Suicidal Thoughts In Hindi: पिछले दिनों मलाइका अरोड़ा के पिता अनिल अरोड़ा ने अपने बांद्रा के घर की तीसरी मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली थी। इस खबर ने भले ही बॉलीवुड में हलचल मचा दी थी। इसके साथ ही आम लोगों के जहन में भी एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया था। दरअसल, अनिल अरोड़ा जानी-मानी हस्ती के पिता थे और फाइनेंशियली उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं थी। इसके बावजूद, निश्चित रूप से वे अपने जीवन से खुश नहीं थे, इसलिए उन्होंने इतना बड़ा कदम उठाने का फैसला लिया। कहने का मतलब ये है कि व्यक्ति चाहे किसी भी वर्ग से संबंध रखे, वह परेशान हो सकता है और आत्महत्या जैसे कठोर फैसले कर सकता है। ऐसा नहीं है कि इस तरह की सिचुएशन से खुद को बचाया नहीं जा सकता है? ध्यान रखें कि आत्महत्या किसी भी समस्या का समाधान नहीं होता है। अगर समस्या बहुत बड़ी है, तो जरूरी है कि आप अपने करीबियों और एक्सपर्ट्स की मदद लें। बहरहाल, इस लेख में हम आपको बता रहे हैं कि अगर किसी को आत्महत्या का ख्याल आए, तो ऐसे में उन्हें कब एक्सपर्ट के पास जाना चाहिए? इस बारे में हमने क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और सुकून साइकोथैरेपी सेंटर की फाउंडर दीपाली बेदी से बात की। आप भी जानें।
आत्महत्या का ख्याल आने पर कब जाना चाहिए एक्सपर्ट के पास?- When To Visit An Expert If Going Through Suicidal Thoughts In Hindi
पूरी तरह होपलेस होने पर
जब व्यक्ति पूरी तरह होपलेस या नी आशाहीन हो जाता है, मन में निराशा के बादल घिर जाते हैं। इस तरह की कंडीशन अक्सर व्यक्ति के बार-बार आत्महत्या करने के लिए उत्तेजित करती है। अगर आपको लग रहा है कि सारी स्थिति खराब हो गई है, आपके पास अपनी समस्या से निकलने के लिए कोई रास्ता नहीं है। ऐसे में आपको चाहिए कि तुरंत एक्सपर्ट जैसे साइकोलॉजिस्ट या साइकिएट्स्टि से मिलें।
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दोस्तों से दूर होने पर
जो लोग लंबे समय से परेशान हैं और अपनी समस्या का हल नहीं ढूंढ़ पाते हैं। इसके अलावा, मन निराशावाद से घिर जाता है। ऐसे लोग अक्सर अपने करीबियों, रिश्तेदार और दोस्तों से दूर हो जाते हैं। अगर आपको लगे कि आपने भी अपने दोस्तों से दूरी बना ली है, सोशल सर्कल कम कर दिया है, तो ऐसी कंडीशन में खुद को अलग-थलग न करें। इसके बजाय, एक्सपर्ट से मिलने जाएं। वे निश्चित तौर पर आपकी कोई ठोस मदद कर सकेंगे।
कुछ करने का मन न करना
जब भी मन डिप्रेशन या स्ट्रेस से घिर जाता है, तो अक्सर व्यक्ति को कुछ भी करने का मन नहीं करता है। ऐसा ही उन लोगां के साथ भी होता है, तो सुसाइडल थॉट से जूझ रहे होते हैं। असल में, डिप्रेशन या स्ट्रेस का सही समय पर ट्रीटमेंट न किया जाए, तो यही भविष्य में आत्महत्या का कारण बन जाता है। अगर आपको भी कुछ करने का मन न करे, हमेशा बिस्तर पर लेटे रहने का मन करता है, तो बेहतर है कि आप तुरंत एक्सपर्ट से मिलें और अपनी समस्या का निवारण करें।
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फैमिली हिस्ट्री होने पर
उन लोगों को अक्सर अपना ध्यान रखना चाहिए, जिनकी फैमिली में सुइसाइड की हिस्ट्री मौजूद हो। कहने का मतलब है कि अगर किसी ने पहले कभी आत्महत्या की है, तो ऐसे परिवारों में आत्महत्या की आशंका बढ़ जाती है। अगर आप किसी पर्सनल वजहों से परेशान हैं और मन में बार-बार बुरे ख्याल आ रहे हैं, तो इसकी अनदेखी न करें। किसी बुरे को उठाने से पहले एक्सपर्ट से संपर्क करें।
कुल मिलाकर, कहने की बात ये है कि जो भी व्यक्ति बुरे दौर से गुजरता है, उसके मन में आत्महत्या का ख्याल आ सकता है। लेकिन, आपको हिम्मत नहीं हारनी है। अपने दोस्तों, रिश्तेदारों के संपर्क में रहना। अगर इससे बात न बने, तो एक्सपर्ट से संपर्क करना चाहिए।