
जिस तरह से आप सांस लेते हैं वह आप के शरीर को विभिन्न रूप से प्रभावित करता है जैसे आप का हृदय रेट और आप का ब्लड प्रेशर लेवल। परंतु क्या आपने कभी डीप ब्रीदिंग या गहरी सांसों के बारे में सुना है? जब आप धीरे धीरे अपने नाक से सांस अंदर खींचते हैं और जब आप अपने पेट को ढीला छोड़ते हैं, उस समय आप के फेफड़े ताजी हवा से भर जाते हैं। इस तरह की ब्रीदिंग को डीप ब्रीदिंग कहते हैं।
इस प्रकार सांस लेने से आप को ढेर सारे स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं। जिनमें से मुख्य स्ट्रेस से राहत व ब्लड प्रेशर कम होना है। आज कल हमारा वातावरण व हमारा शेड्यूल इतना बिजी हो गया है कि हम कभी चैन व राहत से सांस लेते ही नहीं हैं। बल्कि हम हमेशा जल्दी जल्दी व छोटी छोटी सांसें लेते हैं। इस कारण हमारे श्वसन तंत्र की सेहत कमजोर हो जाती है। जिससे हमारी उपरी बॉडी में तनाव रहता है। यदि आप भी हमेशा जल्दबाजी में सांस लेते हैं तो आप को भी कुछ समय के लिए धीरे धीरे सांसें लेनी चाहिए और आप को दिन भर एक्टिव रहना चाहिए।
कुछ तथ्य जो सांस लेने की दर को प्रभावित करते हैं (Factors that affect breathing rate)
आप की सांस लेने की दर आप की उम्र, वजन, स्वास्थ्य या आप कितने एक्टिव रहते हैं, इन बातों के कारण सभी में अलग अलग हो सकती है। वयस्कों के बीच एक औसतन सांस लेने की दर 12 से 18 सांसे प्रति मिनट होती है। हालांकि, कई कारक जैसे त्वरित, उथले श्वास का एक पैटर्न, सांस लेने की प्रक्रिया बनाते हैं। आप खराब पोस्चर, आप का हार्ट रेट व बॉडी का तापमान आदि भी कुछ तथ्य हैं जो आप के सांस लेने की दर को गहन रूप से प्रभावित कर सकते हैं। ऐसा खास कर उन लोगो में होता है जो अपना सारा दिन बैठे बैठे या एक ही अवस्था में गुजार देते हैं।
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पोस्चर व ब्रीदिंग रेट आप की गतियो को कैसे प्रभावित करते हैं (How posture and breathing affect movement)
आपकी छाती से श्वास आपके डायाफ्राम के बजाय आपकी गर्दन और कॉलरबोन के आसपास की माध्यमिक मांसपेशियों पर निर्भर करता है। जब यह श्वसन पैटर्न खराब मुद्रा के साथ होता है, तो आपके ऊपरी शरीर की कई मांसपेशियां ठीक से काम नहीं कर पाती हैं। यदि आप अपनी गरदन के आस पास बहुत भारी या टाईट कुछ पहनते हैं तो उससे आप की कमर की मसल्स कमजोर हो जाती हैं और इससे आप के कंधों में भी अनियमितता या परेशानी महसूस होगी।
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कुछ रिसर्च के मुताबिक हमारे खराब पोस्चर से नाक में दर्द या गरदन कि मसल्स में भी दिक्कतें होने लग जाती हैं। अतः आप के खराब पोस्चर से आप की सांस लेने की दर पर प्रभाव पड़ता है। जिससे आप को श्वसन प्रणाली की प्रक्रियाओं में भी तकलीफ होती हैं। अतः आप को डीप ब्रीदिंग यानी गहरी सांस लेनी चाहिए।
जरूरी बात
गहरी सांस लेने के कई फायदे हैं। इससे मन शांत होता है। तनाव, चिंता और रक्तचाप को कम करने में मदद मिलती है। वास्तव में, गहरी सांस लेने की क्रिया मेडिटेशन और माइंडफुलनेस के लिए मजबूत आधार है। सामान्य फिटनेस प्रशिक्षण के साथ गहरी साँस लेने के व्यायाम करने से सांस लेने की मांसपेशियों की ताकत बढ़ सकती है। श्वसन की लय को नियंत्रित करते हुए फेफड़ों की सांस लेने जैसी तकनीकों का उपयोग फेफड़े के पूर्ण उपयोग को विकसित करने के लिए भी किया जाता है। यदि आप को न्यूरोमस्कुलर विकार या फेफड़े की बीमारी हैं, तो आप गहरी साँस लेने के लिए एक श्वास व्यायाम मशीन भी खरीद सकते हैं।
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