Baby Massage Tips: जन्म के बाद शिशु का विकास सही ढंग से हो इसके लिए उचित देखभाल की जरूरत होती है। इस विकास के लिए सदियों से नवजात शिशु की मालिश की जा रही है। कई लोग यह भी मानते हैं कि मालिश करने से नई मां और शिशु के बीच रिश्ता गहरा होता है। आयुर्वेद में भी शिशु के विकास के लिए मालिश (Infant Massage in Ayurveda) को बहुत फायदेमंद माना गया है। दरअसल, तेल से मालिश करने से शिशु की मांसपेशियों (Health Benefits of Baby Massage) की अकड़न ठीक होती है। मालिश बच्चे के शरीर में होने वाले दर्द और थकान को भी दूर करने में मदद करता है। इसके अलावा भी शिशु की मालिश से जुड़े कई ऐसे फायदे हैं, जिस पर अभी भी रिसर्च की जा रही है।
लेकिन शिशु की मालिश से जुड़ी कई ऐसे बाते हैं, जो दादी-नानी के जमाने से चली आ रही हैं और आज के जमाने में भी नई मां को उस पर विश्वास करना पड़ रहा है। यही कारण है आज इस लेख के माध्यम से हम आपको शिशु की मालिश से जुड़े कुछ मिथक और उनकी सच्चाई के बारे में बताने जा रहे हैं। इस विषय पर डॉ. रश्मी आनंद ने इंस्टाग्राम पर वीडियो भी शेयर किया है।
मिथक 1 : मालिश करते समय नाक दबाने से शेप ठीक हो जाती है।
सच्चाई : डॉ. रश्मि आनंद का कहना है कि सदियों से यह बात सुनी जा रही है कि मालिश करते समय शिशु की नाक को दबाने से उसकी शेप ठीक हो जाती है, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। शिशु की नाक, उसका आकार, कद और काठी आदि उसके जीन पर निर्भर करता है। आसान भाषा में कहें तो शिशु की नाक और शरीर की आकृति माता या पिता से मिलती-जुलती ही रहेगी। मालिश के दौरान नाक को दबाने या खिंचने से कुछ नहीं होता है।
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मिथक 2 : जन्म के बाद शिशु के सीने से सफेद तरल पदार्थ निकालना चाहिए।
सच्चाई : नवजात शिशु के जन्म के बाद कई परिवार की दादी-नानी आज भी उनके सीने को दबाकर दूधिया रंग का तरल पदार्थ निकालने की कोशिश करती है। परिवार के सदस्यों का मानना होता है कि दूधिया रंग का तरल पदार्थ शिशु को संक्रमण से बचाता है। इस विषय पर डॉक्टर का कहना है कि नवजात शिशु के स्तन दबाकर किसी भी तरह का तरल निकालना सही नहीं है। ऐसा करने से स्तन के ऊतकों में जलन या असहजता हो सकती है। नवजात शिशु के स्तनों को दबाने से फोड़ा या गंभीर संक्रमण भी हो सकता है। जन्म के बाद पहले कुछ हफ्तों में नवजात शिशुओं, चाहे वह लड़का हो या लड़की, दोनों के स्तनों में सूजन होना सामान्य है। यह सूजन वक्त के साथ कम हो जाती है।
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मिथक 3 : शिशु के सिर के गड्ढे को तेल से भरें।
सच्चाई : कई बार जन्म के बाद शिशु के सिर में छोटा सा गड्ढा देखने को मिलता है। दादी-नानी इस गड्ढे को भरने के लिए तेल डालती हैं। लेकिन ऐसा करने से बिल्कुल गलत है। डॉ. रश्मि का कहना है कि शिशु के सिर का गड्ढा समय के साथ खुद से भर जाता है। अगर इस गड्ढे में तेल ज्यादा भरा जाए, तो यह संक्रमण का खतरा पैदा कर सकता है।
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मिथक 4 : बच्चे के सिर को दबाकर गोल करना चाहिए।
सच्चाई : जन्म के बाद कई बच्चों का सिर थोड़ा सा टेढ़ा या लंबा होता है। इसे ठीक करने के लिए दबाना की सलाह दी जाती है। डॉ. रश्मी का कहना है कि शिशु का सिर दबाने से गोला होता है, यह बात पूरी तरह से मिथक है। बच्चे का सिर हड्डियों से बनता है। अगर सिर को शेप में लाने के लिए इसे दबाते हैं, तो यह शिशु के दिमाग की नसों को भी डैमेज कर सकता है।
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डॉ. रश्मी आनंद का कहना है कि शिशु की देखभाल जैसे की मालिश, खाना और पॉटी संबंधी किसी भी बात पर विश्वास करने से पहले पेरेंट्स को इसके बारे में डॉक्टर से बात करनी चाहिए।
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