
किशोरावस्था के दौरान किशोर लड़के लड़कियों में बहुत सी चीजों को लेकर समझ नहीं होती। इस दौरान किशोर बच्चों को समझाना आसान नहीं होता। ऐसे में सेक्स, अनचाहा गर्भ और फिर गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन। यह कुछ ऐसी चीजें हैं जो, कच्चे उम्र के रिश्तों के कारण पैदा हुए परेशानी का कारण बनते हैं। अब हालाही में आए एक शोध में पता चला है कि टीनेज लड़कियों में कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स के इस्तेमाल से उन्हें अवसाद यानी डिप्रेशन की परेशानी बढ़ रही है। रिसर्च की मानें तो किशोरावस्था के दौरान सेक्स के बाद अनचाहे गर्भ से बचने के लिए किशोर युवतियां कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स का इस्तेमाल करती हैं। जिसके कारण उन्हें काफी सारी परेशानियों को सामना करना पड़ता है।
16 साल से कम उम्र की लड़कियों के लिए खतरनाक
शोध की मानें तो 16 वर्ष की आयु या इससे कम उम्र की लड़ियां में कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स का इस्तेमाल लगातार बढ़ रहा है। इसके कारण इस उम्र की लड़कियों में अवसाद और ड्रिप्रेशन लगातार बढ़ रहा है। शोध के अनुसार इस आयु वर्ग की लड़कियां में पिल्स के इस्तेमाल के कारण अचानक से रोना, सही से खाना न खाना, अनियमित वजन को बढ़ना, दुख, अकेलेपन, गिल्ट, आत्महत्या की चाह और खुद को नुकसान पहुंचाना जैसे चीजों देखने को मिलती हैं।
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कई बड़ी यूनिवर्सिटीज ने किया शोध
इस रिसर्च में वैज्ञानिकों ने गर्भनिरोधक दवाओं के कम उम्र में सेवन करने से शरीर पर पड़ने वाले असर के बारे में बताया है। ये रिसर्च 3 बड़ी यूनिवर्सिटीज Brigham and Women's Hospital, University Medical Center Groningen (UMCG) और Leiden University Medical Center ने मिलकर की है। रिसर्च के दौरान ब्रेस्ट कैंसर, ब्लड क्लॉटिंग (खून के थक्के जमना) और वजन बढ़ने में इन गर्भनिरोधक दवाओं की भूमिका की जांच की गई।
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लड़कियां होती हैं मूड स्विंग्स का शिकार
शोध में पता चलता है कि पहली बार जब लड़कियां पिल्स का इस्तेमाल करती हैं, तब से ही उनमें मूड स्विंग्स संबंधी परेशानियों शुरू होने लगती है। मूड स्विंग्स ऐसी समस्या है, जो टीनेज लड़के-लड़कियों में हार्मोनल बदलावों के कारण सामान्य मानी जाती है। मगर कई बार गलत दवाओं का इस्तेमाल भी इस समस्या को बढ़ा सकता है। आमतौर पर मूड स्विंग्स का मतलब है किसी व्यक्ति के व्यवहार और मनोस्थिति में बहुत जल्दी-जल्दी बदलाव आना। इस शोध में पीरियड्स की शुरुआत से लेकर सेक्स संबंध बनाने की उम्र और वर्तमान में ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स आदि पर वैज्ञानिकों ने अध्ययन किया है।
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