अक्सर आपने देखा होगा कि टीनएज के बच्चे कभी-कभी बेहद खुश नजर आते हैं तो कभी-कभी अचानक से एकदम ढले और थके हुए नजर आते हैं। कभी वह उत्साहित रहते हैं तो कभी एकदम गुस्से में या उदास रहते हैं। यह समस्या मूड स्विंग की होती है। टीनएज में मूड स्विंग की समस्या आम है। लेकिन इसके कारण कभी-कभी बच्चे खुद का ही नुकसान कर लेते हैं। ऐसे में माता पिता का फर्ज है कि टीनएज में मूड स्विंग की समस्या को कंट्रोल किया जाए और बच्चों की मदद की जाए। आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि टीनएज में मूड स्विंग की समस्या से कैसे निपटा जाए। इसके लिए कुछ टिप्स माता-पिता के बेहद काम आ सकते हैं। इसके लिए हमने गेटवे ऑफ हीलिंग साइकोथेरेपिस्ट डॉ. चांदनी (Dr. Chandni Tugnait, M.D (A.M.) Psychotherapist, Lifestyle Coach & Healer) से भी बात की है। पढ़ते हैं आगे...
1 - माता पिता की सलाह जरूरी
अक्सर माता-पिता अपने बच्चे के मूड स्विंग होने पर उसे सही सलाह देने के बजाय सीधे सॉल्यूशन यानि हल देते हैं। जबकि वह यह भूल जाते हैं कि इस उम्र में बच्चे खुद अपनी जिम्मेदारी उठाना चाहते हैं। माता-पिता को पता है कि उनके बच्चे का मूड बार-बार बदल रहा है तो वे बच्चों को उनकी समस्याएं खुद हल करने दें लेकिन उन्हें ऐसे समय में अकेला ना छोड़ें बल्कि बच्चों को हर गलत निर्णय लेने पर या खुद को हर्ट करने पर समय-समय पर सलाह देते रहें।
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2 - बच्चे के मूड को समझें
टीनएज के मूड स्विंग होने पर माता पिता को उसके मूड के बारे में पता होना चाहिए। अगर माता-पिता सही से उसके मूड को नहीं समझ पाएंगे तो वह बच्चे को सही राय भी नहीं दे पाएंगे। ऐसे ये जानना जरूरी है कि बच्चे का मूड किन परिस्थितियों में बदलता है। उसके बाद वे अपने बच्चे को उन परिस्थितियो के बारे में समझाएं। और उन परिस्थितियों को कैसे हैंडल करना है इसके बारे में भी बताएं। अगर बच्चा ज्यादा खुश है तो उस बच्चे को समझाएं कि उसे किस चीज से खुशी मिलती है। वहीं थोड़ी देर बाद अगर वह उदास नजर आए तो उस समय भी बच्चे से पूछें कि वह क्यों उदास है। ऐसा करने से बच्चे को अपने मूड और व्यवहार दोनों के बारे में पता चलेगा। और वे उन परिस्थितियों को स्वीकार कर पाएंगा।
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3 - धैर्य बनाए रखें
कभी-कभी माता-पिता बच्चों के मूड स्विंग होने पर उन्हें सही राह तो दिखा देते हैं लेकिन जब बच्चा उस राह को नहीं अपना पाता या उसे अपनाने में दिक्कत होती है तो माता-पिता उसपर अपने विचारों को थोपना शुरू कर देते हैं। ऐसा करना गलत है। माता-पिता को यह समझना चाहिए कि बच्चे में मूड बदलने की समस्या एक साथ ठीक नहीं हो सकती। ऐसे में यदि बच्चे कोई गलती कर रहा है तो माता पिता उसकी समस्या को नियंत्रित करने में उसकी मदद करें। साथ ही धैर्य बनाए रखें। ऐसे में बच्चे के अंदर धीरे-धीरे बदलाव आएगा।
4 - बच्चे की जीवन शैली हो अच्छी
बच्चे का मूड स्विंग कभी-कभी माता-पिता के झगड़े या घर पर नकारात्मक ऊर्जा के कारण बदल सकता है। ऐसे में माता-पिता घर के माहौल को अच्छा रखें और अपने आपसी मतभेद या झगड़े को बच्चों के सामने ना लाएं। इससे अलग बच्चे का पर्याप्त मात्रा में नींद लेना, उसकी थकान का दूर होना, समय पर भोजन करना, समय पर सोना और उठना आदि चीजों का ध्यान रखना भी माता-पिता की जिम्मेदारी है। बता दें कि इन सब चीजों के कारण भी बच्चे का मूड स्विंग हो सकता है।
5 - बच्चे का दें साथ
मनोभावों को समझना या उनको अपने नियंत्रण में लाना आसान नहीं है। ऐसे में बच्चों के साथ-साथ बड़ों को भी इस पर काम करने की जरूरत है। अगर आप बच्चे के असफल होने पर उसका साथ देंगे तो वह दोबारा से अपने व्यवहार पर काबू पाने की कोशिश करेगा। ऐसे में आप बच्चे के साथ उसके मनपसंद गाने सुनें, उसके साथ वॉक पर जाएं, घर पर किसी पालतू जानवर को पालें, उसके साथ कुकिंग करें। परिवार के साथ वक्त बिताएं आदि। ऐसा करने से बच्चे का ध्यान अपने व्यवहार से हटकर दूसरी चीजों पर लगेगा। साथ ही आप अपने बच्चे से भी उसकी मनपसंद चीजों की सूची बनवा सकते हैं और उस पर काम कर सकते हैं।
6 - बच्चे को थोड़ा समय दें
जब बच्चे किशोरावस्था में होते हैं तो वह अपने निर्णय, अपने काम, अपने आसपास मौजूद उनसे संबंधित चीजों को खुद करना चाहते हैं। ऐसे में वे यह भी चाहते हैं कि उनके मूड स्विंग की समस्या का समाधान भी वे खुद निकालें। माता पिता का फर्ज है कि वह अपने बच्चों को थोड़ा सा समय दें और अपने बच्चे को उसके भावों और परिस्थितियों के बारे में बताएं। अगर माता-पिता जबरदस्ती बच्चे से इस विषय पर बात करेंगे तो हो सकता है कि बच्चा आपकी बात को ना समझें और भविष्य में भी आपसे अपनी परेशानियों को लेकर बात ना करें।
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7 - नए तरीकों से बनाएं बच्चों से संपर्क
हमें पता है कि बच्चों की दुनिया उनके दोस्तों, माता पिता, परिवार आदि सदस्यों के इर्द-गिर्द घूमती रहती है। ऐसे में माता-पिता अपने बच्चों के लिए थोड़ा सा समय निकालें और उनके साथ बाहर घूमने जाएं या घर पर भी अपना थोड़ा समय केवल अपने बच्चे के नाम करें। ऐसे में वे उनसे पूछे कि उनकी जिंदगी में क्या चल रहा है, उन्हें किस बात से परेशानी है। अगर माता-पिता स्पेशल टाइम नहीं निकाल पा रहे हैं तो वे जब भी अपने बच्चे को स्कूल छोड़ कर आएं या उन्हें शॉपिंग पर लेकर जाएं तो उस दौरान भी अपने बच्चे से इस पर बात कर सकते हैं।
8 - बदलते मूड को कैसे रोकें
अगर आपके बच्चे को पता है कि उसका मूड जल्दी-जल्दी बदलता है और इससे उसके भविष्य को नुकसान पहुंच सकता है तो माता-पिता उसे कुछ तरीकों के माध्यम से ठीक करने की सलाह दें। जैसे बच्चे से कहें कि वे 10 से 1 तक उल्टी गिनती गाए और बार-बार दोहराता रहे। या अगर उसे गुस्सा आए तो किसी गाने को या कोई मनपसंद काम करें। वहीं अगर वे उदास महसूस कर रहा है तो बच्चे का ध्यान दूसरी चीजों में लगाएं। और अगर उसका मूड ठीक नहीं हो रहा तो डॉक्टर से भी संपर्क कर सकते हैं।
नोट - ऊपर बताए गए बिंदुओं से पता चलता है कि बच्चों में मूड स्विंग की समस्या उनके भविष्य के लिए खराब हो सकती है। ऐसे में माता-पिता समय रहते बच्चों की समस्या को दूर करने के लिए ऊपर बताए गए तरीकों को अपना सकते हैं। इससे अलग बच्चा अपने मनोभावों पर नियंत्रण नहीं पा रहा है तो माता-पिता किसी मनोचिकित्सक से भी बात कर सकते है और इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
इस लेख में फोटोज़ FREEPIK से ली गई हैं।
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