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Ayurvedic Garbh Sanskar : गर्भसंस्कार में किन चीजों को शामिल किया जाता है? आयुर्वेदाचार्य से जानें इसके फायदे

गर्भावस्था में गर्भसंस्कार के कई फायदों के बारे में बताया गया है। आगे जानते हैं कैसे किया जाता है गर्भसंस्कार और इससे क्या लाभ मिलते हैं।   
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Ayurvedic Garbh Sanskar : गर्भसंस्कार में किन चीजों को शामिल किया जाता है? आयुर्वेदाचार्य से जानें इसके फायदे


Ayurvedic Garbh Sanskar: आयुर्वेद के एक प्राचीन ज्ञान है और इसमें हमारे स्वस्थ जीवन के बारे में विस्तार से बताया गया है। आयुर्वेद के अनुसार किसी व्यक्ति के आने वाले जीवन का स्वास्थ्य कैसे रहेगा इसका अनुमान आप जन्म से पहले ही लगा सकते हैं। दरअसल, आयुर्वेद में गर्भ संस्कार को एक महत्वपूर्ण प्रथा मानी जाती है। यह एक बच्चे के जन्म से पूर्व ही उसके देखभाल की एक प्रक्रिया है, जो प्रग्नेंसी से ही भ्रूण के पोषण पर केंद्रित होती है। संस्कृत में गर्भ का अर्थ मां का गर्भ और संस्कार का मतलब मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक कल्याण से हैं। गर्भसंस्कार  को समझने के लिए हमने  मध्यप्रदेश में कार्यरत सरकारी आयुर्वेद मेडिकल ऑफिसर डॉ. सोनल गर्ग (BAMS, DNHE, YIC) से बात की। उन्होंने विस्तार से बताया कि गर्भसंस्कार में किन चीजों को शामिल किया जाता है और इसके क्या फायदे होते हैं। 

गर्भ संस्कार को समझना बेहद आवश्यक है? - What is Garbh Sanskar in Hindi 

आयुर्वेद मेडिकल ऑफिसर डॉ. सोनल गर्ग (Instagram-Vaidik_era_ayurveda) ने बताया आयुर्वेद में गर्भ संस्कार के अंतर्गत बच्चे के जन्म से पहले से ही मां और भ्रग में पलने वाले बच्चे के शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक कल्याण को शामिल किया जाता है। बच्चे के मानसिक और शारीरिक विकास गर्भ से ही शुरु हो जाता है, जो प्रेग्नेंट महिला के शारीरिक और भावनात्मक से सीधे तौर पर जुड़ा होता है। आयुर्वेद के अनुसार, गर्भसंस्कार में महिला के गर्भ में पलने वाले बच्चे  शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक विकास दोनों को सही शेप देने का एक सुनहरा मौका होता है। 

आयुर्वेद में गर्भ संस्कार के प्रमुख तत्व - Main Elements Of Garbh Sanskar in Ayurveda In Hindi 

आहार एवं पोषण

उचित पोषण गर्भ संस्कार की आधारशिला है। आयुर्वेदिक के अनुसार महिलाओं को प्रेग्नेंसी में ताजे फल, सब्जियां, अनाज और डेयरी उत्पादों सहित पोषक तत्वों से भरपूर संतुलित आहार का सेवन करना चाहिए। इसके अतिरिक्त, बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए 'सात्विक' भोजन की अवधारणा पर जोर दिया जाता है, जो शुद्ध, स्वच्छ और पौष्टिक हो।

garbh sanskar in ayurveda

सकारात्मक विचार और भावनाएं

गर्भ संस्कार माताओं को सकारात्मक मानसिक स्थिति बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करता है। ऐसा माना जाता है कि मां की भावनाएं सीधे बच्चे के भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक विकास को प्रभावित कर सकती हैं। ध्यान, विश्राम तकनीक और सकारात्मक चीजों को लाइफस्टाइल में शामिल किया जाता है।

योग और व्यायाम

प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए उपयुक्त हल्के व्यायाम और योग आसन गर्भ संस्कार प्रक्रियाओं का ही हिस्सा हैं। ये न केवल शारीरिक फिटनेस में मदद करते हैं, बल्कि भावनात्मक कल्याण को भी बढ़ावा देते हैं और तनाव कम करने में मदद करते हैं।

मोटिवेशन किताबे पढ़ना

ऐसा माना जाता है कि गर्भावस्था के दौरान पढ़ने से अजन्मे बच्चे को ज्ञान देने में मदद मिल सकती है। इस दौरान महिला द्वारा नैतिक मूल्यों या पौराणिक कहानियों वाली किताबें पढ़ना सबसे अच्छा माना जाता है।

पोजिटिव एफर्मेनशन

गर्भावस्था आपको मूडी और चिड़चिड़ा बना सकती है। गर्भवती महिलाओं को सलाह दी जाती है कि वह अपने चारों ओर सकारात्मकता और पोजीटिव रखें। ऐसे में महिलाओं को स्वयं से पोजीटिव बात करनी चाहिए। इससे मां और बच्चे दोनों के लिए अच्छा माना जाता है। 

रंग थेरेपी

इसमें दिमाग को संतुलित करने के लिए प्रकाश और रंग का उपयोग शामिल है। कुछ रंग मूड को अच्छा कर सकते हैं और दिमाग पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।

अरोमाथेरेपी

अरोमाथेरेपी में गंध की इंद्रियों का उपयोग करता है जो इंद्रियों को तेज करता है, और शरीर व दिमाग को शांत करता है। मां को तनावमुक्त करने में मदद के लिए आवश्यक तेलों और अन्य सुगंधित पदार्थों का उपयोग किया जा सकता है।

आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां

मां और बच्चे दोनों की ओवर ऑल हेल्थ को बेहतर बनाने के लिए आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां और सप्लीमेंट्स दी जी सकती हैं। इनमें शतावरी, अश्वगंधा और ब्राह्मी जैसे तत्व शामिल हैं, जो अपने एडाप्टोजेनिक गुणों के लिए जाने जाते हैं।

आयुर्वेद के अनुसार गर्भ संस्कार के लाभ - Benefits Of Garbh Sanskar in Ayurveda In Hindi 

  • शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होना: गर्भ संस्कार के आयुर्वेदिक सिद्धांतों का पालन करने से बेहतर मां की सेहत के साथ ही बच्चे की सेहत भी बेहतर होती है। उचित पोषण और आहार भ्रूण के सर्वोत्तम विकास में योगदान करते हैं।
  • इमोशनल स्टेब्लिटी: गर्भ संस्कार का अभ्यास करने से माताओं को भावनात्मक स्थिरता और आंतरिक शांति बनाए रखने में मदद मिलती है। इससे प्रेग्नेंसी के दौरान तनाव और चिंता कम होती है, जिससे बच्चे की भावनात्मक हेल्थ पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • संज्ञानात्मक विकास (कॉग्नेटिव ग्रोथ): गर्भावस्था के दौरान एक पोषणयुक्त वातावरण बच्चे में स्वस्थ कॉग्नेटिव ग्रोथ को बढ़ावा दे सकता है। माना जाता है कि गर्भ संस्कार द्वारा प्रोत्साहित सकारात्मक विचार, मानसिक व्यायाम और पुष्टि संज्ञानात्मक क्षमताओं को बढ़ाने में योगदान करते हैं।
  • दोषों को संतुलित करना: आयुर्वेद गर्भावस्था के दौरान मां के दोषों (वात, पित्त और कफ) को संतुलित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह संतुलन बच्चे के विकास और एक सहज प्रसव के लिए बेहतर होता है।
  • प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होना: गर्भ संस्कार से जुड़े उचित पोषण और आहार संबंधी बदलाव से मां और बच्चे दोनों की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत बनती है। जिससे बीमारियों से बचाव में मदद मिलती है।
  • जन्म संबंधी जटिलताओं में कमी: गर्भ संस्कार से जुड़ी तनाव कम करने की तकनीक और शारीरिक फिटनेस प्रसव के दौरान होने वाले जोखिम की संभावना को कम कर सकते हैं, जिससे मां और बच्चे दोनों के लिए प्रक्रिया आसान हो जाती है।

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गर्भावस्था में महिलाओं को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस दौरान गर्भ संस्कार से आप बच्चे और मां के स्वास्थ्य को बेहतर कर सकते हैं। आयुर्वेद के द्वारा इससे बच्चे और मां दोनों को इमोशनली और शारीरिक रूप से मजबूत बनाया जा सकता है। हमारी ‘आरोग्य विद आयुर्वेद’ सीरीज में आपको आने वाले समय आयुर्वेद से जुड़ी अन्य उपयोगी जानकारियां प्रदान की जाएंगी। आयुर्वेद के माध्यम से अन्य रोगों के इलाज को जानने के लिए आप हमारी वेबसाइट के साथ जरूर जुड़ें। साथ ही, हमारे लेखों को अपने दोस्तों और परिचितों के साथ शेयर करें, ताकि वह भी आयुर्वेदिक उपचारों के विषय में जागरूक हों और उनको भी इसका लाभ मिलें।

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