Is Self Talk Normal Or Illness in Hindi?- आपने कुछ लोगों को कई बार खुद से बात करते हुए या बड़बड़ाते हुआ देखा होगा। ज्यादातर लोग अक्सर गुस्से में या किसी से लड़ाई होने के बाद खुद से बात करने लगते हैं और अपना गुस्सा बड़बड़ाकर निकालने की कोशिश करते हैं। हम में से कई लोग को भी शायद खुद से बात करने की आदत होगी। जब किसी सवाल का जवाब नहीं मिल रहा हो, किसी काम को करने से पहले असमंज्स में हो या किसी व्यक्ति से लड़ाई होने के बाद उसे खुलकर जवाब न दे पाने के बाद खुद से ही बातें करने की आदत कई लोगों में होती है। कई बार ऑफिस, घर में, दोस्तों को या पब्लिक प्लेस पर लोगों को खुद से बात करते हुए देखकर आपको अजीब भी लगता होगा कि कहीं सामने वाला व्यक्ति किसी तरह की मानसिक बीमारी (Is Talking To Yourself A Mental Disorder) से तो नहीं जूझ रहा है। ऐसी घटानाओं के बाद हमारे मन में अक्सर ये सवाल आता है कि खुद से बातें करना नॉर्मल होता है या मानसिक बीमारी का संकेत? अगर आपके मन में भी इसी तरह के सवाल आते हैं, तो आइए साइकेट्रिस्ट डॉ. अंकित दराल से जानते हैं खुद से बात करना आम है (Is Self Talking Good Or Bad) या किसी बीमारी का संकेत?
क्या खुद से बात करना नॉर्मल है? - Is it Normal To Talk To Myself in Hindi?
डॉ. अंकित दराल के अनुसार जब भी कोई व्यक्ति अकेले बैठे-बैठे बात करता है, तो हमे लगता है कि हो सकता है उसे कोई मानसिक बीमारी हो, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। खुद से बात करना (Self Talking) आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद माना जाता है। सेल्फ टॉकिंग के दौरान हम खुद की आलोचना (Self Criticism) करते हैं, खुद की सोचने की शक्ति बढ़ाते है, खुद को मोटिवेट करते हैं और सोशल एसिस्मेंट करते हैं, जिसके आधार पर हम अपने आपको किसी भी तरह के स्ट्रेस या मानसिक बीमारी से बचाकर रखते हैं।
खुद से बात करना कब बीमारी का संकेत है? - When Is Self Talk A Sign Of Illness
खुद से बात करना तब समस्या बन सकती है, जब आपको विजुअल हेलुसिनेशन्स यानी दृश्य मतिभ्रम (Visual Hallucinations) हो। आपको ऐसा लग रहा हो कि सामने कोई बैठा है और आप उससे बात कर रहे हैं। ऐसा लग रहा हो कि आप किसी की बात का जवाब दे रहे हो।
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खुद से बात करने के फायदे - Benefits Of Self Talk in Hindi
- खुद से सकारात्सक बातें करने से आत्मविश्वास को बढ़ावा मिलाता है।
- शांत तरीके से अपने आप से बात करने से खुद पर कंट्रोल होता है और तनाव कम करने में मदद मिल सकती है।
- दिमाग में चल रहे किसी भी विचारों और चिंता को दूर करने या अच्छे से समझने के लिए खुद से बात करके सही फैसला लेने में मदद मिल सकती है।
- खुद से बात करने से एकाग्रता और फोकस में सुधार हो सकता है।
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