दिल हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है जो लगातार बिना थके हुए काम करता है। दिल की सेहत का ध्यान रखने के लिए हमें संतुलित और पौष्टिक भोजन के साथ स्वस्थ जीवनशैली अपनानी चाहिए। आज के समय में खराब जीवनशैली और खानपान की वजह से लोगों में तेजी से दिल की बीमारियां हो रही हैं। लेकिन इन सबके अलावा दिल से जुड़ी कुछ ऐसी भी बीमारियां हैं जो किसी को भी जन्म के समय से भी हो सकती हैं, इस बीमारी को कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज (Congenital Heart Disease) यानी दिल की जन्मजात बीमारी कहते हैं। किसी भी व्यक्ति को जन्मजात दिल की बीमारी होने का मतलब यह है कि उसके हृदय में जन्म से ही कई दिक्कतें मौजूद हैं। सामान्यतः इस बीमारी के लक्षण वयस्क होने पर ही दिखाई देते हैं। जन्म के दौरान जब बच्चे का दिल सामान्य से अलग होता है तो उस स्थिति को कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज की स्थिति कहा जाता है। कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज क्यों होती है? इसके लक्षण क्या हैं? और इस बीमारी का इलाज कैसे किया जाता है? आइये जानते हैं इन सब सवालों के जवाब दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ के के कपूर से।
क्या है कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज? (What Is Congenital Heart Disease?)
किसी भी बच्चे के जन्म के समय से ही उसके हार्ट में गड़बड़ी की स्थिति को कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज की स्थिति कहा जाता है। इस बीमारी की वजह से हार्ट की बाहरी परत यानी दीवार, हार्ट वाल्व और ब्लड वैसल्स अधिक प्रभावित होते हैं। कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज एक गंभीर समस्या है जिसकी वजह से दिल से जुड़ी कई गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं और इसकी वजह से इंसान की जान भी जा सकती हैं। इस बीमारी में पीड़ित व्यक्ति के शरीर में खून का संचार सही ढंग से नहीं हो पाता है और ब्लड फ्लो प्रभावित होने के कारण हार्ट में ब्लॉकेज की समस्या होती है। कुछ गंभीर मामलों में तो कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज के साथ पैदा हुए बच्चों की मौत भी हो जाती है। सही समय पर इसकी जानकारी और इलाज से इस समस्या पर काबू पाया जा सकता है।
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कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज या जन्मजात हृदय रोग के प्रकार (Types of Congenital Heart Disease)
कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज कई तरह के होते हैं और ज्यादातर ये दिल की दीवार, वाल्व और ब्लड वैसल्स को प्रभावित करते हैं। इस बीमारी में बच्चे के जन्म के समय से ही दिल में कई दिक्कतें होती हैं। कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज के प्रमुख प्रकार इस तरह से हैं।
हार्ट वाल्व डिजीज (Pulmonary Valve Stenosis)- दिल में वाल्व ब्लड के फ्लो को नियंत्रित करने का काम करता है। हृदय जब ब्लड को शरीर के अन्य अंगों में पंप करता है तो ये वाल्व खुलते और बंद होते हैं। कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज की स्थिति में वाल्व बहुत संकीर्ण होता है या फिर पूरी तरह से बंद नहीं होता है। इसकी वजह से ब्लड के फ्लो में परेशानी होती है।
दिल की दीवार में दिक्कत (Heart Wall Problem) - कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज प्रमुखता से दिल की बाहरी परत यानि दीवारों को अधिक नुकसान पहुंचाती है। जन्मजात हृदय दोष के साथ जन्म लेने वाले बच्चों के दिल की दीवारों में छेद या अन्य समस्याएं होती हैं।
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दिल की मांसपेशियों में दिक्कतें (Problem's with Heart Muscles) - जन्मजात हृदय रोग में दिल की मांसपेशियों में भी दिक्कतें होती हैं। इस स्थिति में दिल सही तरीके से ब्लड पंप नहीं कर पाता है और इसकी वजह से हार्ट फेलियर की समस्या भी होती है।
ब्लड वैसल्स में दिक्कतें (Blood Vessels) - जन्मजात हृदय रोग में दिल की दीवारों और वाल्व के बाद सबसे ज्यादा प्रभावित ब्लड वैसल्स ही होते हैं। बच्चों के जन्म के समय से ही इस समस्या के कारण फेफड़ों में जाने वाला ब्लड शरीर के अन्य अंगों में चला जाता है और अन्य अंगों का ब्लड फेफड़ों तक पहुंच सकता है। इसकी वजह से भी गंभीर समस्याएं होती हैं।
अविकसित हृदय (Underdeveloped Heart) - कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज से ग्रसित बच्चों में जन्म से ही दिल का सही तरीके से विकास नहीं हो पाता है। इस समस्या में हृदय का कुछ भाग ठीक से विकसित न होने के कारण शरीर या फेफड़ों के चारों ओर पर्याप्त मात्रा में ब्लड पंप नही हो पाता है।
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कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज या जन्मजात हृदय रोग के कारण (Congenital Heart Disease Causes)
जन्मजात हृदय रोग या कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज का अभी तक कोई स्पस्ट और सटीक कारण नहीं मिल पाया है। जन्मजात हृदय रोगों में हृदय के माध्यम से रक्त के सामान्य प्रवाह में दिक्कतें आती हैं जिसकी वजह से मरीज को कई गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस बीमारी के पीछे एक्सपर्ट्स कुछ स्थितियों को जिम्मेदार मानते हैं जिनकी वजह से बच्चों में यह बीमारी जन्म के समय से ही होती है।
- गर्भावस्था के दौरान कुछ दवाओं का सेवन भी इसका कारण बन सकता है।
- प्रेग्नेंसी में मां के शराब, ड्रग्स आदि के सेवन से भी बच्चों में कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ जाता है।
- डाउन सिंड्रोम की वजह से जन्मजात हृदय रोग का खतरा, यह एक आनुवांशिक विकार है जो बच्चों के सामान्य विकास को प्रभावित करता है।
- गर्भावस्था के दौरान मां के संक्रमित होने पर कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज का खतरा।
- प्रेग्नेंसी में डायबिटीज और ब्लड शुगर बढ़ने की वजह से इस बीमारी का खतरा बना रहता है।
- गुणसूत्र और जीन से जुड़ी बीमारी की वजह से।

कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज के लक्षण (Symptoms of Congenital Heart Disease)
कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज की स्थिति का पता गर्भावस्था के दौरान अल्ट्रासाउंड की जांच से लगाया जा सकता है। इस बीमारी से ग्रसित होने पर बच्चे की दिल के धड़कन अनियमित होती है। हालांकि जन्मजात हृदय रोग के लक्षण जन्म के बहुत समय बाद दिखाई देते हैं। सामान्तः इस बीमारी में जन्म के बाद या जन्म के समय दिखाई देने वाले प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं।
- दिल की धड़कन का तेज या अनियमित होना।
- सांस तेजी से लेना।
- त्वचा का रंग नीला होना या सायनोसिस।
- बच्चे के दूध पीते समय थकान और सांस तेज होना।
- शरीर के अंगों में सूजन।
कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज के खतरे (Complications of Congenital Heart Disease)
जन्मजात हृदय रोग या कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज की वजह से मरीज को कई गंभीर स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। इस बीमरी से ग्रसित व्यक्ति के हार्ट में ब्लॉकेज की स्थिति बन जाती है जिसके कारण उसे हार्ट फेलियर या हार्ट अटैक की समस्या का भी सामना करना पड़ता है। जन्मजात हृदय रोग की वजह से होने वाली दिक्कतें इस प्रकार से हैं।
- अनियमित दिल की धड़कन या अतालता की बीमारी।
- एंडोकार्डिटिस या हृदय का संक्रमण।
- हार्ट स्ट्रोक की समस्या।
- हार्ट अटैक की समस्या।
- हार्ट फेलियर का खतरा।
कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज का इलाज (Congenital Heart Disease Treatment)
कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज की समस्या से ग्रसित व्यक्ति का इलाज बीमारी की स्थिति और गंभीरता पर निर्भर करता है। चिकित्सक जांच के बाद इस बीमारी का पता लगाता है। कुछ बच्चों में जन्म के समय हार्ट में सामान्य दोष होते हैं जो खुद से ही ठीक हो जाते हैं। लेकिन गंभीर स्थिति में इसका इलाज करने के लिए कई तरह के उपचार का सहारा लेना पड़ता है। इस समस्या में इलाज के लिए कई तरह की दवाएं दी जाती हैं और जब स्थिति गंभीर होती है तो मरीज को सर्जरी की भी आवश्यकता पड़ती है। कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज के इलाज में ये प्रक्रियाएं अपनाई जा सकती हैं।
- दवाओं के सहारे जन्मजात हृदय रोग का इलाज।
- गंभीर स्थितियों में हार्ट ट्रांसप्लांट या हार्ट के अंदर मशीन लगायी जाती है।
- कैथीटेराइजेशन तकनीक से दिल का इलाज।
- ओपन हार्ट सर्जरी।

जन्मजात हृदय रोग या कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज का पता गर्भावस्था (प्रेग्नेंसी) के दौरान अल्ट्रासाउंड की जांच से लगाया जा सकता है। इस बीमारी का पता चलने के बाद माता और पिता को बच्चे का अधिक ध्यान रखना चाहिए। समय-समय पर हृदय की जांच और इलाज से इस बीमारी की वजह से होने वाली दिक्कतों से बचा जा सकता है।
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