क्या बबूल से टॉन्सिल ठीक होते हैं? आयुर्वेदाचार्य से जानें

बबूल के पेड़ में कई रोगों का इलाज किया जाता है। आयुर्वेद में बबूल को गले से जुड़ी समस्याओं में इस्तेमाल किया जाता है। आगे जानते हैं कि क्या टॉन्सिल में बबूल का इस्तेमाल किया जा सकता है?
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क्या बबूल से टॉन्सिल ठीक होते हैं? आयुर्वेदाचार्य से जानें


Tonsils Treatment in Ayurveda: मौसम में बदलाव होते ही लोगों को सर्दी-जुकाम और बुखार की समस्या होने लगती हैं। दरअसल, वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण के चलते बदन दर्द, बुखार, गले में इंफेक्शन या टॉन्सिल की समस्या का सामना करना पड़ता है। यह समस्या किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती हैं। टॉन्सिल होने पर गले के दोनों ओर या एक साइड में गांठ महसूस हो सकती है। इसके साथ ही, व्यक्ति को खाने या पानी पीते समय भी दिक्कत होती है। इस वजह से खाते समय तेज दर्द होता है। हालांकि, टॉन्सिल के हल्के लक्षणों में डॉक्टर आपको कुछ एंटीबायोटिक्स दवाएं दे सकते हैं। लेकिन, इसके अलावा आप आयुर्वेदिक उपायों से भी टॉन्सिल की समस्या को कम कर सकते हैं। आयुर्वेद में बबूल की छाल व उसके काढे़े को गले से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए फायदेमंद माना (Can Babool Help To Treat Tonsils) जाता है। ऐसे में आगे मुरैना के सरकारी अस्पताल की आयुर्वेदिक डॉक्टर सोनल गर्ग से जानते हैं कि क्या बबूल से टॉन्सिल की समस्या में आराम मिल सकता है? 

टॉन्सिल के लिए बबूल किस तरह से फायदेमंद होता है? - Benefits Of Babool For Tonsils In Hindi 

  • बबूल के पेड़ के पत्तों और छाल में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो बैक्टीरिया की वजह से होने वाले टॉन्सिल को दूर करने में मदद करते हैं। 
  • बबूल में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। इन गुणों के चलते बबूल से टॉन्सिल में होने वाली सूजन में आराम पहुंचाने में सहायक होता है। 
  • इस पेड़ में एंटी-ऑक्सीडेंट्स गुण भी पाए जाते हैं, जो व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं। इससे टॉन्सिल की वजह बनने वाले कारण से छुटकारा मिलता है। 
  • बबूल की छाल या काढ़ें में एंटी-फंगल प्रोपर्टी मौजूद होते हैं। 

Babool For Tonsils In Hindi

बबूल का टॉन्सिल के इलाज में उपयोग कैसे करें? - How To Use Babool For Tonsils In Hindi 

बबूल की छाल का काढ़ा

बबूल की छाल का काढ़ा बनाकर गरारे करने से टॉन्सिल की सूजन कम होती है और दर्द से राहत मिलती है। इसके लिए एक गिलास पानी में बबूल की छाल को उबालें और फिर इसे छानकर थोड़ा ठंडा करें। इस काढ़े से गरारे करें, जिससे गले में इंफेक्शन का प्रभाव कम होता है।

बबूल की छाल का पाउडर

गले में टॉन्सिल होने पर आप बबूल की छाल के पाउडर को गर्म पानी में मिलाकर 10 से क15 मिनट गरारे करें। अगर, छाल या उसका पाउडर न मिलें तो ऐसे में आप बबूल की पत्तियों का भी उपयोग कर सकते हैं। 

बबूल की चाय 

बबूल के सूखे पत्तों को पानी में उबालकर चाय बनाएं। इसमें हल्का शहद मिलाकर सेवन करने से गले की खराश और सूजन कम होती है। यह चाय टॉन्सिल के संक्रमण में भी फायदेमंद है।

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Tonsils Treatment in Ayurveda: दांतों, मुंह और गले की समस्या को दूर करने के लिए वर्षों से बबूल का उपयोग किया जा रहा है। इसे एक आयुर्वेदिक औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। यह संक्रमण को दूर करने और सूजन को कम करने में सहायक होती है। यदि आपको पहले से गले से जुड़ी कोई समस्या है या टॉन्सिल काफी अधिक है तो ऐसे में डॉक्टर से संपर्क अवश्य करें। 

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