हार्ट की बीमारियों की जांच के लिए किया जाता है कार्डियक सीटी स्कैन, जानें इसके बारे में

कार्डियक सीटी स्कैन या हार्ट सीटी स्कैन दिल से जुड़ी बीमारियों में की जाने वाली जांच प्रक्रिया है, इसमें हार्ट और रक्त वाहिकाओं की जांच होती है।
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हार्ट की बीमारियों की जांच के लिए किया जाता है कार्डियक सीटी स्कैन, जानें इसके बारे में


आज के समय में संतुलित खानपान और जीवनशैली के चलते दुनियाभर में लाखों की संख्या में दिल से जुड़ी बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। हृदय या दिल की बीमारी का सही समय पर इलाज न होने से हार्ट फेलियर, हार्ट अटैक और यहां तक जान गंवाने की नौबत भी आ जाती है। दिल से जुड़ी तमाम बीमारियों के बारे में जांच के बाद ही सटीक जानकारी मिल पाती है। मरीजों में दिल से जुड़ी बीमारियों के लक्षण दिखने पर चिकित्सक कई तरह की जांच का सुझाव देते हैं। हार्ट की बीमारियों की जांच के लिए आपने भी चिकित्सक से कार्डियक सीटी स्कैन (Cardiac CT Scan) कराने के बारे में सुना होगा। कार्डियक सीटी स्कैन को हार्ट सीटी स्कैन या कोरोनरी सीटी एंजियोग्राम भी कहा जाता है। यह जांच दिल और रक्त की वाहिकाओं में दिक्कतों का पता लगाने के लिए की जाती है। आइये विस्तार से जानते हैं कार्डियक सीटी स्कैन की जांच के बारे में। 

क्या होती है कार्डियक सीटी स्कैन की जांच (Cardiac CT Scan)

कार्डियक सीटी स्कैन दिल से जुड़ी गंभीर बीमारियों का पता लगाने के लिए की जाने वाली जांच है। यह एक पारंपरिक सीटी स्कैन प्रक्रिया है जिसमें कंप्यूटर की सहायता से दिल और रक्त वाहिकाओं की जांच की जाती है। यह एक इमेजिंग तकनीक है जिसमें हृदय और उसकी रक्त वाहिकाओं की विस्तृत इमेजिंग कर बीमारी की स्थिति का पता लगाया जाता है। इस जांच को कोरोनरी कैल्शियम स्कैन भी कहा जाता है जो यह देखने के लिए की जाती है कि क्या आपके हृदय की धमनियों में कैल्शियम का निर्माण हुआ है? इसके अलावा इस जांच के माध्यम से दिल में रक्त वाहिकाओं की जांच भी की जाती है। इन रक्त वाहिकाओं में ब्लॉकेज आदि होने पर इस तकनीक का सहारा लिया जाता है। 

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कैसे की जाती है कार्डियक सीटी स्कैन की जांच? (How The Cardiac CT Scan is Performed?)

कार्डियक सीटी स्कैन की जांच में लगभग 10 मिनट का समय लगता है। यह अस्पतालों के रेडियोलॉजी विभाग या नैदानिक प्रक्रियाओं में विशेषज्ञता वाले क्लिनिक में की जाती है। इस स्कैन में आपको बीटा ब्लॉकर दिया जाता है जिससे जांच के दौरान आपके हृदय और धमनियों की स्पष्ट तस्वीर लेने में सहायता मिलती है। इस जांच में हृदय और रक्त वाहिकाओं की स्कैनिंग के लिए इलेक्ट्रोड का इस्तेमाल किया जाता है। इलेक्ट्रोड एक छोटी, हल्की चिपचिपी डिस्क होती है जिसे आपकी छाती पर लगाया जाता है और फिर इसकी सहायता से हृदय के भीतर की इमेज को कंप्यूटर पर रिकॉर्ड किया जाता है। कार्डियक सीटी स्कैन की जांच इस प्रकार से की जाती है।

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  • सीटी स्कैनर के टेबल पर मरीज को लेटने को कहा जाता है।
  • इसके बाद इलेक्ट्रोड कहे जाने वाले छोटे-छोटे पैच आपकी छाती पर लगाए जाते हैं।
  • ये इलेक्ट्रोड आपके हृदय की गतिविधियों को रिकॉर्ड करते हैं।
  • स्कैनर के अंदर मशीन का एक्स-रे बीम आपके चारों तरफ घूमता रहता है।
  • स्कैन के द्वारा ली गयी इमेजेज कंप्यूटर पर सुरक्षित की जाती है।
  • इस प्रक्रिया में आपको कुछ इंजेक्शन भी दिए जाते हैं।

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किन स्थितियों में की जाती है कार्डियक सीटी स्कैन की जांच? (Why Cardiac CT Scan Performed?)

हार्ट से जुड़ी बीमारियों की स्थिति की सटीक जानकारी के लिए कार्डियक सीटी स्कैन की जांच की जाती है। इस जांच में हृदय और रक्त वाहिकाओं की जांच होती है। चिकित्सक इन परिस्थितियों में कार्डियक सीटी स्कैन की जांच करने का सुझाव देते हैं।

  • दिल से जुड़ी गंभीर बीमारियों में।
  • हार्ट डिजीज की फैमिली हिस्ट्री में।
  • धमनियों में लिपिड प्लाक के निर्माण होने की स्थिति में।
  • हार्ट वाल्व से जुड़ी बीमारियों में। 
  • दिल के भीतर खून के थक्के जमने पर।
  • दिल से जुड़ी अन्य गंभीर स्थितियों में।

कार्डियक सीटी स्कैन के जोखिम (Risks of Cardiac CT Scan)

कार्डियक सीटी स्कैन या हार्ट सीटी स्कैन की जांच में जोखिम बहुत कम होते हैं। हालांकि इस जांच की वजह से कुछ लोगों में एलर्जी आदि की समस्या हो सकती है। कार्डियक सीटी स्कैन के कारण कुछ लोगों में ये समस्याएं देखी जाती हैं।

  • कंट्रास्ट डाई की वजह से एलर्जी की समस्या होने का खतरा कुछ लोगों में होता है। 
  • कंट्रास्ट डाई की वजह से कुछ लोगों में त्वचा पर लाल चकत्ते या पित्ती आदि हो सकती है। 
  • सांस लेने में तकलीफ की समस्या भी कुछ लोगों में देखी गयी है। 
  • जांच के बाद रेडिएशन की वजह से सामान्य लक्षण देखे जा सकते हैं। 

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कार्डियक सीटी स्कैन के दौरान सावधानी बरतनी चाहिए। इस जांच से पहले मरीजों को कैफीनयुक्त खाद्य या पेय सामग्रियों का सेवन नहीं करना चाहिए। जांच के बाद चिकित्सक मरीजों को पानी और तरल पेय पीने की सलाह देते हैं। ऐसा करने से जांच के दौरान दी गयी आयोडीन युक्त सामग्रियां पेट से बाहर निकल जाती हैं। अगर आपको किसी प्रकार की एलर्जी या समस्या है तो जांच से पहले और इसके बाद में चिकित्सक से इस बारे में बात जरूर करें।

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