Link Between Obesity and Chronic Diseases in Hindi: मोटापा एक आम स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या है, जो बच्चे से लेकर बुजुर्ग हर वर्ग के लोगों को प्रभावित कर रही है। मोटापे के कारण हार्ट से जुड़ी बीमारियां, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ा सकता है। मोटापा होने का कारण अक्सर खराब लाइफस्टाइल और खान-पान की गलत आदतें होती है। लेकिन, कई बार कुछ स्वास्थ्य समस्याओं के कारण भी मोटापे की समस्या बढ़ सकती है। इतना ही नहीं कई बार कुछ पुरानी बीमारियां भी व्यक्ति में मोटापे (What is the connection between obesity and chronic illnesses) का कारण बनती हैं, जिस कारण उन लोगों के लिए मोटापा कम करना मुश्किल हो सकता है। ऐसे में आइए बैंगलोर के कोरमंगला में स्थित अपोलो स्पेक्ट्रा अस्पतला के जनरल और लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. नंदा राजनीश से जानने की कोशिश करते हैं कि मोटापा और पुरानी बीमारी के बीच क्या संबंध है? (What is the relationship between obesity and chronic disease)
मोटापा और पुरानी बीमारियों के बीच संबंध - Link Between Obesity and Chronic Diseases in Hindi
1. सूजन और मेटाबॉलिज्म में कमी
पुरानी बीमारियां जैसे इंफ्लेमेशन मोटापे को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभा सकती है। दरअसल, शरीर में डायबिटीज, गठिया और हार्ट से जुड़ी बीमारियों जैसी समस्याओं के कारण मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है। ऐसे में इंफ्लेमेशन शरीर की कैलोरी को सही तरह से जलाने में सक्षम नहीं होता है, जिससे मेटाबॉलिज्म सही तरह से काम नहीं करता है। इसके कारण आपका शरीर सही तरह से कैलोरी बर्न नहीं कर पाता है, जिससे शरीर में फैट बढ़ने लगता है और मोटापे की समस्या बढ़ जाती है।
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2. सूजन और मेटाबॉलिज्म के लिए जरूरी संसाधनों का उपयोग
सूजन के कारण शरीर के मेटाबॉलिज्म कामों के लिए जरूरी सोर्स भी खत्म हो जाते हैं। इंफ्लेमेशन शरीर में लगातार एनर्जी का उपयोग करती है, जिससे उन पोषक तत्वों की कमी हो जाती है, जिनकी जरूरत मेटाबॉलिज्म को सही से काम करने के लिए होती है। इस समस्या के कारण भी मोटापे की समस्या बढ़ सकती है, क्योंकि शरीर की मेटाबॉलिज्म क्षमता कम हो जाती है, और शरीर में मोटापा बढ़ने लगता है।
3. ऑक्सीडेटिव तनाव और सेल्स डैमेज होना
इंफ्लेमेशन के कारण शरीर में ज्यादा ऑक्सीडेंट्स बढ़ने लगते हैं। ये ऑक्सीडेंट्स शरीर के सेल्स की बाहरी हिस्से पर ऑक्सीडेशन करते हैं, जिससे सेल्स डैमेज हो सकती हैं। इस सेल डैमेज से शरीर के काम करने का तरीका बाधित होता है और मेटाबॉलिज्म की गति धीमी हो जाती है, जिस कारण शरीर ठीक तरह से फैट बर्न नहीं कर पाता है और फैट सेल्स बढ़ने लगते हैं, जो मोटापे का कारण बनते हैं।
4. मानसिक स्थिति और मोटापा
पुरानी बीमारियां अक्सर मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का कारण बनती हैं, जिससे व्यक्ति में डिप्रेशन की समस्या बढ़ जाी है। किसी भी बीमारी से लंबे समय तक जुझते रहने के कारण लोगों का तनाव बढ़ जाता है, जिससे कई लोग स्ट्रेस इटिंग करने लगते हैं। तनाव में बहुत ज्यादा खाने के कारण कैलोरी इनटेक बढ़ जाता है, जो मोटापे का कारण बन सकता है।
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5. गट हेल्थ और मोटापा
पुरानी बीमारियां आंतों में असंतुलन यानी डिसबायोसिस का कारण बन सकती हैं, जिसके कारण शरीर में ऑक्सीडेंट्स का उत्पादन बढ़ता है, जो इंफ्लेमेशन को बढ़ाने और मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करने में अहम भूमिका निभाता है।
निष्कर्ष
मोटापा और क्रोनिक डिजीज एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं और एक दूसरे को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हैं। इंफ्लेमेशन, मेटाबॉलिज्म में कमी, गट हेल्थ में गड़बड़ी और मानसिक स्वास्थ्य मोटापे के बढ़ने का कारण बन सकते हैं। इसलिए, क्रोनिक डिजीज और मोटापे को बेहतर रखने के लिए, मेडिटेशन करना, हेल्दी डाइट लेना और शारीरिक गतिविधियां करना जरूरी है।
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