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प्रेग्नेंसी में हाई कोर्टिसोल महिलाओं को किस तरह कर सकता है प्रभावित, जानें इससे जुड़े लक्षण

प्रेग्नेंसी में हर महिला को अलग-अलग महसूस हो सकते हैं। इस दौरान किसी तरह भी तरह की समस्या बच्चे और मां के लिए बड़ी परेशानी का कारण बन सकती हैं। इस लेख में जानते हैं कि हाई कोर्टिसोल लेवल से प्रेग्नेंसी पर क्या असर पड़ता है।
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प्रेग्नेंसी में हाई कोर्टिसोल महिलाओं को किस तरह कर सकता है प्रभावित, जानें इससे जुड़े लक्षण


प्रेग्नेंसी में महिला के शरीर में बच्चे का विकास तेजी से हो रहा होता है। ऐसे में उनके शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। इस दौरान महिलाओं को महसूस होने वाली कई शारीरिक समस्याओं का असर बच्चे पर भी पड़ सकता है। गर्भावस्था के दौरान कुछ महिलाओं के शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। कोर्टिसोल हार्मोन को आप आसान भाषा में स्ट्रेस हार्मोन से समझ सकते हैं। इसके बढ़ने से तनाव का स्तर बढ़ने लगता है। यदि गर्भावस्था के दौरान कोर्टिसोल का स्तर अत्यधिक बढ़ जाए (High Cortisol Levels), तो यह न केवल मां के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है बल्कि गर्भ में पल रहे शिशु की ग्रोथ पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इस लेख में साईं पॉलिक्लीनिक की सीनियर गाइनाक्लॉजिस्ट डॉ विभा बंसल से जानते हैं कि हाई कोर्टिसोल गर्भावस्था को कैसे प्रभावित करता है?

प्रेग्नेंसी में हाई कोर्टिसोल का महिला पर पड़ने वाले प्रभाव - How Does High Cortisol Affect Pregnancy In Hindi

  • गर्भावस्था उच्च रक्तचाप (Pregnancy-Induced Hypertension: कोर्टिसोल का स्तर बढ़ने से महिला को प्रेग्नेंस में ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है। जिससे प्रेगनेंसी इंड्यूस्ड हाइपरटेंशन या प्रीक्लेम्पसिया जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
  • गर्भकालीन मधुमेह (Gestational Diabetes): कोर्टिसोल शरीर में शुगर मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करता है, जिससे शुगर का स्तर असंतुलित हो सकता है।
  • डिप्रेशन और एंग्जायटी: लंबे समय तक हाई कोर्टिसोल महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालता है और यह गर्भवती महिला को डिप्रेशन या एंग्जायटी डिसऑर्डर का शिकार बना सकता है।
  • इम्यून सिस्टम पर असर: कोर्टिसोल इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है, जिससे संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है।

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हाई कोर्टिसोल का शिशु पर प्रभाव - High Cortisol Effect On Baby in Hindi 

  • कम वजन वाला जन्म (Low Birth Weight): अत्यधिक कोर्टिसोल प्लेसेंटा के माध्यम से भ्रूण तक पहुंचता है, जिससे उसके विकास की गति धीमी हो सकती है।
  • प्रीमैच्योर डिलीवरी (Preterm Birth): हाई कोर्टिसोल प्रसव को समय से पहले शुरू कर सकता है, जिससे शिशु असमय जन्म ले सकता है।
  • भ्रूण का मस्तिष्क ग्रोथ को प्रभावित करना: कोर्टिसोल का अधिक स्तर भ्रूण के ब्रेन डेवलपमेंट को बाधित कर सकता है, जिससे आगे चलकर बच्चे में व्यवहार संबंधी समस्याएं या सीखने में कठिनाई हो सकती है।
  • बच्चे में भविष्य में स्ट्रेस सेंसिटिविटी: जिन बच्चों को गर्भ में अधिक कोर्टिसोल का सामना करना पड़ा है, वे आगे चलकर स्ट्रेस के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं।

प्रेग्नेंसी में हाई कोर्टिसोल के कारण - Causes Of High Cortisol in Pregnancy In Hindi

  • अत्यधिक चिंता करना
  • गर्भावस्था के दौरान अनिद्रा या बार-बार नींद टूटना
  • डिप्रेशन या एंग्जायटी डिसऑर्डर
  • थायरॉइड या एड्रीनल ग्लैंड से जुड़ी समस्या
  • ज्यादा कैफीन का सेवन
  • शारीरिक बीमारियां या दर्द

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गर्भावास्था के दौरान कोर्टिसोल का स्तर बढ़ना सामान्य है, लेकिन यदि यह अधिक मात्रा में बढ़ जाए, तो मां और शिशु दोनों के लिए जोखिम कारक बन सकता है। सही लाइफस्टाइल, सही डाइट, पर्याप्त नींद और डॉक्टर की समय पर सलाह लेकर आप हाई कोर्टिसोल के प्रभाव को रोक सकते है। प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी लक्षण को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

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