What Not to Do When Handling a baby?: नवजात शिशु का शरीर बहुत ही कोमल और नाजुक होता है। कोमल शरीर होने के कारण ही नवजात को उठाते वक्त बहुत सारी सावधानियां बरतने के लिए कहा जाता है। नए माता-पिता बच्चे को उठाते वक्त तो सावधानियां रखते हैं, लेकिन जब बात शिशु की मालिश की आती है, तो भारतीय घरों में आज भी पुराने पारंपरिक तरीके ही अपनाएं जा रहे हैं। नवजात शिशु की मालिश करते वक्त दादी-नानी आज भी उनके हाथ और को लटकाती हैं, दोनों हाथों से सिर को पकड़कर हिलाते हैं। दादी-नानी का मानना है कि ऐसा करने से नवजात शिशु के मन से डर निकल जाता है।
लखनऊ के बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. तरुण आनंद का कहना है कि बच्चों को इस तरह से उठाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। बच्चों को उठाते वक्त कुछ बातों का ध्यान न रखा जाए, तो यह उनके लिए जीवनभर की परेशानियों का सबब बन सकता है। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको बताने जा रहे हैं, बच्चों को उठाने के गलत तरीकों के बारे में, जिससे पेरेंट्स को बचना चाहिए।
नवजात शिशु को उठाते समय कौन सी गलतियां नहीं करनी चाहिए?-
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1. हिलाने से बचें
डॉ. तरुण आनंद का कहना है कि बच्चे को कभी भी न हिलाएं, चाहे वह खेलते समय हो या झल्लाहट में। अगर बच्चे को अचानक से हिलाते हैं, तो इससे सिर पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। इससे दिमाग में चोट लगने का खतरा भी रहता है। इसलिए बच्चों को हिलाने से बचना चाहिए।
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2. उछल-कूद से बचें
ध्यान रहे कि नवजात शिशु का शारीरिक विकास अभी हो रहा है। इसलिए बच्चों को उठाते वक्त किसी भी तरह की उछल-कूद से बचना चाहिए। अगर आप नवजात शिशु के शरीर को जोर से हिलाते या कूदाते हैं, तो इससे बच्चे के हाथ और पैर पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है, जिससे फ्रैक्चर का खतरा हो सकता है।
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3. कसकर न लपेटें
नवजात शिशु अपने हाथ-पैर ज्यादा फेंकते हैं। कई बार नए पेरेंट्स उन्हें उठाने से पहले किसी चादर या कंबल में लपेट देते हैं, ताकि वह ज्यादा हाथ-पैर न चला पाए। डॉ. तरुण आनंद का कहना है कि पेरेंट्स को बच्चों के हाथ-पैर को लपेटने से बचना चाहिए। बहुत ज्यादा कसकर लपेटने से बच्चों की हरकत या सांस लेने में परेशानी हो सकती है। इसलिए बच्चों को सूती कपड़े में ही लपेटे और ध्यान रखें कि लपेटने के बाद वह अपने पैर सही तरीके से हिला पा रहे हैं या नहीं।
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4. आवाज पर भी दें ध्यान
बच्चे को उठाते समय जितना ध्यान पेरेंट्स को पकड़ पर रखना होता है, उतना ही ध्यान अपनी आवाज पर भी जरूरी है। बच्चे आपकी आवाज के लहजे के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं। गुस्से में भी नवजात शिशु के सामने शांति से बात करें। यह विश्वास बनाने और माहौल को शांत रखने में मदद करता है।
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5. डायपर बदलते समय सावधान रहें
बच्चों के डायपर बदलते समय कोमल, सहज हाथों का उपयोग करें। बच्चे के टखने पकड़कर उसके कूल्हों को सावधानी से ऊपर उठाएं, बिना ज्यादा जोर से खींचे ही उसे साफ करें।
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