
सभी माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा जीवन में कामयाब हो। इसके लिए स्कूल के दिनों से लेकर करियर के सेट होने तक ज्यादातर अभिभावक बच्चों को हर तरह का सपोर्ट देते हैं और उनको गाइड करते हैं। इसके बाद भी कई बार बच्चे वो नहीं कर पाते हैं, जो उनके लिए सही हो। कई बार ऐसा भी होता है कि बच्चों को इस बात की समझ ही नहीं होती है कि उन्हें क्या करना चाहिए और कैसे करना चाहिए। ज्यादातर मामलों में इन बातों के मूल में कहीं न कहीं कॉन्फिडेंस की कमी, मेहनत की कमी और विचारशीलता की कमी दिखेगी। ऐसे में हर मां-बाप का ये फर्ज है कि बच्चे पर हर समय इस बात के लिए नजर रखने के बजाय कि बच्चा कुछ गलत न कर बैठे, इस बात पर ध्यान दें कि बच्चा सही निर्णय लेना सीखे और उसमें ये समझदारी पैदा हो कि वो अपना सही-गलत खुद समझ सके। इस काम में माता-पिता नीचे बताए गए तरीकों से बच्चों की मदद कर सकते हैं।
1. बच्चे के साथ ज्यादा समय बिताएं
बच्चे में आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए माता-पिता को उसके साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चाहिए। बच्चे की छोटे से छोटी गतिविधियों में उसके साथी बनें। इससे न सिर्फ आप बच्चे को बेहतर समझेंगे, बल्कि उसके नजरिए से बातों को देखने लगेंगे।
2. बच्चे के साथ अच्छा रिश्ता रखें
जिम्मेदार माता-पिता और शिक्षक के नाते हमें बच्चे के साथ सुरक्षित और पक्का रिश्ता पैदा करने के लिए प्रयास करना चाहिए। इससे बच्चे के साथ आपका संबंध गहरा होगा और बच्चा अधिक सुरक्षित और आश्वस्त महसूस करेगा।
3. बच्चे के मेहनत की तरीफ करें
बच्चे के मेहनत की हमेशा सराहना करें। वास्तविक परिणाम कुछ भी हो कोशिश की तारीफ होनी चाहिए ताकि बच्चा महसूस करे कि उसके काम की तारीफ हो रही है।
कोई भी नहीं चाहता कि उसका बच्चा किसी भी खतरे का सामना करे। फिर भी जरूरी है कि बच्चे को हर स्थिति का सामना करना सीखने का मौका दिया जाए। इसलिए संकट में ढाल बननें के बजाय उन्हें सहारा देने के लिए साथ रहें। कठिन स्थितियों से निपटने के लिए उन्हें स्वयं तैयार होने का मौका दें।
इसे भी पढ़ें: बच्चों को घर पर व्यस्त रखने के लिए अपनाएं ये 7 क्रिएटिव तरीके, सीखेंगे कई नई चीजें और नहीं करेंगे परेशान

4. बच्चे की क्षमताओं पर भरोसा करें
माता-पिता और शिक्षक होने के नाते हमें बच्चे की क्षमताओं पर भरोसा करना चाहिए। बहुत अधिक आशावादी भी नहीं होना है और बच्चे को मनमर्जी करने की छूट भी नहीं देनी है लेकिन बच्चे को हार मानने से पहले अपनी दिलचस्पी का काम करने की कोशिश करने का पर्याप्त मौका अवश्य दिया जाना चाहिए।
5. बच्चे की किसी से तुलना न करें
बच्चे के व्यवहार पर छींटाकशी करने या उस पर कोई ठप्पा लगाने से बच्चे का आत्मविश्वास कमजोर होता है और वह अपनी ही नजरों में गिर जाता है। बच्चे की तुलना भाई-बहनों, साथियों या अपने आप से करने का बच्चे की आत्मकुशलता पर बहुत विपरीत असर पड़ सकता है।
6. बच्चे की कमजोरियों के बजाय गुणों पर ध्यान दें
हमेशा बच्चे की कमजोरियां गिनाने के बजाय उसके गुणों पर ध्यान देना जरूरी है। बच्चे को अपनी रुचि और प्रतिभा के हिसाब से आगे बढऩे दें और उसकी मेहनत की तारीफ करने या बधाई देने में कंजूसी न करें।
7. बच्चे को काल्पनिक उम्मीदों से बचाएं
बच्चों के लिए यह समझना बेहद जरूरी है कि आगे की जिन्दगी में उतार-चढ़ाव आते रहेंगे। बहुत अधिक आशावादी होने से काम नहीं चलता क्योंकि उस स्थिति में हार को सह पाना और कठिन हो जाता है। ऐसे में बच्चों को उन बातों और कारणों के असर को समझना सीखने में मदद देनी चाहिए जिन पर उनका वश नहीं है। उन्हें बड़ी-बडी काल्पनिक उम्मीदों से बचाना चाहिए।
इसे भी पढ़ें: माता-पिता इन 9 तरीकों से सिखाएं अपने बच्चों को स्कूल में कैसे करें अपनी सुरक्षा

8. सिखाएं हार न मानना
मजबूत और आश्वस्त होने के लिए उन्हें हर असफलता या निराशा पर नाउम्मीद न होना सीखना पड़ेगा। उन्हें जोश रखना है और हार नहीं माननी है।
9. सिखाएं असफलता का सामना करना
जीवन में हम सब को असफलता का सामना करना ही पड़ता है। ऐसे वक्त में बच्चे को सहारा देने के लिए हमारा मौजूद रहना जरूरी है। लेकिन आप हमेशा नहीं रहेंगे। इसलिए बच्चे को असफलता में भी कुछ पॉजिटिव ढूंढकर आगे बढ़ना सिखाएं।
10. खुद बनें रोल मॉडल
आत्मविश्वास बच्चे को सिखाया नहीं जा सकता। बच्चों के मन पर हर बात की छाप बहुत जल्दी लगती है और वे अपने आसपास की घटनाओं को देखकर बहुत कुछ सीखते हैं। मातापिता और शिक्षकों को बच्चों के लिए रोल मॉडल यानि आदर्श बनना होगा।