जन्म के बाद सी ही शिशुओं के शरीर में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए उन्हें सप्लीमेंट्स देना शुरू कर दिया जाता है। इन सप्लीमेंट्स में आयरन ड्रोप्स भी शामिल है। अधिकतर छोटे बच्चों के शरीर में आयरन की कमी होती है, जो उनके शारीरिक विकास में बाधा डाल सकते हैं। ऐसे में सिर्फ मां के दूध या फॉर्मूला मिल्क से दूध की कमी पूरी करना मुश्किल हो जाता है। लेकिन बच्चों को आयरन सप्लीमेंट देने के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है ताकि इसका अवशोषण शरीर में बेहतर तरीके से हो सके। ऐसे में आइए पीडियाट्रिशियन डॉक्टर अर्पित गुप्ता से जानते हैं कि बच्चों को आयरन ड्रॉप्स देते समय क्या गलतियां नहीं करनी चाहिए?
शिशुओं को आयरन देते समय न करें ये 2 गलतियां
1. कैल्शियम और विटामिन डी के साथ आयरन लेना
अक्सर माता-पिता अपने बच्चों को जरूरी सप्लीमेंट्स एक साथ दे देते हैं, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। खासकर, जब आप बच्चे को आयरन की ड्रॉप दे रहे हैं, तो इसके साथ कैल्शियम और विटामिन डी देने से बचना चाहिए। दरअसल, कैल्शियम और विटामिन डी, आयरन के अवशोषण में बाधा डाल सकते हैं। इसे रोकने के लिए आयरन, कैल्शियम और विटामिन डी सप्लीमेंट के बीच कम से कम 2 घंटे का गेप रखें। इससे दोनों पोषक तत्वों को अवशोषित होने का समय मिलेगा।
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2. दूध के साथ आयरन सप्लीमेंट्स देना
छोटे बच्चों को आयरन सप्लीमेंट्स अक्सर पेरेंट्स दूध के साथ देते हैं, या फिर आयरन ड्रॉप्स देने के बाद उन्हें दूध पिलाने लगते हैं, जिसे आयरन को अवशोषण रुक सकता है। दरअसल, दूध आयरन के अवशोषण को धीमा कर देता है या रोक देता है। इसलिए, आयरन की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए, दूध के तुरंत बाद आयरन देने से बचें। इसके बेहतर अवशोषण के लिए आयरन और दूध के सेवन के बीच कम से कम 1 घंटे का अंतर रखें।
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आयरन से जुड़ी जरूरी बातें
- आयरन हीमोग्लोबिन के उत्पादन में मदद करता है, जो रेड ब्लड सेल्स में एक प्रोटीन है और फेफड़ों से शरीर के अन्य सेल्स तक ऑक्सीजन ले जाता है।
- आयरन मायोग्लोबिन का एक घटक है, जो मांसपेशियों के सेल्स में ऑक्सीजन को रिलीज करता है।
- आयरन इम्यूनिटी सिस्टम को बढ़ावा देता है और आपको स्वस्थ रहने में मदद करता है।
- आयरन घाव भरने में मदद करता है, स्किन और बालों के स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है।
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बच्चों को आयरन ड्रॉप्स देते समय सही सावधानी बरतनी जरूरी है, ताकि बच्चे के शरीर में आयरन की कमी को पूरा किया जा सकें और उनके शारीरिक विकास को बेहतर बनाया जा सके।
Image Credit: Freepik
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