Is It Safe To Take Melatonin While Pregnant In Hindi: प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं। ऐसा प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही तक होता रहता है। प्रेग्नेंसी में हार्मोनल बदलाव के कारण महिलाओं को उलटी आना, मॉर्निंग सिकनेस, जी मचलाना जैसी कई दिक्कतें होती रहती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के लिए शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन का स्तर बहुत तेजी से बढ़ता है। बहरहाल, कई बार ऐसा होता है कि महिलाओं के शरीर में मेलाटोनिन का स्तर कम हो जाता है। ऐसा तब होता है जब महिला पर्याप्त नींद नहीं लेती है, ऑक्सिडेटिव स्ट्रे का स्तर बढ़ जाता है। इस तरह की स्थिति में महिला को मेलाटोनिन हार्मोन (Melatonin In Pregnancy In Hindi) लेना पड़ता है। मगर सवाल है कि क्या वाकई प्रेग्नेंसी के दौरान मेलाटोनिन हार्मोन लिया जना सुरक्षित होता है? इस संबंध में Mumma's Blessing IVF और वृंदावन स्थित Birthing Paradise की Medical Director and IVF Specialist डॉ. शोभा गुप्ता से बात की।
क्या प्रेग्नेंसी के दौरान मेलाटोनिन हार्मोन लिया जा सकता है?- Is It Safe To Take Melatonin During Pregnancy In Hindi
प्रेग्नेंसी के दौरान महिला के शरीर में पर्याप्त मात्रा में मेलाटोनिन होना चाहिए। मेलाटोनिन गर्भ में पल रहे शिशु के विकास में अहम भूमिका निभाता है। आपको मेलाटोनिन एक ऐसा हार्मोन है, जो स्लीप साइकिल को प्रभावित करता है। इसलिए, जब मेटरनल मेलाटोनिन सही रहता है, तो इसकी वजह से ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस कम होता है और भ्रूण का विकास भी अच्छी तरह से होता है। साथ ही प्रेग्नेंसी के दौरान आने वाली जटिलताओं में भी कमी आती है। मगर सवाल ये है कि क्या प्रेग्नेंसी के दौरान मेलाटोनिन हार्मोन लिया जा सकता है? इस पर डॉक्टर का कहना है, ‘प्रेग्नेंसी के दौरान मेलाटोनिन हार्मोन लिया जा सकता है, लेकिन बहुत कम समय के लिए। हालांकि प्रेग्नेंसी के दौरान लंबे समय तक मेलाटोनिन लिए जाने का उनके स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ सकता है? इस पर विस्तार से स्टडी मौजूद नहीं है।’ कुल मिलाकर आप कह सकते हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान मेलाटोनिन लिया जाना सही नहीं है।
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प्रेग्नेंसी में मेलाटोनिन लेने के नुकसान- Why Is It Not Safe To Take Melatonin During Pregnancy In Hindi
प्रेग्नेंसी में मेलाटोनिन सप्लीमेंट लेने से महिलाओं को बचना चाहिए। यह सही नहीं होता है। इससे कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
महिला के लिए
- प्रेग्नेंसी के दौरान ज्यादा मात्रा में मेलाटोनिन सप्लीमेंट लेने से उन्हें चक्कर आना, सिरदर्द, थकान, कमजोरी जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।
- मेलाटोनिन के कारण महिला को सिरदर्द, ड्राई माउथ, शरीर में खुजली जैसी भी कई दिक्कतें हो सकती हैं।
- थकान, एंग्जाइटी और रात को पसीने आने जैसी दिक्कतें भी मेलाटोनिन की मात्रा बढ़ने पर प्रेग्नेंट महिला में दिखने को मिलती है।
- यही नहीं, कई बार मेलाटोनिन का स्तर बढ़ने पर प्रेग्नेंट महिला के पेट में दर्द, रेस्टलनेस होने लगती हैं।
- एंग्जाइटी भी मेलाटोनिन की मात्रा बढ़ने का एक लक्षण हो सकता है।
गर्भ में पल रहे शिशु के लिए
- अगर किसी वजह से मेलाटोनिन बढ़ने पर वह प्लेसेंटा तक पहुंच जाए, तो गर्भ में पल रहे शिशु पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
- मेलाटोनिन का स्तर बढ़ने पर शिशु का सर्केडियन साइकिल बिगड़ सकता है। यानी इसकी वजह से उनकी सोने का पैटर्न बदल जाता है।
- मेलाटोनिन का स्तर बिगड़ने या बढ़ने पर गर्भ में पल रहे शिशु का विकास बाधित हो सकता है।
FAQ
मेलाटोनिन गर्भावस्था के दौरान सुरक्षित है?
गर्भावस्था के दौरान कम मात्रा में मेलाटोनिन लिया जा सकता है। लेकिन, लंबे समय तक मेलाटोनिन सप्लीमेंट का सेवन किया जाना सही नहीं होता है। खासकर, अगर आप प्रेग्नेंसी के दौरान स्तनपान भी करा रही हैं। इसकी वजह से डिल्यूशन, मिर्गी य ऑटोइम्यून बीमारियों का रिस्क रहता है। यहां तक कि कुछ लोगों को मेलाटोनिन की अधिक मात्रा से एलर्जी भी हो सकती है।ज्यादा मेलाटोनिन लेने से क्या होता है?
प्रेग्नेंसी में ज्यादा मेलाटोनिन लिया जाए, तो इसकी वजह से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। जैसे सिरदर्द, रेस्टलेसनेस, पेट में दर्द, चक्कर आना आदि। इसके अलावा, अधिक मात्रा में मेलाटोनिन लेने के कारण हार्ट रेट में दिक्कतें आ सकती हैं और स्लीप पैटर्न भी बिगड़ सकता है। कुछ लोगों को अधिक मात्रा में मेलाटोनिन लेने के कारण सांस लेने में दिक्कत, घबराहट, ड्राई माउथ, थकान और हार्ट संबंधी समस्या हो सकती है।मेलाटोनिन आपको गर्भवती होने में कैसे मदद करता है?
मेलाटोनिन हमारे शरीर के अहम हार्मोन है। यह स्लीप साइकिल को मैनेज करता है। जिन महिलाओं में पर्याप्त मात्रा में मेलाटोनिन होता है, उनमें एग फर्टिलाइजेशन में मदद मिलती है। साथ ही भ्रूण का विकास भी सही तरह से होता है। यह प्रजनन क्षमता में भी सुधार करता है।