Tonsil Stones in Hindi: आमतौर पर लोगों ने गले में टॉन्सिल्स होना तो बहुत सुना है, लेकिन टॉन्सिल स्टोन्स के बारे में कम ही लोगों को पता है। टॉन्सिल स्टोन्स को टॉन्सिलोलिथ भी कहा जाता है। आयुर्वेद में इसे गलगण्ड या कंठनालिकाशय ग्रंथि विकार से जोड़कर समझा जाता है। आजकल लोग मुंह की साफ-सफाई अच्छे से नहीं रखते और खानपान की वजह से भी टॉन्सिल स्टोन्स हो जाते हैं। अगर किसी को ये हो जाते हैं, तो उसकी सांस में दुर्गंध, गले में दर्द और बार-बार गले में सूजन आती रहती हैं। इसे ठीक करने के लिए लोग घरेलू उपचार अपना सकते हैं। इस बारे में हमने फरीदाबाद के सर्वोदय अस्पताल के सीनियर आयुर्वेदिक पंचकर्मा कंसल्टेंट डॉ. चेतन शर्मा (Dr. Chetan Sharma, Sr. Ayurveda Panchakarma Consultant, Sarvodaya Hospital, Faridabad & Noida) से बात की। इससे पहले जानते हैं कि टॉन्सिल स्टोन क्या होते हैं और क्यों होते हैं?
टॉन्सिल स्टोन्स क्या होते हैं? - What is Tonsil Stones in Hindi
डॉ.चेतन कहते हैं, “दरअसल टॉन्सिल्स के ऊपर छोटे छोटे कण (crypts) जमा हो जाते हैं। ये आमतौर पर कैल्शियम, भोजन के कणों और मृत कोशिकाओं और बैक्टीरिया से बनते हैं और अगर समय पर उपचार न किया जाए, तो ये जमकर पत्थर जैसे हो जाते हैं। ये स्टोन्स सफेद और पीले रंग के होते हैं। अगर ये काफी दर्दनाक होते हैंसे छोटे-छोटे कठोर पदार्थ जमा हो जाते हैं। ये पदार्थ पीला या सफेद रंग का होता है। इलाज न होने पर मरीज गले के दर्द से परेशान रहता है और खाने पीने में भी दिक्कत होने लगती है।”
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टॉन्सिल स्टोन्स क्यों होते हैं? - Causes of Tonsil Stones in Hindi
डॉ. चेतन कहते हैं कि आयुर्वेद के अनुसार टॉन्सिल स्टोन्स होने का कारण आम (undigested toxins) और कफ दोष का बहुत ज्यादा होना है। इसके अलावा, नीचे दिए कारणों की वजह से भी टॉन्सिल स्टोन्स होते हैं।
- मुंह की साफ-सफाई सही तरीके न करना
- बार-बार गले में इंफेक्शन होना
- कफ और बलगम बहुत ज्यादा जमा होना
- स्मोकिंग और प्रदूषण वजह होना
- पानी कम पीना और गले का बार-बार सूखना
टॉन्सिल स्टोन्स के घरेलू और आयुर्वेदिक उपचार - Home Remedies of Tonsil Stones in Hindi
डॉ. चेतन ने बताया कि टॉन्सिल स्टोन्स का इलाज घर पर भी किया जा सकता है, बस कुछ आदतों को अपनी जीवनशैली में अपनाने की जरूरत है।
गुनगुने नमक और पाना से गरारे करना
जिन लोगों को टॉन्सिल स्टोन की दिक्कत होती है, वे दिन में 2–3 बार गुनगुने पानी में एक चुटकी नमक डालकर गरारे कर सकते हैं। इससे टॉन्सिल स्टोन्स ढीले होते हैं और गले की सूजन कम होती है।
हल्दी वाला दूध
आयुर्वेद के अनुसार, टॉन्सिल स्टोन्स के मरीजों को संक्रमण से बचने के लिए रात में सोने से पहले हल्दी वाला दूध पीना चाहिए। इससे इम्यूनिटी बढ़ती है और इंफेक्शन कम होने में मदद मिलती है।
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त्रिफला का सेवन
डॉ. चेतन के अनुसार, त्रिफला चूर्ण लेने से शरीर में टॉक्सिन्स जमा नहीं होते। इसे लेने के लिए रात में गुनगुना पानी में डालकर लें। इससे शरीर से आम निकलता है।
लौंग और तुलसी
टॉन्सिल स्टोन्स में लौंग और तुलसी की चाय लेने से कई फायदे होते हैं। इसमें प्राकृतिक एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो टॉन्सिल पर जमा बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद करते हैं।
ग्रीन टी और नींबू पानी
आमतौर पर ग्रीन टी या गुनगुना नींबू पानी शरीर से कफ को कम करता है। इसे लेने से मुंह की दुर्गंध कम होती है और टॉन्सिल्स स्टोन्स कम होते हैं।
मुंह की साफ-सफाई
यह रोजाना की आदत बना लें कि जब भी ब्रश करें इसके बाद जीभ को जरूर साफ करें। इससे टॉन्सिल स्टोन्स कम बनते हैं। साथ ही दिन में कम से कम 2 बार कुल्ला जरूर करें।
निष्कर्ष
डॉ. चेतन के अनुसार, टॉन्सिल्स स्टोन्स से बचाव के लिए सभी को अपने लाइफस्टाइल में भी बदलाव करने चाहिए। लोगों को तला-भुना और भारी भोजन न करें। एकदम ठंडी चीजों या कोल्ड ड्रिंक्स से बचें। दिनभर पानी पीते रहें और अगर बार-बार टॉन्सिल स्टोन्स बन रहे हैं, तो तुरंत किसी आयुर्वेद विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें। सही खानपान, लाइफस्टाइल में बदलाव और आयुर्वेदिक तरीकों को अपनाकर टॉन्सिल स्टोन्स की समस्याओं को जड़ से खत्म किया जा सकता है।
FAQ
टॉन्सिल स्टोन कितने दिन तक रहता है?
टॉन्सिल स्टोन कई दिनों से लेकर कुछ सालों तक रह सकते हैं। वैसे तो घरेलू उपचार से ये तीन से चार हफ्ते में ठीक हो जाते हैं।टॉन्सिल बढ़ने से कौन सी बीमारी होती है?
टॉन्सिलाइटिस में टॉन्सिल संक्रमित हो जाते हैं और मरीज को गले में खराश, बुखार और सूजी हुई लिम्फ नोड्स हो सकते हैं।टॉन्सिल की गांठ कहां होती है?
टॉन्सिल गले के पिछले हिस्से में दोनों ओर गांठ के रुप में हो सकता है। ये गांठ लाल और सूजी हुई हो सकती है। अगर समय पर इलाज न किया जाए तो मरीज की स्थिति गंभीर हो सकती है।