यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन से यह जानकारी सामने आई है कि ब्लड प्रेशर (blood pressure) के मरीज जो रात को सोते वक्त बीपी की दवाईयां लेते हैं उन्हें सुबह में दवाईयां लेने वाले लोगों की तुलना में हार्ट अटैक, हार्ट फेल्योर और स्ट्रोक सहित अन्य बीमारियों का खतरा करीब 50 फीसदी तक कम हो जाता है।
19,000 से ज्यादा मरीजों और उनके दवा लेने के समय पर किए गए इस शोध को पूरा करने में करीब छह साल लगे। यह अध्ययन काफी बड़ा था और सुबह व सोते वक्त दवा लेने के समय पर केंद्रित था। स्पेन के विगो विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों और अन्य शोधकर्ताओं ने पाया कि वे लोग, जिन्होंने सोने से थोड़ी देर पहले ब्लड प्रेशर की दवा ली उनमें ह्रदय रोगों से मरने की संभावना 66 फीसदी कम हो गई। वहीं रात को सोने से पहले बीपी की दवा लेने से हार्ट फेल्योर का खतरा भी 42 फीसदी कम हो गया जबकि स्ट्रोक से मरने की संभावना में भी करीब 50 फीसदी की कमी दर्ज की गई।
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अध्ययन के सह लेखक रैमन सी हेरमिडा का कहना है कि एंटी-हाइपरटेंसिव दवाओं का सेवन सोने से ठीक पहले करना ब्लड प्रेशर को प्रभावी तरीके से कंट्रोल रखने में मदद करता है। उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल हाइपरटेंशम के उपचार के लिए दिशा-निर्देशों में दवा लेने के सही समय को नहीं बताया गया है। लेकिन ज्यादातर डॉक्टर ब्लड प्रशर के स्तर को कम रखने के लिए सुबह में दवा लेने की सलाह देते हैं।
जब कोई व्यक्ति सो रहा होता है तब उसका ब्लड प्रेशर लेवल ह्रदय रोगों के खतरे का एक महत्वपूर्ण संकेत होता है बजाए जागते हुए उसका बीपी लेवल कितना भी कम क्यों न हो और डॉक्टर उसकी देखभाल क्यों ही न कर रहा हो। ह्रदय रोगों के खतरे को कम करने के लिए हाइपरटेंशन के उपचार में सुबह दवाईयां लेने का विचार देने वाले ज्यादा अध्ययन इस वक्त मौजूद नहीं है।
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शोध के मुताबिक, हालांकि इसके अन्य कारणों पर भी गौर करना बहुत जरूरी है जैसे डाइट और एक्सरसाइज। दवाओं की प्रभावशीलता का पता लगाने की बात होती है तो जीवनशैली भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके अलावा दवा लेने के समय में जरूरी बदलाव करने से पहले डॉक्टर से हमेशा सलाह लेनी चाहिए।
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