प्रेग्नेंसी एक महिला के जीवन का बेहद खास समय होता है, यह वह समय होता है जब एक नया जीवन उसकी कोख में पल रहा होता है और उसके शरीर में कई बड़े बदलाव हो रहे होते हैं। इन बदलावों में सबसे प्रमुख होते हैं हार्मोनल परिवर्तन और शारीरिक संरचना में बदलाव। यही कारण है कि इस दौरान महिलाओं को विशेष देखभाल और सावधानी की जरूरत होती है। प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन का लेवल काफी बढ़ जाता है, जो मांसपेशियों और लिगामेंट्स को ढीला करते हैं ताकि बच्चा आसानी से विकसित हो सके और प्रसव की प्रक्रिया सहज हो। लेकिन यही हार्मोन कई बार शरीर में दर्द, अकड़न और थकान जैसी समस्याओं का कारण बनते हैं। इसके अलावा बढ़ते वजन, पॉश्चर में बदलाव, ब्लड सर्कुलेशन में बढ़ोतरी, गैस या कब्ज जैसी समस्याएं भी शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द पैदा कर (pregnancy me sharir me dard) सकती हैं। इस लेख में लखनऊ के मा-सी केयर क्लीनिक की आयुर्वेदिक डॉक्टर और स्तनपान सलाहकार डॉ. तनिमा सिंघल (Dr. Tanima Singhal, Pregnancy educator and Lactation Consultant at Maa-Si Care Clinic, Lucknow) से जानिए, प्रेग्नेंसी में शरीर में दर्द क्यों होता है?
गर्भावस्था के दौरान पूरे शरीर में दर्द क्यों होता है? - Body Aches And Pains During Pregnancy
प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को अक्सर शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द की शिकायत होती है, जैसे पीठ, कमर, टांगें, जोड़ों और पेट में दर्द। यह दर्द कभी-कभी सामान्य होता है, लेकिन कभी-कभी यह किसी स्वास्थ्य समस्या का संकेत भी हो सकता है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि गर्भावस्था में शरीर में दर्द क्यों होता है (pregnancy me sarir me dard), इसके क्या कारण होते हैं और इससे बचाव के क्या उपाय हैं।
1. हार्मोनल बदलाव
प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है। ये हार्मोन मांसपेशियों और लिगामेंट्स को ढीला करते हैं ताकि बच्चा गर्भ में आसानी से विकसित हो सके और प्रसव के समय शारीरिक लचीलापन बना रहे। लेकिन यह ढीलापन अक्सर पीठ, कमर और जोड़ों में दर्द का कारण बनता है।
बचाव
- हल्की-फुल्की एक्सरसाइज करें जैसे प्रेग्नेंसी योग या वॉक।
- डॉक्टर से सलाह लेकर प्रीनेटल फिजियोथेरेपी करें।
- सही पॉश्चर में बैठें और लेटें। कुशन या सपोर्ट का प्रयोग करें।
इसे भी पढ़ें: प्रेग्नेंसी में दुखी रहने से बच्चे पर क्या असर पड़ता है, डॉक्टर से जानें ये 3 जरूरी बातें
2. वजन में बढ़ोतरी
प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर का वजन सामान्य से 10-15 किलो तक बढ़ जाता है। यह अतिरिक्त वजन शरीर के जोड़ों और मांसपेशियों पर दबाव डालता है, खासकर रीढ़ की हड्डी (स्पाइन) और घुटनों पर। इसके परिणामस्वरूप पीठ दर्द, कमर दर्द और पैरों में थकावट महसूस होती है।
बचाव
- वजन को कंट्रोल रखने के लिए बैलेंस डाइट लें।
- नियमित रूप से हल्की एक्सरसाइज करें।
- लंबे समय तक खड़े रहने से बचें और पैरों को ऊंचा रखकर बैठें।
इसे भी पढ़ें: क्या प्रेग्नेंसी में सिर में दर्द रहना सामान्य बात है? डॉक्टर से जानें इसका इलाज और बचाव के उपाय
3. पॉश्चर में बदलाव
गर्भवती महिलाओं का पेट जैसे-जैसे बढ़ता है, उनका शरीर स्वाभाविक रूप से आगे की ओर झुकने लगता है। यह झुकाव शरीर की सामान्य मुद्रा यानी पॉश्चर को बदल देता है और इससे पीठ के निचले हिस्से में दर्द होने लगता है। साथ ही, रीढ़ की हड्डी पर दबाव बढ़ने से गर्दन और कंधे भी प्रभावित हो सकते हैं।
बचाव
- बैठते और चलते समय पीठ सीधी रखें।
- हाई हील्स पहनने से बचें।
- सही पॉश्चर में सोने की आदत डालें।
4. गैस और कब्ज
गर्भावस्था के दौरान पाचन क्रिया धीमी हो जाती है, जिससे गैस, अपच और कब्ज की समस्या हो सकती है। इससे पेट में ऐंठन या दर्द महसूस होता है।
बचाव
- फाइबर युक्त भोजन जैसे फल, सब्जियां और साबुत अनाज लें।
- खूब पानी पिएं।
- दिन में छोटे-छोटे अंतराल पर भोजन करें।
5. थकान और तनाव
प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर ज्यादा मेहनत करता है, न सिर्फ बढ़ते शिशु को पोषण देने के लिए बल्कि मां के शरीर को भी हेल्दी बनाए रखने के लिए। इससे थकान, कमजोरी और शरीर में दर्द होना आम बात है।
बचाव
- पर्याप्त नींद लें (कम से कम 8-9 घंटे)।
- तनाव से बचने के लिए मेडिटेशन या गहरी सांस की एक्सरसाइज करें।
- परिवार और पार्टनर का सहयोग लें।
निष्कर्ष
प्रेग्नेंसी में शरीर में दर्द होना एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन हर दर्द को नजरअंदाज करना ठीक नहीं है। अगर दर्द बहुत ज्यादा हो, लगातार बना रहे या अन्य लक्षणों जैसे बुखार, ब्लीडिंग, तेज सिरदर्द आदि के साथ हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। प्रेग्नेंसी में संतुलित लाइफस्टाइल, उचित खानपान और नियमित जांच से इन दर्दों को काफी हद तक रोका और कम किया जा सकता है।
All Images Credit- Freepik
FAQ
कितनी बार संबंध बनाने से प्रेग्नेंट होते हैं?
प्रेग्नेंसी एक बार में भी संबंध बनाने से हो सकती है, इसके लिए सिर्फ महिला का ओवुलेशन जरूरी होता है। गर्भधारण की संभावना सबसे अधिक ओवुलेशन के 5 दिन पहले और ओवुलेशन के दिन होती है। इस समय यदि पुरुष का शुक्राणु अंडाणु से मिल जाता है, तो गर्भधारण संभव है। इसलिए यह कहना मुश्किल है कि कितनी बार संबंध बनाने से प्रेग्नेंसी होगी, क्योंकि यह पूरी तरह से समय, शरीर की स्थिति और फर्टिलिटी पर निर्भर करता है।प्रेग्नेंसी का पहला संकेत क्या है?
प्रेग्नेंसी का पहला संकेत आमतौर पर पीरियड्स का देर से आना या रुक जाना होता है। इसके अलावा शुरुआती लक्षणों में थकान महसूस होना, बार-बार पेशाब आना, सुबह के समय मतली या उल्टी (मॉर्निंग सिकनेस), स्तनों में दर्द या सूजन, मूड में बदलाव और हल्की पेट दर्द या ऐंठन शामिल हो सकते हैं। कुछ महिलाओं को हल्का खून आना (इंप्लांटेशन ब्लीडिंग) भी होता है। अगर ये लक्षण दिखाई दें, तो प्रेग्नेंसी की पुष्टि के लिए प्रेग्नेंसी टेस्ट करना और डॉक्टर से सलाह लेना उचित होता है।प्रेग्नेंसी में कैसे सोना चाहिए?
प्रेग्नेंसी के दौरान सोने की सही पॉश्चर मां और शिशु दोनों के लिए जरूरी होती है। डॉक्टर के अनुसार प्रेग्नेंसी में विशेष रूप से बाईं करवट सोना सबसे सुरक्षित माना जाता है, क्योंकि इससे ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और शिशु तक ऑक्सीजन व पोषक तत्व आसानी से पहुंचते हैं। पीठ के बल या पेट के बल सोने से बचना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि इससे रीढ़ पर दबाव पड़ता है और ब्लड फ्लो बाधित हो सकता है। सोते समय घुटनों के बीच तकिया रखकर सोना आरामदायक होता है।