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डिप्रेस्ड फेज में खुद को मोटिवेट रखती हैं तन्वी गीता रविशंकर, बॉडी पॉजिटिविटी इंफ्लुएंसर से जानें उनकी कहानी

काम के साथ जिंदगी के उतार-चढ़ाव को कैसे संभाला जाए, इसका बेहतर उदाहरण है इन्फ्लूएंसर तन्वी गीता रविशंकर। आइए उन्हीं से समझें इस लेख में।  
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डिप्रेस्ड फेज में खुद को मोटिवेट रखती हैं तन्वी गीता रविशंकर, बॉडी पॉजिटिविटी इंफ्लुएंसर से जानें उनकी कहानी


How Depressed Phase Affects Our Life: उतार-चढ़ाव आना हमारी जिंदगी का हिस्सा है। अगर आज आपकी जिंदगी में दुख-दर्द है, तो कल खुशियां भी आएंगी। लेकिन कई बार लोग मुश्किलों के सामने हार मान लेते हैं। ऐसे में वो अपने काम और निजी जिंदगी को एक साथ संभाल नहीं पाते और हार मान लेते हैं। जिंदगी में कोई भी बड़ी परेशानी आना एक फेज ही होता है। लेकिन अपने बुरे फेज में हिम्मत बनाए रखना सबसे जरूरी है। इस बात का जीता-जागता उदाहरण है इंफ्लूएंसर तन्वी गीता रविशंकर। तन्वी एक फैशन इंफ्लूएंसर हैं जो ब्यूटी, फैशन और बॉडी पॉजिटिविटी पर खुलकर बात करती हैं। तन्वी ने कई इंटरव्यू में बॉडी पॉजिटिविटी के बारे में बात की। उनका कॉन्फिडेंस और मोटिवेशन किसी को भी इंस्पायर कर सकता है। लेकिन जिस तरह से हर किसी की जिंदगी में डार्क फेज होता है, उसी तरह से तन्वी भी काफी समय से डिप्रेस्ड फेज फेस कर रही हैं। ओनलीमायहेल्थ को दिए इंटरव्यू में तन्वी मे बताया कि कैसे उन्होंने जिंदगी के डिप्रेस्ड फेज को मैनेज करना सीखा है। साथ ही वो कैसे खुद को काम और पर्सनल लाइफ के लिए मोटिवेट रख पाती हैं। तो आइए ओनलीमायहेल्थ की स्पेशल सीरीज मेंटल हेल्थ मेटर्स में जानें तन्वी गीता रविशंकर कैसे डिप्रेस्ड फेज को मैनेज करती हैं। 

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"कई बार बेवजह रोना आने लगता है"- तन्वी गीता रविशंकर

अपनी मेंटल हेल्थ पर बात करते हुए तन्वी ने कहा कि कई बार आपको खुद नहीं पता होता कि आपके साथ क्या हो रहा है। हालांकि इसका कोई कारण नहीं होता लेकिन फिर भी आप अच्छा महसूस नहीं कर रहे होते हैं। अपने अनुभव के बारे में बताते हुए तन्वी कहती हैं "मेरी जिंदगी में सब कुछ अच्छा चल रहा था, फिर भी मुझे अजीब महसूस होता था। इस दौरान मैं बहुत ज्यादा सेंसिटिव हो गई थी.... कभी-कभी बिना वजह रोना भी आ जाता था। 

मेडिकल हेल्प से समस्या का पता चला

तन्वी कहती हैं कि "कई बार जब हम लो फील करते हैं, तो हमें लगता है कि यह जिंदगी का हिस्सा ही है। मुझे अपनी परेशानी का पता मेडिकल हेल्प के जरिए चला।" अपनी परेशानी का पता चलने के बाद तन्वी ने सही तरह से ट्रीटमेंट लेना शुरू किया।

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जानें अपने डिप्रेस्ड फेज में कैसे डील करती हैं तन्वी 

तन्वी ने बताया कि जब वो डिप्रेस्ड फील करती हैं, तो उनके लिए काम पर ध्यान देना मुश्किल हो जाता है। खुद को मोटिवेट रखने के लिए तन्वी छोटी-छोटी चीजों में खुशियां ढूढ़ती हैं। तन्वी उन सभी चीजों को करती हैं जिनसे उन्हें खुशी मिलती है।

तन्वी के उदाहरण से हमने समझा कि कैसे मेंटल हेल्थ पर ध्यान न देने से परेशानी बढ़ सकती है। तन्वी की स्थिति के बारे में ज्यादा जानने के लिए हमने बात कि सर गंगाराम हॉस्पिटल की सीनियर क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ.आरती आनंद से।  

डॉक्टर के मुताबिक डिप्रेस्ड फेज भी डिप्रेशन की शरुआत हो सकता है। इसमें व्यक्ति अपने इमोशंस पर कंट्रोल नहीं रख पाता है। ऐसे में व्यक्ति बिना कारण परेशान महसूस करने लगता है। अगर समय रहते इस पर काम न किया जाए, तो यह डिप्रेशन का कारण भी बन सकता है। 

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डिप्रेस्ड फेज से कैसे डील करें- How To Deal With Depressed Phase

  • अगर आपके लिए इमोशंस कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा है, तो अपने किसी करीबी से बात करें। इसके अलावा आप डॉक्टर्स से भी संपर्क कर सकते हैं।
  • हेल्दी लाइफस्टाइल फॉलो करें और तनाव से दूरी बनाएं। इससे आपको डिप्रेस्ड फेज से डील करने में मदद मिल पाएगी। 
  • इस दौरान उन चीजों पर ज्यादा ध्यान लगाएं जिनसे आपको खुशी मिलती है। इससे आपको अपनी परेशानी से डील करने में मदद मिलेगी।

इस लेख में हमने देखा कि अपनी मेंटल हेल्थ को नजरअंदाज करना हमें कितना मुश्किल पड़ सकता है। हमारी मेंटल हेल्थ भी फिजिकल हेल्थ जितनी जरूरी है। अगर इसे नजरअंदाज किया जाए, तो इससे हमारी पर्सनल लाइफ और काम दोनों प्रभावित हो सकते हैं। इस सीरीज में हम ऐसे ही मेंटल हेल्थ से जुड़ी नई जानकारी आपसे साझा करते हैं। इस लेख के अन्य आर्टिकल्स आप ओनलीमायहेल्थ की वेबसाइट से पढ़ सकते हैं। 

 

 

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