वातस्फीति (एम्फसीमा) फेफड़ों की बीमारी है, जो कई वर्षों तक स्मोकिंग करने के बाद हो सकती है। ऐसे फेफड़ों के रोगों को क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज के रूप में भी जाना जाता है। यह बीमारी एक बार होने के बाद यह धीरे-धीरे आपके फेफड़ों में फैलती जाती है। इसके लिए आपको धूम्रपान बंद करने या बिल्कुल ही नहीं करने की जरूरत होती है। यह ज्यादातर 50 से 70 की उम्र के बीच के लोगों में होने की आंशका होती है। इसके बचाव के लिए आप और भी कई तरह के परहेज कर सकते हैं। इसके बारे में विस्तार से बता रही हैं दिल्ली हार्ट एंट लंग्स इंस्टीट्यूट अस्पताल की पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ श्वेता बंसल।
एम्फसीमा के क्या कारण है (Cause of Emphysema)
एम्फसीमा बीमारी का सबसे बड़ा कारण स्मोकिंग करना है। इसके अलावा फैक्ट्री या धूल मिट्टी वाली जगह पर काम करने या प्रदूषण की वजह से ये बीमारी होती है। साथ ही यह बीमारी आनुवांशिक भी हो सकती है। श्वसन संक्रमण भी एम्फसीमा का कारण बन सकता है। इसलिए श्वसन समस्याओं को गंभीर रूप से लेने की जरूरत होती है।
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एम्फसीमा के लक्षण (symptoms of Emphysema)
एम्फसीमा के लक्षणों में खांसी, घरघराहट, सांस की तकलीफ, सीने में जकड़न और बलगम महसूस करने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। कई बार लक्षण तब दिखाई देते हैं जब, बीमारी आपके फेफड़ों में 50 प्रतिशत तक फैल गई होती है। जिन लोगों में एम्फसीमा की परेशानी होती है, उनमें निमोनिया, ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों के संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है। एम्फसीमा में ये लक्षण आम हैं।
2. पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन न मिलने पर सांस फूलना
3. लंबे समय तक खांसना या धूम्रपान करने वाले लोगों को बराबर खांसी की परेशानी रहना
4. लंबे समय तक सीने में बलगम बनना
5. सीढ़ियां चढ़ने-उतरने या हल्का व्यायाम करने पर थकान और सांस फूलना
एम्फसीमा का कैसे करें इलाज (Treatment for Emphysema)
एम्फसीमा के इलाज के लिए आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। घरेलू उपायों की मदद से आप एम्फसीमा का इलाज नहीं कर सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले डॉक्टरी सलाह ही लें।
एम्फसीमा के लिए कराएं ये जांच (Check up for Emphysema)
साथ ही कई तरह की जांच की मदद से अपनी स्वास्थ्य स्थिति पर भी नजर रखनी चाहिए। इसके लिए डॉक्टर की सलाह पर आप निम्न तरह की जांच करवा सकते हैं।
1. एक्स-रे
एक्स-रे के माध्यम से एम्फसीमा के मध्यम या गंभीर मामलों का पता लगाने में मदद मिलती है। साथ ही परीक्षण पूरा होने के बाद डॉक्टर रीडिंग की मदद से स्वस्थ फेफड़ों की तुलना में आपके स्वास्थ्य का पता लगाते हैं।
2. पल्स ऑक्सीमेट्री
पल्स ऑक्सीमेट्री का उपयोग रक्त में ऑक्सीजन के लेवल की जांच करने के लिए किया जाता है। इसमें मॉनिटर मशीन को व्यक्ति के माथे, उंगलियों और ईयरलोब में जोड़कर किया जाता है।
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3. स्पाइरोमेट्री और पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट (पीएफटी)
इस टेस्ट के माध्यम से सांस लेने में आ रही परेशानियों के बारे में पता लगाया जाता है। स्पाइरोमेट्री या पीएफटी की मदद से एक मरीज के सांस लेने या छोड़ने के दौरान वायु प्रवाह को मापकर फेफड़ों की स्थिति का पता लगाया जाता है। इसमें गहरी सांस लेकर फिर एक ट्यूब में फूंककर किया जाता है, जो एक मशीन से जुड़ी होती है।
4. इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी)
ईसीजी हार्ट सिस्टम की जांच में मदद करते हैं और सांस की तकलीफ के कारण होने वाले हृदय रोगों का पता लगाते हैं।
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सावधानियां (Precaution for Emphysema)
1. एम्फसीमा की बीमारी को खत्म करने या कम करने के लिए सबसे पहले स्मोकिंग छोड़ देना चाहिए।
2. प्रदूषण से बचने के लिए घर को साफ रखें या कार्यस्थल पर ज्यादा प्रदूषण होने की स्थिति में मास्क लगाकर रखें।
3. सांस की समस्याओं को कम करने डॉक्टर की सलाह पर व्यायाम का अभ्यास करें।
4. गाड़ियों से निकलने वाले धुएं से भी बचें।
5. स्वस्थ आहार का सेवन करें।
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