लाइम रोग (Lyme Disease) को लाइम बोरेलियाऑसिस के नाम से भी जाना जाता है। यह एक प्रकार की संक्रामक बीमारी है, जो एक बोरेलिया बर्गडोरफेरी नाम के बैक्टीरिया के काटने से होता है। यह एक संक्रामक समस्या है, जिसका समय रहते इलाज नहीं किया गया तो, परेशानी और बढ़ सकती है। अगर यह समस्या किसी गर्भवती महिला के साथ होती है तो, इलाज में देरी से महिला और बच्चे दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। गर्भावस्था के समय लाइम डिजीज होने पर प्लेसेंटल संक्रमण होने का खतरा रहता है, जिससे मां से भ्रूण में भी इंफेक्शन फैलना का खतरा होता है। इसके उपचार के लिए आपको इसके कारण, लक्षण और उपाय के बारे में विस्तार से जानना जरूरी है।
प्रेग्नेंसी में लाइम डिजीज के कारण (Cause of Lyme Disease in pregnancy)
जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं लाइम डिजीज बोरेलिया बर्गडोरफेरी के काटने से होता है। बोरेलिया बर्गडोरफेरी बेहद छोटे जीव होते हैं, जो प्रेग्नेंट महिलाओं के शरीर में चिपक जाते हैं। शरीर में चिपकर ये खून चूसते हैं और संक्रमण फैलाते हैं। यह आमतौर पर घास, लकड़ियों और झाड़ियों में पाए जाते हैं। इसका समय रहता इलाज करना बेहद जरूरी होता है।
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प्रेग्नेंसी में लाइम डिजीज के लक्षण (lyme disease symptoms in pregnancy)
प्रेग्नेंसी में लाइम रोग के लक्षण आमतौर पर 14 से 21 दिनों बाद दिखाई देते हैं लेकिन कभी-कभी हो सकता है कि ये लक्षण दिखाई न दें। प्रेग्नेंसी में इस रोग के शुरुआती लक्षण कुछ ऐसे है।
1. काटने वाली जगह पर दाना और लाल चकत्ते
2. सूजन
3. मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द
4. उच्च तापमान और ठंड लगना
5. सिरदर्द
7. चक्कर आना
8. बुखार और गर्दन का अकड़ना
9. चोट वाली जगह पर जलन
10. थकान
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प्रेग्नेंसी में लाइम डिजीज के खतरे (Lyme disease risk in pregnancy)
1. अगर लाइम डिजीज का समय रहते इलाज नहीं किया जाता है तो, प्रेग्नेंसी में प्लेसेंटल इंफेक्शन का खतरा हो सकता है। यह इंफेक्शन मां से बच्चे में भी फैल सकता है।
2. यूरीन इंफेक्शन (यूटीआई) होने की आंशका रहती है।
3. नवजात बच्चे के जन्म पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
4. मां से बच्चे में संक्रमण फैलने की स्थिति में बच्चे को हृदय रोग का खतरा हो सकता है।
5. मांसपेशियों में दर्द बढ़ सकता है
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प्रेग्नेंसी में लाइम डिजीज का इलाज (lyme disease treatment in pregnancy)
यदि एक गर्भवती महिला को अपने शरीर में लाइम रोग के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो, उन्हें बिना देर किए तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर के सुझाए अनुसार सारे ब्लड टेस्ट करवाएं और उनकी सुझाव के अनुसार दवाओं का सेवन करें। इस समस्या को बिल्कुल इग्नोर नहीं करना चाहिए। इससे समस्या और बढ़ सकती है, जिससे मां और बच्चे दोनों के लिए परेशानी और बढ़ सकती है। इसके इलाज के लिए ब्लैकलेग्ड टिकों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
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सावधानियां
1. प्रेग्नेंसी के दौरान अपना खास ख्याल रखें। इंफेक्शन से बचने के लिए शरीर पर डॉक्टर की सलाह के अनुसार किसी क्रीम या खास तेल का उपयोग कर सकते हैं।
2. पूरी बांह के कपड़े पहनने की कोशिश करें।
3. सर्दियों में घर के अंदर आने के बाद गर्म जगह पर बैठे ताकि अगर आपके कपड़ों पर कोई कीट हो तो, खत्म हो जाए।
4. किसी भी जंगली या बगीचे से लौटने के बाद स्नान जरूर करें ताकि इस तरह की परेशानी से बच सके।
5. किसी भी तरह के लक्षण दिखने पर तुरंत जांच करवाएं।