Best Ayurvedic Herbs and Spices For Health: आयुर्वेद में कई तरह की जड़ी-बूटियों से विभिन्न रोगों का इलाज किया जाता है। भारत में वर्षों से आयुर्वेदिक पद्धति द्वारा लोगों का इलाज किया जा रहा है। यह इलाज की एक कारगर तकनीक है, जो लोगों का रोगों से बचाव करती है। ओनलीमायहेल्थ के द्वारा लोगों को आयुर्वेद की सटिक जानकारी प्रदान करने के लिए 'आरोग्य विद आयुर्वेद' सीरिज शुरु की गई है। इसमें हमारी टीम द्वारा आयुर्वेद के अनुभवी डॉक्टरों से संपर्क कर विभिन्न रोगों के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में विस्तार से बताया जाता है। आज की सीरिज में हम आपको उन आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां और मसालों के बारे में बता रहे हैं, जिनसे आप अपनी सेहत से जुड़ी विभिन्न समस्याओं को दूर कर सकते हैं। इसके लिए हमने सरकारी अस्पताल में कार्यरत आयुर्वेदिक मेडिकल ऑफिसर डॉ. सोनल गर्ग से बात कि, तो उन्होंने ऐसे कुछ मुख्य जड़ी-बूटियों और मसालों के बारे में विस्तार से बताया।
सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होती हैं ये आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां और मसाले - Best Ayurvedic Herbs And Spices For Health In Hindi
अश्वगंधा
अश्वगंंधा का इस्तेमाल सालों से किया जा रहा है। अश्वगंधा को एडाप्टोजेन होता है, यह शरीर के तनाव को बेहतर ढंग से मैनेज करने में मदद करता है। यह कोर्टिसोल के स्तर को कम करता है। कोर्टिसोल स्ट्रेस को बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभाता है। अश्वगंधा के इस्तेमाल से स्ट्रेस डिसऑर्डर दूर होता है। साथ ही, यह मांसपेशियों में वृद्धि, याददाश्त और पुरुषों की प्रजनन क्षमता को बढ़ा सकता है। यह ब्लड शुगर के स्तर को भी कम कर सकता है। इसके साथ ही शरीर की सूजन को कम करने में मदद मिलती है।
त्रिफला
आयुर्वेद में त्रिफला उपयोग कई रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है। यह शरीर के इम्यून सिस्टम को मजूबत बनाने में सहायक होता है। त्रिफला में आंवला, हरड़ और बहेड़ा को शामिल किया जाता है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर की सूजन को कम करने में मदद करते हैं। त्रिफला पेट से संबंधित कई विकारों को दूर करने में सहायक होता है। इसमें रेचक गुण होते हैं, जो कब्ज, पेट दर्द और पेट फूलने की समस्या को कम कर सकते हैं। जिन लोगों को लंबे समय से कब्ज की समस्या होती है उनके लिए त्रिफला फायदेमंद हो सकता है। इससे मल त्याग में परेशानी नहीं होती है। साथ ही, बैक्टीरियल संक्रमण से भी बचाव होता है।
हल्दी
हल्दी का उपयोग आज भी कई घरेलू उपायों में किया जाता है। हल्दी में सूजनरोधी और एंटी-ऑक्सीडेंट्स गुण होते हैं। हल्दी में एक्टिव कंपाउंड करक्यूमिन सूजन को कम करने और जोड़ों को स्वास्थ रखने में मदद करते हैं। हल्दी के इस्तेमाल से प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर किया जा सकता है। डाइट में हल्दी को शामिल करने पाचन क्रिया बेहतर होती है और स्किन में चमक आती है।
दालचीनी
दालचीनी पित्त से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में फायदेमंद हो सकता है। आयुर्वेद में दालचीनी का उपयोग भी सालों से किया जा रहा है। इसके इस्तेमाल से ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है। यह मेटाबॉलिज्म को बेहतर करने में सपोर्ट करता है। साथ ही, पाचन से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए आप दालचीनी को डाइट में शामिल कर सकते हैं। यह बदलते मौसम में होने वाले संक्रमण से बचाव करने में सहायक होती है।
ब्राह्मी
आयुर्वेद में मस्तिष्क से जुड़ी समस्याओं में ब्राह्मी का उपयोग किया जाता है। इससे कॉग्नेटिव ब्रेन पावर को बेहतर करने में मदद करती है। ब्राह्मी याददाश्त और एकाग्रता को बढ़ाने में सहायक होती है। यह नर्वस सिस्टम को शांत कर, स्ट्रेस और तनाव को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
तुलसी
भारत में तुलसी लगभग हर घर में पाई जाती है। तुलसी स्ट्रेस को कम करने में मदद करती है। साथ ही, फेफड़ों व रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट को मजबूत बनाने में सहायक होती है। तुलसी के इस्तेमाल से मानसिक और भावनात्मक संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है। आप तुलसी का काढ़ा लेने से आप शरीर की समस्याओं को दूर कर सकते हैं।
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इसके अलावा, आयुर्वेद में शतावरी, मूसली, शिलाजीत व अन्य कई जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। किसी भी तरह की शारीरिक और मानसिक समस्या में आप आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का सेवन कर सकते हैं। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों और मसालों का इस्तेमाल करने से पहले आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। हम अपनी सीरीज आरोग्य विद आयुर्वेद में अगले सप्ताह नई जानकारी लेकर आएंगे। आयुर्वेद के माध्यम से अन्य रोगों के इलाज को जानने के लिए आप हमारी वेबसाइट https://www.onlymyhealth.com के साथ जरूर जुड़ें। साथ ही, हमारे लेखों को अपने दोस्तों और परिचितों के साथ शेयर करें, ताकि वह भी आयुर्वेदिक उपचारों के विषय में जागरूक हों और उनको भी इसका लाभ मिलें।