शरीर के गंदे खून को हटाने और खून से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए आयुर्वेंद में कई तरह की थेरेपी उपलब्ध है। रक्तमोक्षण थेरेपी से कई रोगों को दूर किया जाता है। इस थेरेपी से वैरिकॉज वेन्स, फोड़े-फुंसियों, त्वचा से जुड़ी समस्याओं, हाई ब्लड प्रेशर और किडनी से जुड़ी समस्याओं के प्रभावों को कम किया जाता है। इस थेरेपी का इस्तेमाल सालों से किया जा रहा है। आयुर्वेदाचार्यों के अनुसार रक्तप्रवाह में विषाक्त पदार्थों बनने से बीमारियां शुरु हो सकती हैं। ऐसे में विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना बेहद आवश्यक होता है। इसमें जोंक को त्वचा के ऊपर लगाया जाता है। इसके बाद जोंक उस क्षेत्र का खून चूसकर बाहर कर देता है। अधिक उम्र के बुजुर्गों, एनीमिया से पीड़ित लोगों और प्रेग्नेंट महिलाओं के अलावा इस थेरेपी का लाभ हर व्यक्ति ले सकते हैं। इससे सूजन को कम करने में मदद मिलती है।
हर बार की तरह ओनलीमायहेल्थ अपने पाठकों के लिए 'आरोग्य विद आयुर्वेद' सीरीज में एक नई थेरेपी के बारे में जानकारी लेकर आया है। इस सीरीज में हमारी टीम आयुर्वेद के अनुभवी डॉक्टरों की मदद से बीमारियों के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में विस्तार बताते हैं। आज की इस सीरीज में रक्तमोक्षण थेरेपी के बारे में बताया गया है। इस थेरेपी के बारे में जानने के लिए हमारी टीम ने सकारी अस्पताल की आयुर्वेदिक मेडिकल डॉ. सोनल गर्ग से बात कि, तो उन्होंने रक्तमोक्षण थेरेपी क्या है, इसे कैसे किया जाता है और इससे क्या फायदे होते आदि के बारे में विस्तार से बताया।
रक्तमोक्षण थेरेपी क्या है? - What Is Raktamokshana Therapy in Hindi
रक्तमोक्षण, संस्कृत शब्द "रक्त" से लिया गया है जिसका अर्थ है रक्त और "मोक्षन" जिसका अर्थ है मुक्ति, ब्लड को साफ करने के लिए इस थेरेपी को अपनाया जाता है। इस प्राचीन थेरेपी से शरीर के खराब या अशुद्ध रक्त को निकाला जाता है, जिससे शारीरिक ब्लड प्यूरिफाई होता है और शरीर के कार्य बेहतर होते हैं।
रक्तमोक्षण के क्या फायदे होते हैं? - Benefits of Raktamokshana In Hindi
ब्लड प्यूरिफिकेशन
रक्तमोक्षण एक डिटॉक्स थेरेपी के रूप में कार्य करती है, जो ब्लड से विषाक्त पदार्थों और अशुद्धियों को समाप्त करती है। यह थेरेपी रक्त को शुद्ध करके खून की गंदगी को खत्म करने में सहायक होती है।
त्वचा विकारों को दूर करें
रक्त में गंदगी की वजह से लोगों को त्वचा से जुड़ी समस्याएंं हो सकती है। रक्तमोक्षण थेरेपी से इन असंतुलनों को दूर करती है, जिससे मुंहासे, सोरायसिस, एक्जिमा और स्किन इंफ्लेमेशन जैसी राहत मिलती है। इससे त्वचा के विकारों को दूर किया जाता है, जिससे त्वचा साफ और बेदाग बनती है।
दोषों को संतुलित करें
आयुर्वेदिक के अनुसार, तीन दोषों - वात, पित्त और कफ में असंतुलन के कारण शरीर में कई समस्याएं हो सकती है। लेकिन, रक्तमोक्षण थेरेपी शारीरिक, मानसिक और इमोशनल स्तर में सुधार करता है। इससे दोषों में भी संतुलन स्थापित होता है।
पुरानी बीमारियों को करें मैनेज
लंबे समय से चली आ रही कुछ बीमारियों जैसे गठिया, हाई बीपी व डायबिटीज आदि के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए रक्तमोक्षण थेरेपी का उपयोग किया जा सकता है। ब्लड सर्कुलेशन में सुधार और सूजन को कम करने के लिए यह थेरेपी की जा सकती है। इससे लंबे समय से चली आ रही बीमारियों के प्रभाव करने में मदद मिलती है।
एनर्जी का लेवल बढ़ाएं
रक्तमोक्षण थेरेपी के द्वारा रक्त की अशुद्धियों को दूर किया जाता है। इससे नई कोशिकाओं का निर्माण होता है, जिससे शरीर में ऊर्जा स्तर बढ़ता है। ऐसे में हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन को शरीर के सभी अंगोंं तक पहुंचाने का काम करता है। इससे शरीर की थकान कम होती है।
रक्तमोक्षण प्रक्रिया कैसे की जाती है - Process Of Raktamokshana Therapy In Hindi
रक्तमोक्षण विधि: रक्तमोक्षण की कई विधियां हैं, जिन्हें प्रत्येक व्यक्ति की प्रकृति और स्थिति के अनुरूप चुना जाता है। सामान्य तकनीकों में जलौका (जोंक थेरेपी), शिरा (वेसेक्शन), और प्रचन्ना (लैंसेट या सुई के माध्यम से रक्त निकालना) शामिल हैं। विधि का चुनाव रोगी की उम्र, ताकत और विकार की प्रकृति जैसे कारकों पर निर्भर करती है।
- इसमें मुख्य रूप से जोंक थेरेपी ज्यादा प्रचलित है।
- जोंक थेरेपी में 2 से 4 जोंक को उस स्थान पर लगाया जाता है, जहां से रक्त को निकालना होता है।
- इसमें जोंक लगाने से पहले त्वचा को औषधी से साफ किया जाता है।
- इसके बाद, जोंक को त्वचा पर लगाया जाता है।
- जोंक उस क्षेत्र का गंदा खून चूस लेती हैं।
- इसके बाद जोंक फूल जाती है, जिसके बाद उन्हें हटा दिया जाता है।
- इसके बाद त्वचा को औषधी से दोबारा साफ किया जाता है।
- इस थेरेपी को व्यक्ति की समस्या के आधार पर दो से तीन बार किया जा सकता है।
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रक्तमोक्षण थेरेपी से खून की गंदगी को बाहर करने में सहायक होती है। इससे वेरिकोज वेन्स की समस्या को कम किया जा सकता है। आयुर्वेद में लीच थेरेपी का इस्तेमाल हेयर ग्रोथ के लिए भी किया जाने लगा है। आजकल कुछ जगहों पर लीच थेरेपी से सिर की त्वचा से खून के हटाया जाता है। इस थेरेपी के दो से तीन सेशन के बाद बालों की ग्रोथ में तेजी होती है। हम अपनी सीरीज आरोग्य विद आयुर्वेद में अगले सप्ताह नई जानकारी लेकर आएंगे। आयुर्वेद के माध्यम से अन्य रोगों के इलाज को जानने के लिए आप हमारी वेबसाइट https://www.onlymyhealth.com के साथ जरूर जुड़ें। साथ ही, हमारे लेखों को अपने दोस्तों और परिचितों के साथ शेयर करें, ताकि वह भी आयुर्वेदिक उपचारों के विषय में जागरूक हों और उनको भी इसका लाभ मिलें।