता है और वह खुद को दूसरों के मुकाबले कम आंकना शुरू कर सकते हैं। ज्यादा सख्ती के कारण भी बच्चों के अंदर ईर्ष्या की भावना पैदा हो सकती है।
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3- दूसरे बच्चों से तुलना करना
जैसे जैसे बच्चे की उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे बच्चों का दायरा भी बढ़ने लगता है। जब माता-पिता अपने बच्चों की तुलना दूसरों के बच्चों के साथ करते हैं तो इसके कारण बच्चे के मन में ईर्ष्या पैदा हो सकती है। उसे ऐसा महसूस हो सकता है कि उसके माता-पिता उससे प्रेम नहीं करते और उसे हर वक्त नीचा दिखाते रहते हैं। माता-पिता को लगता है कि दूसरे बच्चों से तुलना करने पर उनका बच्चा अच्छा परफॉर्म करेगा। पर ऐसा नहीं है तुलना करने से बच्चे का आत्मविश्वास और कमजोर होता है।
4 - बच्चों को भरपूर प्यार देना
माता-पिता अपने बच्चों को इतना प्यार देते हैं कि उसे उसके माता-पिता किसी और के पास जाते हुए अच्छे नहीं लगते। जब माता-पिता किसी और के बच्चे को या दूसरे को इतना प्यार देते हैं तो बच्चे को यह स्वीकार नहीं होता और इसके कारण भी उनके मन में ईर्ष्या की भावना पैदा हो जाती है। ऐसे बच्चे अपने माता-पिता का भरपूर अटेंशन पाना चाहते हैं।
5 - बच्चों के लिए ओवरप्रोटेक्टिव
माता-पिता बच्चों को ज्यादा प्रोटेक्टिव करना शुरू कर देते हैं। ऐसा करना गलत है। ज़्यादा ओवरप्रोटक्शन की परिस्थिति में बच्चा सुरक्षित रहने के लिए हर वक्त माता पिता पर ही निर्भर रहता है। अगर माता-पिता किसी दूसरे बच्चे को इतना अटेंशन या इतना ओबर प्रोटेक्शन वाला माहौल देंगे तो इससे भी बच्चों के मन में ईर्ष्या की भावना पैदा हो सकती है।
इससे अलग कुछ और भी परिस्थितियां होती हैं, जिसके कारण बच्चे के मन में ईर्ष्या की भावना पैदा हो सकती है। जैसे उसके भाई-बहन होने पर माता-पिता भाई बहनों को ज्यादा प्रेम दें, जुड़वा बच्चा होने पर माता-पिता किसी एक पर ज्यादा ममता लुटाएं। तब भी दूसरे बच्चे के मन में इस प्रकार की भावना पैदा हो सकती हैं।
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बच्चों में ईर्ष्या की भावना पैदा होने पर दिखाई देने वाले लक्षण
1 - दूसरों के साथ ज्यादा घूल-मिल ना पाना।
2 - एंग्जाइटी या डिप्रेशन की समस्या का शिकार हो जाना।
3 - दूसरे बच्चों को धमकाना।
4 - घर पर गलत व्यवहार करना।
5 - बच्चों में घबराहट की शिकायत महसूस होना।
6 - दूसरों के खिलाफ झूठी शिकायतें करना।
7 - हर वक्त उदास रहना।
8 - चिड़चिड़ाहट महसूस करना।
9 - दूसरों के लिए अच्छी सोच ना रखना।
10 - सभी से गुस्से में बात करना।
माता-पिता कैसे करें ईर्ष्या की भावना से बचाव
बता दें कि कुछ तरीकों को अपनाकर इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है-
1 - माता पिता ध्यान दें कि यदि उनके घर में एक से ज्यादा बच्चे हैं तो वे सभी को सामान समय दें, जिससे उनकी मानसिक और सामाजिक स्थिति माता पिता को समझ में आए।
2 - माता पिता का बच्चों के साथ दोस्ती का रिश्ता बनाना जरूरी है। ऐसे में वे उनकी पढ़ाई में या खेलकूद में उनका साथ दे सकते हैं। इसके अलावा कुछ सीक्रेट शेयर करने से भी बच्चों को अपनी महत्ता का पता चलता है।
3 - यदि आपके घर में दो बच्चे हैं तो माता-पिता को कभी भी किसी एक बच्चे के लिए समान ना लाएँ। वे दोनों के लिए एक जैसे सामान लाएं। या एक समान का बराबरी से बटवारा करें। ऐसा करने से बच्चे के मन में ईर्ष्या की भावना नहीं आएगी।
4 - यदि आप किसी और बच्चे के साथ समय व्यतीत कर भी रहे हैं तो अपने बच्चे को परिस्थिति के बारे में समझाएं और उसे यह अहसास भी कराएं कि उसका स्थान कोई नहीं ले सकता। ऐसा करने से बच्चा संतुष्ट महसूस करेगा और उसके अंदर ईश्वर की भावना पैदा नहीं होगी।
नोट - ऊपर बताए गए बिंदुओं से पता चलता है कि कुछ परिस्थितियों के कारण बच्चे के मन में ईर्ष्या की भावना पैदा हो सकती है। ऐसे में माता पिता को समय रहते इस समस्या से बचाव करना जरूरी है। बता दें कि ईर्ष्या के कारण बच्चे अपने दायरा को कम कर लेते हैं और वे भेदभाव की भावना का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में समय रहते बचाव जरूरी है।
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