
नींद हम सब के लिए बेहद जरूरी है। अच्छी नींद आपके पूरे बॉडी को हेल्दी रखने में मदद कर सकती है। जब आप एक अच्छी नींदनहीं सो पाते तो ब्लड सर्कुलेशन खराब होता है, मूड पर फर्क पड़ता है और दिल व दिमाग का काम काम भी प्रभावित होता है। पर कुछ लोगों को अच्छी नींद नहीं आती और इसके लिए वे मेलाटोनिन सप्लीमेंट्स लेते हैं। दरअसल, मेलाटोनिन सप्लीमेंट्स लेने से शरीर में मेलाटोनिन हार्मोन की बढ़ोतरी होती है जो कि नींद-जागने के चक्र को बेहतर बनाने के लिए बेहद जरूरी है। हमारे शरीर में मेलाटोनिन नेचुरली रात में बहुत ज्यादा होता है। मेलाटोनिन सप्लीमेंट नींद संबंधी विकारों, जैसे कि देर से नींद आना और अनिद्रा से राहत दिला सकते हैं लेकिन हाल ही में American Heart Association ने एक शोध के जरिए बताया कि कैसे मेलाटोनिन सप्लीमेंट्स लेना आपके लिए नुकसानदेह हो सकता है। इसे लेकर क्या कहती है ये स्टडी आइए जानते हैं। साथ ही जानेंगे Dr. Sunil Kumar K, Lead Consultant - Interventional Pulmonology, Aster CMI Hospital, Bangalore की राय।
मेलाटोनिन सप्लीमेंट से हार्ट फेलियर का खतरा: स्टडी
American Heart Association की इस स्टडी में बताया गया है कि मेलाटोनिन की खुराक को सुरक्षित नींद सहायक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है हालांकि आंकड़े बताते हैं कि मेलाटोनिन का उपयोग हार्ट फेलियर के जोखिम को बदलता है, विशेष रूप से दीर्घकालिक अनिद्रा रोगियों में। अनिद्रा से ग्रस्त वयस्कों में, जिनके इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड में लंबे समय तक मेलाटोनिन का सेवन 12 महीने या ज्यादा दर्शाया गया था, उनमें 5 वर्षों में हृदय गति रुकने की संभावना, गैर-उपयोगकर्ताओं की तुलना में लगभग 90% ज्यादा थी। शोधकर्ताओं ने जब उन लोगों का विश्लेषण किया जिन्होंने कम से कम 90 दिनों के अंतराल पर कम से कम दो मेलाटोनिन प्रिस्क्रिप्शन लिए थे, तो भी यही परिणाम 82% ज्यादा सामने आया।

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क्या कहते हैं डॉक्टर?
मेलाटोनिन सप्लीमेंट को लेकर Dr. Sunil Kumar कहते हैं कि मेलाटोनिन शरीर द्वारा निर्मित एक प्राकृतिक हार्मोन है जो नींद-जागने के चक्र को नियंत्रित करने में मदद करता है। कई लोग नींद की समस्याओं, जेट लैग या शिफ्ट में काम करने से राहत पाने के लिए मेलाटोनिन सप्लीमेंट लेते हैं। हालांकि मेलाटोनिन का अल्पकालिक उपयोग आमतौर पर सुरक्षित माना जाता है, लेकिन डॉक्टर चेतावनी देते हैं कि लंबे समय तक इसके इस्तेमाल से कुछ दुष्प्रभाव या स्वास्थ्य जोखिम हो सकते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि महीनों या सालों तक मेलाटोनिन लेने से कभी-कभी हार्मोन संतुलन प्रभावित हो सकता है, खासकर बच्चों और किशोरों में क्योंकि मेलाटोनिन एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन जैसे अन्य हार्मोन के साथ प्रतिक्रिया करता है। कुछ लोगों को इसके लगातार इस्तेमाल (Melatonin supplements side effects) से सुबह के समय सुस्ती, सिरदर्द, चक्कर आना या मूड में बदलाव का अनुभव भी हो सकता है।
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डॉक्टरों का कहना है कि शरीर नींद के लिए सप्लीमेंट्स पर निर्भर हो सकता है, जिससे समय के साथ उसका प्राकृतिक मेलाटोनिन उत्पादन कम हो जाता है। वे यह भी चेतावनी देते हैं कि बिना डॉक्टर के पर्चे के मिलने वाले मेलाटोनिन उत्पादों की गुणवत्ता और खुराक में व्यापक अंतर होता है, जिससे अनजाने में इसका ज़्यादा इस्तेमाल हो सकता है। एंडोक्रिनोलॉजिस्ट और नींद विशेषज्ञ मेलाटोनिन का इस्तेमाल केवल चिकित्सकीय मार्गदर्शन में और आदर्श रूप से अल्प अवधि या विशिष्ट स्थितियों में ही करने की सलाह देते हैं। लंबे समय तक नींद में सुधार के लिए, डॉक्टर जीवनशैली में बदलाव करने का सुझाव देते हैं, जैसे नियमित नींद का कार्यक्रम बनाए रखना, सोने से पहले स्क्रीन का समय सीमित करना, देर रात कैफीन से बचना और तनाव को नियंत्रित करना।
निष्कर्ष
हालांकि मेलाटोनिन सप्लीमेंट्स अल्पकालिक समाधान हो सकते हैं, लेकिन दीर्घकालिक या बिना निगरानी के इनका इस्तेमाल सभी के लिए सुरक्षित नहीं हो सकता है। डॉक्टर लोगों को सलाह देते हैं कि वे खराब नींद के मूल कारणों का पता लगाएं और पहले प्राकृतिक तरीकों का इस्तेमाल करें, मेलाटोनिन का इस्तेमाल केवल जरूरत पड़ने पर और किसी स्वास्थ्य सेवा पेशेवर से सलाह लेने के बाद ही करें।
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FAQ
मेलाटोनिन हार्मोन का क्या काम है?
मेलाटोनिन हार्मोन का काम है आपके शरीर की सर्कैडियन लय या स्लीप साइकिल को सही रखना। ये हमारा दिमाग बनाता है और आमतौर पर सोने से लगभग एक से तीन घंटे पहले छोड़ना शुरू कर देता है। रात में ये खून में बढ़ जाता है और इससे व्यक्ति गहरी नींद सोता है।मेलाटोनिन कहां पाया जाता है?
NIH के अनुसार मेलाटोनिन शरीर में ही पाया जाता है लेकिन आप अंडे और मछली जैसे खाद्य पदार्थों के जरिए इसे ले सकते हैं।मेलाटोनिन हार्मोन को कैसे बढ़ाएं?
मेलाटोनिन बढ़ाने के लिए सुबह उठकर सूरज देखें जिससे ये ट्रिगर करता है। इसके अलावा सोने से पहले स्क्रीन टाइम कम करें और डाइट में अखरोट, दूध और अंडों को शामिल करें।
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Nov 08, 2025 15:54 IST
Published By : Pallavi Kumari