बढ़ते प्रदूषण और धूल मिट्टी आदि के कारण लोगों के फेफड़ों और श्वसन तंत्र पर इसका असर पड़ रहा है। इसकी वजह से लोगों के श्वसन दर यानी रेस्पिरेशन रेट (Respiration Rate) पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। दरअसल रेस्पिरेशन रेट या श्वसन दर किसी भी व्यक्ति द्वारा सामान्य रूप से हर मिनट ली जाने वाली सांसों की संख्या को कहते हैं। श्वसन दर या रेस्पिरेशन रेट में असंतुलन होने पर इंसान को कई समस्याएं भी हो सकती हैं। शरीर का रेस्पिरेटरी सिस्टम खराब होने पर भी इसमें असंतुलन देखने को मिलता है। सामान्य रेस्पिरेशन रेट (Normal Respiratory Rate In Hindi) होने पर इंसान के शरीर में ऑक्सीजन और कार्बन डाईऑक्साइड का संतुलन बना रहता है। आइये विस्तार से जानते हैं कि एक मिनट में कितनी बार सांस लेना नॉर्मल होता है और किसी भी व्यक्ति का उसकी उम्र के हिसाब से सामान्य रेस्पिरेशन रेट कितना होना चाहिए?
सामान्य रेस्पिरेशन रेट क्या है? (What Is Normal Respiratory Rate?)
सामान्य रेस्पिरेशन रेट या सामान्य श्वसन दर किसी भी व्यक्ति द्वारा हर मिनट ली जाने वाली सांसों की संख्या है। रतन क्लिनिक गुरुग्राम के मशहूर पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ अजय कुमार के मुताबिक अगर आप सामान्य रेस्पिरेशन रेट की जगह हर मिनट में इससे ज्यादा सांस लेते हैं तो आपको कई समस्याएं भी हो सकती हैं। श्वसन दर से किसी भी व्यक्ति के शरीर में मौजूद कई बीमारियों का भी अंदाजा लगाया जा सकता है। उम्र के हिसाब से हर व्यक्ति का सामान्य श्वसन दर अलग हो सकता है। आपके रेस्पिरेशन रेट में बदलाव कई कारणों की वजह से हो सकते हैं लेकिन लगातार ऐसा होने पर डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए। सामान्य रेस्पिरेशन रेट वयस्क लोगों को हर मिनट 12 से 15 बार सांस लेने को माना जाता है। कुछ शोध और रिसर्च इसे 12 से 16 के बीच भी मानते हैं। इससे कम या ज्यादा बार हर मिनट में सांस लेने की स्थिति में व्यक्ति को डॉक्टर से जरूर संपर्क करना चाहिए। हर व्यक्ति में उम्र के हिसाब से रेस्पिरेशन रेट अलग-अलग हो सकते हैं, आइये जानते हैं उम्र के हिसाब से कितना होना चाहिए रेस्पिरेशन रेट।
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नवजात बच्चों का रेस्पिरेशन रेट
बच्चों और बड़ों के रेस्पिरेशन रेट में बहुत अंतर होता है। नवजात बच्चों का रेस्पिरेशन रेट सबसे ज्यादा माना जाता है। बच्चों की श्वसन दर या रेस्पिरेशन रेट में बदलाव भी बहुत तेजी से होता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक एक नवजात शिशु 1 मिनट में लगभग 30 से 60 बार तक सांस लेता है। लेकिन जब बच्चों की उम्र बढ़ती तो उसी हिसाब से उनका रेस्पिरेशन रेट भी बदलने लगता है। 1 साल से 18 साल की उम्र में सामान्य रेस्पिरेशन रेट इस तरह होना चाहिए।
- 1 से 3 साल के बीच - 24–40
- 3 से 6 साल के बीच - 22–34
- 6 से 12 साल के बीच - 18–30
- 12 से 18 साल के बीच - 12–16
वयस्क लोगों का नॉर्मल रेस्पिरेशन रेट
18 साल की उम्र के बाद सामान्य तौर पर नॉर्मल रेस्पिरेशन रेट 12 से 16 होना चाहिए। लेकिन कई बार प्रदूषण, गंदगी, धूल-मिट्टी आदि के संपर्क में आने से या शरीर में मौजूद किसी बीमारी की वजह से इसमें बदलाव हो सकता है। जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है वैसे ही आपका रेस्पिरेशन रेट भी बदलने लगता है। बढ़ती उम्र में अस्थमा, फेफड़ों में इन्फेक्शन, श्वसन तंत्र में संक्रमण आदि कारणों की वजह से लोगों की श्वसन दर में भी बदलाव होता है।
रेस्पिरेशन रेट सामान्य नहीं होने के कारण (What Causes High Respiratory Rate In Hindi)
हमारा मस्तिष्क हमारे शरीर को क्रियान्वयित करने का काम करता है। जब मस्तिष्क से श्वसन तंत्र की मांसपेशियों को संकेत भेजा जाता है उसके बाद ही सांस लेने की प्रक्रिया होती है। मस्तिष्क में मौजूद रिसेप्टर्स कम ऑक्सीजन या उच्च कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर असंतुलित होने पर शरीर को संकेत भेजते हैं जिसके बाद आपका श्वसन तंत्र उसी हिसाब से काम करता है। असामान्य श्वसन दर या रेस्पिरेशन रेट का असामान्य होना कई कारणों से हो सकता है। इसके पीछे चिंता, स्ट्रेस या तनाव के अलावा बुखार की समस्या, दमा या अस्थमा जैसी समस्याएं और निमोनिया की बीमारी आदि भी जिम्मेदार होती है। ऐसी स्थिति में मरीज को सबसे पहले चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
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