दुनियाभर के करीब 29 देशों में मंकीपॉक्स के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक दुनियाभर में मंकीपॉक्स संक्रमण के 1 हजार से ज्यादा मामले पाए गए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण को लेकर दुनिया को आगाह करते हुए इसे खतरनाक बताया था। दुनिया के 29 देशों के बाद अब भारत में भी मंकीपॉक्स के संदिग्ध मरीज सामने आने लगे हैं। कुछ दिनों पहले उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में एक 5 वर्षीय बच्ची में मंकीपॉक्स से जुड़े लक्षण देखे गए थे जिसके बाद बच्ची का सैंपल जांच के लिए भेजा गया था। हालांकि जांच के बाद यह रिपोर्ट नेगेटिव आई थी। इसके बाद अब उत्तराखंड के रुड़की में मंकीपॉक्स का एक संदिग्ध मरीज मिला है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 38 वर्षीय पुरुष में मंकीपॉक्स के लक्षण देखे गए हैं। संदिग्ध मरीज में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखने पर हरिद्वार सीएमओ कार्यालय से टीम को मरीज का सैंपल लेने के लिए भेजा गया है। मंकीपॉक्स वायरस को लेकर दुनियाभर में कई शोध और अध्ययन किये जा रहे हैं। इसी बीच एक स्टडी ने लोगों को चौंका दिया है। ब्रिटेन में की गयी स्टडी में यह कहा गया है कि मंकीपॉक्स वायरस संक्रमण के 99 प्रतिशत मामले समलैंगिक लोगों में पाए गए हैं। आइए विस्तार से जानते हैं इसके बारे में।
मंकीपॉक्स को लेकर यूके के स्वास्थ्य एजेंसी की स्टडी (UKHSA Latest Findings Into Monkeypox Outbreak)
यूके की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी ने मंकीपॉक्स को लेकर एक नई और चौंकाने वाली स्टडी जारी की है। इस स्टडी में कहा गया है कि मंकीपॉक्स के लगभग 99 प्रतिशत मामले ऐसे लोगों में पाए गए हैं जो समलैंगिक हैं। समलैंगिक यौन संबंध बनाने वाले लोगों में मंकीपॉक्स का संक्रमण तेजी से फैला है। यूकेएचएसए ने मंकीपॉक्स को लेकर अपनी पहली तकनीकी ब्रीफिंग के दौरान यह बातें सामने रखी हैं। इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए एजेंसी ने मंकीपॉक्स से संक्रमित लगभग 152 मरीजों का इंटरव्यू किया जिसमें से लगभग 81 प्रतिशत लोग लंदन के थे।
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मंकीपॉक्स संक्रमण को लेकर यूकेएचएसए की चेतावनी (UKHSA Monkeypox Warning)
यूके की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी ने मंकीपॉक्स संक्रमण को लेकर चेतावनी देते हुए कहा है कि किसी को भी मंकीपॉक्स का संक्रमण हो सकता है। यूकेएचएसए की तरफ से कहा गया है कि यह संक्रमण सिर्फ समलैंगिक लोगों को ही बल्कि किसी को भी हो सकता है। खासकर अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाते हैं जिन्हें पहले से ही मंकीपॉक्स के लक्षण दिख रहे हैं। मंकीपॉक्स संक्रमण का लक्षण दिखते ही मरीज को सबसे पहले नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर संपर्क करना चाहिए।
मंकीपॉक्स संक्रमण को लेकर भारत सरकार की गाइडलाइन (Monkeypox Disease Guideline in Hindi)
दुनियाभर में तेजी से फैल रहे मंकीपॉक्स संक्रमण को लेकर केंद्र सरकार ने गाइडलाइन जारी की है जिसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार द्वारा मंकीपॉक्स वायरस को लेकर जारी की गयी गाइडलाइन में कहा गया है कि संदिग्ध मरीज का पता चलने पर उसके सैंपल को जांच के लिए एनआईवी पुणे में भेजा जायेगा। इसके अलावा ऐसे व्यक्ति जो बीते 21 दिनों में विदेश यात्रा कर वापस आये हैं उन्हें अगर बुखार, सिरदर्द, शरीर में दर्द या रैशेज आदि होने पर उन्हें संदिग्ध माना जाएगा। मरीज में संक्रमण की पुष्टि होने के बाद उसका इलाज करते समय 21 दिनों तक लगातार निगरानी में रखा जाएगा और उसे ट्रिपल लेयर मास्क पहनना होगा।
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देश में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की तरफ से मंकीपॉक्स संक्रमण को रोकने के लिए लगातार कदम उठाए गए हैं। हर राज्य में संदिग्ध मरीज की जांच की जा रही है। जांच के लिए सैंपल पोलीमरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) और म्यूटेशन द्वारा वायरल डीएनए की पहचान के लिए टेस्टिंग में सैंपल को जिले या राज्य के एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) नेटवर्क के माध्यम ICMR और NIV पुणे भेजा जाएगा।
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