भारत में आत्महत्या के मामलों में हाल के वर्षों में एक चिंताजनक वृद्धि देखी जा रही है। यह केवल महिलाओं तक सीमित नहीं है। पुरुषों के बीच भी आत्महत्या के मामलों में भारी बढ़ोतरी देखी गई है, जो समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय बन चुका है। खासकर शादी और रिश्तों में संघर्ष की वजह से पुरुषों में आत्महत्या की घटनाओं में तेजी आई है। बेंगलुरू में इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या का मामला एक बार फिर पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य पर अहम सवाल खड़ा करता है। अतुल ने आत्महत्या करने से पहले, 90 मिनट का वीडियो और 24 पन्नों का सुसाइड नोट छोड़ा, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी द्वारा लगाए गए दहेज और यौन उत्पीड़न के आरोपों को झूठा बताया। वह बार-बार के उत्पीड़न और तनाव से तंग आ चुके थे, जिससे उनका मनोबल टूट गया और उन्होंने आत्महत्या कर ली।
इस दुखद घटना से यह सवाल उभरता है कि आखिर क्यों पुरुषों में इस तरह के मामले तेजी पकड़ रहे हैं? क्या पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य के प्रति समाज में जागरूकता की कमी है और क्या उन्हें पर्याप्त मदद मिल रही है? नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा जारी किए गए आंकड़े इस पर रोशनी डालते हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि महिलाओं के मुकाबले पुरुष आत्महत्या के मामलों में ज्यादा तेजी से बढ़ोतरी देखी जा रही है। इस लेख में हम पुरुषों में आत्महत्या के बढ़ते मामलों के पीछे छुपे कारणों पर बात करेंगे और जानेंगे कि इस गंभीर समस्या का क्या समाधान है। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के बोधिट्री इंडिया सेंटर की काउन्सलिंग साइकोलॉजिस्ट डॉ नेहा आनंद से बात की।
क्या कहते हैं NCRB के आंकड़े?- Data on Suicide Cases
NCRB के अनुसार, 2022 में भारत में कुल आत्महत्या के मामले 1,70,924 थे। इनमें से लगभग 73 प्रतिशत पुरुष थे, जबकि 27 प्रतिशत महिलाएं। इसे गिनती में समझें, तो साल 2022 में पुरुष आत्महत्या के 122724 और महिला आत्महत्या के 48172 मामले दर्ज किए गए। आंकड़ों में यह बात भी सामने आई कि साल 2022 में, सबसे ज्यादा पुरुष आत्महत्या के मामले 18 से 30 वर्ष की आयु में दर्ज हुए। पुरुषों के कुल मामलों में, 35 प्रतिशत केस इसी एज ग्रुप के थे। वहीं 32 प्रतिशत मामले 30 से 45 की एज ग्रुप के निकले।
यह आंकड़ा एक बड़े बदलाव का संकेत देता है, क्योंकि पहले यह अनुपात महिला आत्महत्या के पक्ष में ज्यादा था। इस रिपोर्ट के अनुसार, आत्महत्या के कारणों में व्यक्तिगत और सामाजिक कारण प्रमुख हैं, जिनमें आर्थिक संकट, मानसिक तनाव, पारिवारिक कलह और रिश्तों में असंतोष शामिल हैं। आंकड़ों के मुताबिक, साल 2018 से 2022 तक के मामले इसमें शामिल किए गए। भारत के राज्यों की स्थिति देखें, तो सबसे ज्यादा सोसाइड के मामले महाराष्ट्र में दर्ज किए गए, जहां 22746 लोगों ने अपनी जान ली। तमिलनाडु में यह संख्या 19834 रही, मध्य प्रदेश में 15386 मामले दर्ज किए गए, कर्नाटक में 13606 और पश्चिम बंगाल में 12669 मामले दर्ज किए गए। केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे ज्यादा मामले दिल्ली में दर्ज किए गए, वहां संख्या 3417 रही।
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आत्महत्या का कारण बन रहे हैं शादी और रिश्ते
डॉ नेहा आनंद ने बताया कि शादी और रिश्तों में तनाव को आत्महत्या के प्रमुख कारणों में से एक माना जा रहा है। पुरुषों में यह समस्या बढ़ी है, क्योंकि उन पर समाज में एक निश्चित कठोर छवि के अनुरूप रहने का दबाव होता है। इस दबाव के कारण, वे अपनी मानसिक समस्याओं पर किसी से बात नहीं करते, जिससे उनकी मानसिक स्थिति खराब हो जाती है। इसके परिणामस्वरूप, वे रिश्तों में असफलता या पारिवारिक संघर्षों से निपटने में असमर्थ महसूस करते हैं और आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं। शादी में तनाव, तलाक और पारिवारिक झगड़े पुरुषों में तनाव और अवसाद को बढ़ाते हैं। इसके अलावा, रिश्तों में असंतोष और अविश्वास के कारण पुरुष मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर महसूस करते हैं। परिणामस्वरूप, उनका आत्मविश्वास घटता है और वे समाज से खुद को अलग महसूस करते हैं। यह स्थिति आत्महत्या को बढ़ावा देती है।
पुरुषों में आत्महत्या के ये कारण भी सामने आए- Causes of Suicide in Men
NCRB के अनुसार, साल 2022 में पुरुषों में आत्महत्या के जितने मामले दर्ज हुए उनके पीछे, 31.7 प्रतिशत पारिवारिक कारण रहे, 4.5 प्रतिशत मामलों का कारण लव अफेयर थे, शादी से संबंधित समस्या के कारण 4.8 प्रतिशत आत्महत्या के मामले दर्ज हुए। 6.4 प्रतिशत मामलों में आत्महत्या का कारण बीमारी निकला, ड्रग एब्यूज और एल्कोहल की लत के मामले 6.8 प्रतिशत दर्ज हुए। 1.9 प्रतिशत बेरोजगारी, 1.2 करियर संबंधित मामले, 4.1 दिवालियापन और एग्जाम में फेल होने के 1.2 प्रतिशत मामले दर्ज किए गए।
इस गंभीर स्थिति का समाधान क्या है?
डॉ नेहा आनंद ने बताया कि इस स्थिति से निपटने के लिए समाज और सरकार दोनों को मिलकर काम करना होगा। पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य के प्रति अवेयरनेस बढ़ाने के लिए सामाजिक और पारिवारिक समर्थन जरूरी है। परिवारों को अपने पुरुष सदस्य के मानसिक स्वास्थ्य को समझने और उनकी समस्याओं को सुनने के लिए आगे आने की जरूरत है। इसके अलावा, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक सभी की पहुंच को आसान बनाना और मानसिक परामर्श सेवाओं को बढ़ावा देना भी जरूरी है। आत्महत्या की घटनाओं में कमी लाने के लिए, शिक्षा और जागरूकता अभियान चलाने की भी जरूरत है। डॉ नेहा आनंद ने बताया कि लोगों को यह समझाना होगा कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर मदद लेना कोई कमजोरी नहीं है, बल्कि यह मानसिक मजबूती का प्रतीक है। इससे आत्महत्या की दर में कमी आ सकती है और लोग अपनी परेशानियों को शेयर करने में ज्यादा सहज महसूस करेंगे।
NCRB के आंकड़े यह स्पष्ट करते हैं कि आत्महत्या के मामले पुरुषों में तेजी से बढ़ रहे हैं और इसके पीछे मुख्य कारण शादी और रिश्तों के झगड़े हैं। समाज को इस गंभीर समस्या पर ध्यान देने की जरूरत है, ताकि पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर अवेयरनेस बढ़ाई जा सके और आत्महत्या के मामलों को कम किया जा सके। इस दिशा में शिक्षा, जागरूकता और परिवारों की भूमिका बेहद जरूरी है।
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NCRB Data Link
https://www.ncrb.gov.in/uploads/files/AccidentalDeathsSuicidesinIndia2022v2.pdf