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Myths And Facts Related To Newborn Babies In Hindi: जन्म के तुरंत बाद से ही शिशु की सेहत का ध्यान बहुत ज्यादा सावधानी से रखा जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि शिशु के लिए यह पूरी दुनिया, आबो-हवा नई-नई होती है। उन्हें हर चीज के साथ एड्जस्ट करना होता है। ऐसे में अगर जरा भी लापरवाही की जाए, तो उन्हें इंफेक्शन, त्वचा से जुड़ी समस्या आदि हो सकती है। यहां तक कि शिशु को गंभीर बीमारी भी हो सकती है। जिस तरह यह दुनिया नवजात शिशु के लिए पूरी तरह नई होती है, उसी तरह नए बने पैरेंट्स के लिए भी यह सफर आसान नहीं होता है। खासकर, मां अपने नए जन्मे शिशु की सेहत के लिए काफी कॉन्शस होती है। बच्चा जितनी बार रोता है, उतनी बार मां की परेशानी बढ़ती है। हालांकि, जैसे-जैसे वक्त बीतता जाता है, वैसे-वैसे मां के लिए शिशु का रोना, उसकी बॉडी लैंग्वेज को समझने लगती है। इसके बावजूद, जन्म के बाद कुछ ऐसी बातें होती हैं, जिसे पैरेंट्स किसी बीमारी या स्वास्थ्य समस्या का संकेत समझते हैं। आइए, जानते हैं इस तरह के कुछ जन्मजात समस्याओं के बारे में और उनकी सच्चाई क्या है। इस बारे में नोएडा सेक्टर 110 बाल रोग विशेषज्ञ के डॉ. मोहित सेठी ने इंस्टा पर एक वीडियो शेयर की है।
शिशु स्वास्थ्य से जुड़े मिथक-सच्चाई- Myths And Facts Related To Newborn Babies Health In Hindi
मिथकः शिशु के तालु में दाना होना घातक है
सच्चाईः कई बार जन्म के बाद तुरंत बाद उनके मुंह के अंदर तालु में दो छोटे-छोटे दाने हो जाते हैं। कई पैरेंट्स को लगता है कि यह खतरानाक है और वे परेशान हो उठते हैं। इस बारे में डॉक्टरों का कहना कि यह चिंता का विषय नहीं है। यह बिल्कुल सामान्य है। इसे एप्सटीन पर्ल के नाम से जाना जाता है। कई बच्चों में यह समस्या देखी जाती है। समय के साथ-साथ ये दानें अपने आप ठीक हो जाते हैं।
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मिथकः जन्म के समय माथ के बीचो बीच लाल दाग होना, जो ठीक नहीं होता
सच्चाईः जन्म के समय कुछ बच्चों के माथे के बीचों-बीच या सिर के पीछे लाल दाग होता है। यह एक तरह का बर्थ मार्क जैसा नजर आता है। लेकिन, यह कोई समस्या नहीं है। हालांकि, पैरेंट्स इसे किसी तरह की स्किन प्रॉब्लम या बर्थमार्क समझ बैठते हैं। जबकि, ऐसा नहीं है। यह सैल्मन पैच के नाम से जाना जाता है, जो कि दो साल के अंदर अपने आप ठीक हो जाता है।
मिथकः बच्चा सामान्य से अधिक अंगड़ाई लेता है या पूरा दिन आवाजें निकालता रहता है
सच्चाईः वैसे तो नवजात शिशु का अधिकतर समय सोने में ही बीतता है। वहीं, कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जो ज्यादा अंगड़ाई लेते हैं या ऐंठते हैं। इसे पैरेंट्स किसी तरह की बीमारी या समस्या समझने की भूल न करें। यह एरोफेगी कहलाता है। यह बिल्कुल नॉर्मल होता है। कई बार बच्चे को अधिक गैस बनने गलती है, जब ऐसा होता है। इस स्थिति में घबराए नहीं। जब भी बच्चा ऐसी आवाजें निकाले, तो आप उसे 15 मिनट तक डकार दिलाने की कोशिश करें। गैस रिलीज होते ही उसे आराम आ जाएगा।
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मिथकः बच्चा यूरिन करने से पहले अक्सर रोता है, यह कोई गंभीर परेशानी है
सच्चाईः बच्चा यूरिन करने से पहले सामान्य तौर पर नहीं रोता है। लेकिन, अगर किसी का बच्चा रो रहा है, तो इसे कोई बीमारी या परेशानी न समझें। बच्चा यूरिन करने से पहले रोता है, यह सामान्य है। यूरिन पास होते ही वह नॉर्मल फील करता है। इसलिए पेशाब करने के बाद वह चुप हो जाता है। यह कोई समस्या नहीं है।
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मिथकः बच्चे को लगातार पॉटी से जुड़ी समस्या रहती है, इस दौरान वह रोता भी है। ऐसा होना ठीक नहीं है।
सच्चाईः नवजात शिशु में पॉटी, गैस निकलने से लेकर कई तरह की समस्याएं होती हैं। कई बार बच्चे दो-दो या तीन-तीन दिन तक पॉटी नहीं करते हैं। ऐसे में उसके पेट में गैस बन जाती है। अगर गैर रिलीज न हो, तो बच्चा रोता है। लेकिन, यह कोई बीमारी यह चिंता का विषय नहीं है। पैरेंट्स को चाहिए कि बच्चा हर बार दूध पीने के बाद गैस रिलीज करे, इस बात का ध्यान रखे। अगर वह पॉट करते वक्त रोता है, तो भी घबराए नहीं। कई बार जोर लगाते हुए बच्चा रोने लगता है। कभी-कभी गैस रिलीज करने के दौरान भी बच्चे की पॉटी निकल जाती है। इस तरह की सभी स्थितियां पूरी तरह नॉर्मल है।
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