छोटे बच्चे बढ़ते पौधे की तरह होते हैं, उन्हें जितना बेहतर तरीके से सिचेंगे, वे उतना ही अच्छा फलते-फूलते हैं। छोटे बच्चे अक्सर कुछ ऐसी गलत आदतें सीख जाते हैं, जिन्हें सुधारना मुश्किल हो सकता है। लेकिन मार-पीट या डांट कर बच्चे को सुधारने की कोशिश करना उनकी आदतों को और ज्यादा बिगाड़ सकता है। ऐसे में आप उन्हें सुधारने के लिए स्लिप टॉकिंग थेरेपी (Sleep Talking Therapy) ट्राई कर सकते हैं। चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ पवन मंडाविया ने बताया, “स्लीप टॉकिंग तकनीक में बच्चे के सो जाने के बाद पेरेंट्स उनसे नींद में बात करते हैं। इससे बच्चे के अवचेतन मन यानी सबकॉन्शियस माइंड में मदद मिलती है, जो सकारात्मक व्यवहार में बदलाव लाने के लिए जरूरी है।”
स्लीप टॉकिंग थेरेपी करने का तरीका
स्टेप 1- बच्चे की कमियों को पहचानें
बच्चे के उन व्यवहारों पर ध्यान केंद्रित करें, जिन्हें आप बदलना चाहते हैं या प्रोत्साहित करना चाहते हैं। बच्चे की कुछ ऐसी आदतों को पहचानें जिसमें आप बदलाव चाहते हैं, या सुधार करना चाहते हैं। जैसे- बच्चे का बहुत ज्यादा चिड़चिड़ा होना, जिद करना, दूसरे बच्चों से मारपीट करना, अनहेल्दी फूड्स खाना, पढ़ाई पर फोकस न कर पाना। बच्चों के व्यवहार में ऐसे ही कई सारे बदलाव करने के लिए आप इस थेरेपी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
स्टेप 2 - समय का ध्यान रखें
इस थेरेपी को करने के लिए समय का ध्यान रखें। जब आपका बच्चा गहरी नींद में सो रहा हो, तब आप इस तकनीक को ट्राई करें। आप रात में बच्चे के सोने के बाद या सुबह उनके उठने से पहले इस थेरेपी को अपना सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे आपको सिर्फ 5 से 10 मिनट तक ही अपने सोते हुए बच्चे से बातचीत करनी है।
स्टेप 3 - बिना रुकावट रोजाना करें थेरेपी
स्लीप टॉकिंग थेरेपी की इस प्रक्रिया को कम से कम 4 हफ्ते तक रोजाना दोहराएं, ताकि आपको इसका बेहतर परिणाम मिल सके। रोजाना अपने बच्चे के सोने के बाद इस तकनीक को दोहराएं। ऐसा करने से बच्चा आपकी बातों पर गौर करेगा और अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव कर सकेगा।
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स्टेप 4 - शांत और आरामदायक आवाज में करें बात
बच्चे के सोने पर उनसे बात करने के लिए शांत और आरामदायक आवाज का प्रयोग करें। अपने बच्चे को सोते रहने के लिए कहें। शुरुआत में आपकी कुछ हरकतें उनकी नींद खराब कर सकती हैं। आप उन्हें सोते रहने के लिए कहते रहें।
स्टेप 5 - प्यार भरे शब्दों का करें इस्तेमाल
रोजाना इस थेरेपी को शुरू करते समय अपने बच्चे को यह बताना बिल्कुल न भूलें कि आप उनसे कितना प्यार करते हैं और आपके जीवन के लिए वे क्या मायने रखते हैं। उन्हें बताएं कि चाहे कुछ भी हो जाए, कोई भी कुछ भी कहे आप हमेशा उनके साथ हैं।
स्टेप 6 - सकारात्मक शब्दों का उपयोग करें
स्लीप टॉकिंग थेरेपी के दौरान बच्चे से नकारात्मक शब्दों का इस्तेमाल करने से बचें। फिर चाहे आप उनके किसी नकारात्मक व्यवहार को बदलने के लिए उनसे कह रहे हों। गलत से गलत बात भी आप अपने बच्चे से सकारात्मक रूप से व्यक्त करें। जैसे अगर आपका बच्चा मारपीट करता है, तो उसकी यह आदत सुधारने के लिए बच्चे का नाम लेकर कहें कि, "युग किसी से लड़ता नहीं है, वो सभी बच्चों के साथ मिलजुल कर रहता है।"
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स्टेप 7 - वर्तमान काल का प्रयोग करें
स्लीप टॉकिंग थेरेपी के दौरान अपने बच्चे से सभी बातें वर्तमान काल में करें, जैसे- "युग रोज हेल्दी फूड खाता है, युग कभी किसी से लड़ाई नहीं करता है।"
अगर आपके बच्चे में भी ऐसी कमियां हैं, जिनमें सुधार की जरूरत हो, तो आप स्लीप टॉकिंग थेरेपी ट्राई कर सकते हैं। कुछ समय में ही आपको इसका सकारात्मक परिणाम मिलने लगेगा।
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