Exclusive Interview of Actor Sandeep Kumar: चकाचौंध से भरी यह फिल्मी दुनिया हर किसी के लिए एक जैसी नहीं होती! हर साल हजारों लोग यहां अपनी किस्मत आजमाने आते हैं, लेकिन अच्छे मौके न मिलने के कारण अधूरे सपनों के साथ वापस लौट जाते हैं। कुछ लोगों को यहां आगे बढ़ने के लिए रास्ता नहीं मिल पाता, तो वहीं कई लोग पहचान बनाने के लिए सालों तक लड़ते रहते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ एक्टर संदीप यादव के साथ, जिन्हें अपनी पहचान बनाने के लिए कई सालों तक संघर्ष करना पड़ा। एक्टर संदीप यादव को आपने कई फिल्मों और वेब सीरीज में देखा होगा। इन्होंने थप्पड़, बाटला हाउस, गुलाबो-सिताबो, हेट स्टोरी जैसी फिल्मों के साथ कई बेहतरीन वेब सीरिज में भी काम किया है। ओनलीमायहेल्थ के साथ हुई खास बातचीत में एक्टर संदीप ने बताया कि करियर की शुरुआत में उन्हें गंभीर डिप्रेशन का सामना भी करना पड़ा है। इसके कारण वह पूरी तरह से हिम्मत हार चुके थे और अपना आत्मविश्वास भी खोने लगे थे। तभी एक उम्मीद की किरण संदीप की जिंदगी आई, जिसने उन्हें डिप्रेशन से बाहर आने में मदद की। ओनलीमायहेल्थ की इस स्पेशल मेटल हेल्थ सीरीज में हम आपको बताएंगे एक्टर संदीप की डिप्रेशन से बाहर आने की कहानी।
मुंबई आने के बाद शुरू होने लगी परेशानियां
अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत करने के लिए संदीप मुंबई आ गए थे, जिसके कुछ समय बाद ही उनकी परेशानियां शुरू होने लगी। करियर की शुरुआत में संदीप को काम मिलना काफी मुश्किल हो गया था, इस कारण उन्हें छोटे-छोटे रोल्स पाने के लिए भी बहुत मेहनत करनी पड़ती थी।
इन सभी चीजों से संदीप का खुद से भरोसा कम होने लगा, उन्हें लगने लगा था कि शायद उनके अंदर ही कोई कमी है। इस दौरान उन्हें अपने परिवार से भी सपोर्ट नहीं मिल रहा था, जो उन्हें इमोशनली बहुत ज्यादा दुख पहुंचाता था।
इस बारे में बात करते हुए संदीप कहते हैं कि “मेरे पास मकान का किराया देने, यहां तक की मोबाइल रिचार्ज कराने के भी पैसे नहीं हुआ करते थे। अपने परिवार से भी इस बारे में बात नहीं कर सकता था, क्योंकि वो पहले ही मेरे काम को लेकर नाराज थे। एक बार कहीं रहने का ठिकाना न मिलने पर मैं अपना सामान ट्रक में भरकर दोस्तों के यहां भटक रहा था। इन सभी चीजों के बारे में सोच-सोचकर मैं धीरे-धीरे डिप्रेशन में जाने लगा।”
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संदीप को डिप्रेशन का पता कैसे चला
इन प्रश्न का गंभीरता से उत्तर देते हुए संदीप बताते हैं कि “मेरा रूटीन अचानक से अपने आप बदलने लगा था…मैं दिनभर सोता रहता था और रात में लंच कर रहा होता था। इस दौरान मैं खुद लोगों से दूरी बनाने लगा था और ज्यादातर समय अकेले रहना पसंद करता था।”
एक्टर संदीप को जब खुद में बहुत ज्यादा बदलाव नजर आने लगे, तो उन्होंने डॉक्टर से संपर्क किया। उनसे बातचीत करके संदीप को डिप्रेशन से ग्रस्त होने का पता चला।
जानिए एक्टर संदीप से कैसे दी डिप्रेशन को मात
जब हमने संदीप से डिप्रेशन से बाहर आने के अनुभव के बारे में पूछा, तो उन्होंने इस बारे में काफी कुछ जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस दौरान वह बिल्कुल अकेले पड़ गए थे। इस बारे में न ही वो अपने परिवार से बात कर सकते थे और न ही अपने दोस्तों को समझा सकते थे।
संदीप बताते हैं कि उनके डॉक्टर ने उन्हें डिप्रेशन से बाहर आने में बहुत मदद की। उन्होंने न सिर्फ संदीप को हील होने के लिए दवा दी, बल्कि समय-समय पर उनकी काउंसलिंग भी की।
इस पर बात करते हुए संदीप कहते हैं कि “उन्होंने मुझे कुछ समय के लिए काम छोड़ने की सलाह दी… जिसके बाद मैं कुछ महिनों के लिए अपने गांव चला गया। हालांकि इससे उभरने में मुझे कई साल लगे… लेकिन 2015-2016 के बीच मुझे गंभीर डिप्रेशन रहा।”
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गांव आने के बाद मैने खुद पर काम करना शुरू किया… मैं मोटिवेशनल किताबें पढ़ता था और मोटिवेशनल चीजें सुनता था…. इन सभी चीजों से मुझे काफी मदद मिलती थी। शुरुआती कुछ दिनों तक मैनें विपश्यना मेडिटेशन भी किया…. जिससे मुझे अपने इमोशंस कंट्रोल करने में मदद मिली।”
“डिप्रेशन के अनुभव से बहुत कुछ सीखा”- एक्टर संदीप यादव
संदीप कहते हैं कि अपने इस अनुभव से उन्होंने बहुत कुछ सीखा है। इसके बाद वह पहले से ज्यादा कॉन्फिडेंट हो गए हैं। संदीप कहते हैं कि “रात को सोते समय कभी भी अगले दिन की टेंशन लेकर नहीं सोना चाहिए… क्योंकि यह आपके दिमाग पर बुरा असर डाल सकती है।”
एक्टर संदीप की स्थिति के बारे में ज्यादा जानने के लिए हमने बात कि सर गंगाराम हॉस्पिटल की सीनियर क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ.आरती आनंद से।
इस बारे में बताते हुए डॉ.आरती कहती हैं कि डिप्रेशन की इस स्थिति में व्यक्ति का खुद से भरोसा कम होने लगता था। किसी का साथ न मिलने के कारण वह खुद को बहुत अकेला महसूस करने लगता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति गहरे सदमे का शिकार भी हो सकता है।
इस स्थिति में व्यक्ति में कुछ खास लक्षण नजर आने लगते हैं- Symptoms of Depression
- खुद पर भरोसा कम होते जाना या खुद को किसी काबिल न मानना।
- किसी चीज के बारे में सोचते हुए खुद में खो जाना या आसपास का अहसास न होना।
- किसी के साथ की कमी महसूस करना और बिना कारण अफसोस करना।
- दिनभर थकावट, कमजोरी और सुस्ती महसूस होना और हर काम में आलस आना।
- सोने में परेशानी, बहुत ज्यादा या बहुत कम नींद आना।
- रोजमर्रा के कामों में मन न लगना और बार-बार गलतियां होना।
डिप्रेशन की इस स्थिति से कैसे बाहर आएं- How To Deal With Depression
- करियर में कोई भी परेशानी आने पर लोग सबसे ज्यादा निगेटिव होने लगते हैं। लेकिन इसके कारण आपका ध्यान आवश्यक चीजों से भी हट सकता है। इसलिए निगेटिव चीजों के बारे में ज्यादा न सोचें।
- खुद को खाली रखने के बजाय आप अपने मनपसंद कार्यों पर ध्यान लगा सकते हैं। इससे आपको मोटिवेशन मिलेगा और आगे बढ़ने में मदद भी मिलेगी।
- अगर आपको कोई बात परेशान कर रही है, तो अपनी भावनाएं दबाए रखने के बजाय लोगों से शेयर करना शुरू करें। इसके लिए आप किसी दोस्त या करीबी व्यक्ति की मदद ले सकते हैं। लेकिन अगर आपके लिए भावनाओं पर निंयत्रण करना मुश्किल हो रहा है, तो एक्सपर्ट से बात करें।
ओनलीमायहेल्थ की स्पेशल सीरीज 'मेंटल हेल्थ मैटर्स' में हम कुछ ऐसी ही कई कहानियां आपके साथ शेयर कर रहे हैं, जिससे आप हर मुश्किल स्थिति के लिए खुद को मानसिक तौर पर तैयार कर सकें। अपनी इस स्पेशन सीरीज में हम छोटे और बड़े पर्दे के उन हस्तियों की कहानियां आपको बता रहे हैं, जिन्होंने अपनी जिंदगी में कभी न कभी किसी मानसिक स्थिति का सामना किया है। इस सीरीज में हम हर मंगलवार को एक नई कहानी आपसे साझा करते हैं, ज्यादा जानने के लिए आप हमारे सोशल अकाउंट पर भी हमसे जुड़ सकते हैं।