अनचाहे गर्भ से बचने के लिए महिलाएं बर्थ कंट्रोल पिल्स (Birth Control Pills) का उपयोग करती हैं। हालांकि, समय के साथ आज कई तरह के अन्य विकल्प भी मौजूद हैं। गर्भनिरोधक गोलियां महिलाओं की सेहत पर कई तरह के नुकसान कर सकती हैं। महिलाओं की जागरूकता के बाद से हालांकि इन गोलियों के इस्तेमाल काफी हद तक कम हुआ है। आज के समय में ज्यादातर महिलाएं ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स (contraceptive pills) लेना पसंद नहीं करती हैं। गर्भनिरोधक गोलियों के लंबे समय तक सेवन से महिलाओं को अनचाहे गर्भ से छुटकारा तो मिल जाता है, लेकिन यह गोलियां सेहत को प्रभावित कर सकती है। ये गोलियां महिलाओं के हार्मोनल संतुलन में परिवर्तन करती हैं, जिससे ओवुलेशन प्रक्रिया (ovulation) रुक जाती है। डॉक्टर्स की मानें तो लंबे समय तक ये दवाएं लेने से महिलाओं को बांझपन (infertility) और स्तन कैंसर (breast cancer) का जोखिम हो सकता है। आगे साईं पॉलिक्लीनिक की सीनियर गाइनाक्लॉजिस्ट डॉक्टर विभा बंसल से जानते हैं कि गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग इन समस्याओं को कैसे प्रभावित कर सकता है।
इंफर्टिलिटी और स्तन कैंसर का जोखिम बढ़ा सकती हैं गर्भनिरोधक गोलियां - How Does Contraceptive Pills Increase The Risk Of Infertility And Breast Cancer In Hindi
गर्भनिरोधक गोलियां से इंफर्टिलिटी का जोखिम
गर्भनिरोधक गोलियों में प्रमुख रूप से एस्ट्रोजन (estrogen) और प्रोजेस्टेरोन (progesterone) हार्मोन होते हैं, जो गर्भाशय में बदलाव करके गर्भधारण को रोकते हैं। लंबे समय तक इन गोलियों का उपयोग कुछ महिलाओं में इंफर्टिलिटी का कारण बन सकता है।
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- हार्मोनल असंतुलन- गर्भनिरोधक गोलियां महिलाओं के प्राकृतिक हार्मोनल चक्र को बाधित करती हैं। लंबे समय तक उपयोग करने पर कुछ महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन उत्पन्न हो सकता है, जिससे ओवुलेशन का उत्पादन बाधित हो सकता है।
- ओव्यूलेशन की समस्याएं- गर्भनिरोधक गोलियां एग्स को निकलने से रोकती हैं। जब महिलाएं लंबे समय तक इन गोलियों का उपयोग करती हैं, तो शरीर को सामान्य ओव्यूलेशन प्रक्रिया में लौटने में समय लग सकता है, जिससे गर्भधारण में कठिनाई हो सकती है।
- एंडोमेट्रियम की पतली लाइन- गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग गर्भाशय की परत को पतला कर सकती है, जिससे फर्टिलाइजेशन में एग्स के इंप्लांटेशन (implantation) मुश्किल हो जाता है। यह बांझपन का एक अन्य कारण हो सकता है।
गर्भनिरोधक गोलियां से स्तन कैंसर का जोखिम
गर्भनिरोधक गोलियों में उच्च मात्रा में एस्ट्रोजन होता है, जो ब्रेस्ट टिश्यू के विकास को प्रभावित करता है। ऐसे में गर्भनिरोधक गोलियों का लंबे समय तक उपयोग स्तन कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है।
- एस्ट्रोजन का प्रभाव- गर्भनिरोधक गोलियों में मौजूद एस्ट्रोजन ब्रेस्ट टिश्यू में कोशिकाओं की वृद्धि को तेज करता है। एस्ट्रोजन-संवेदनशील (estrogen-sensitive) ब्रेस्ट कैंसर की कोशिकाएं इस हार्मोन के प्रभाव में तेजी से बढ़ सकती हैं, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
- प्रोजेस्टेरोन की भूमिका- प्रोजेस्टेरोन भी हार्मोनल संतुलन को प्रभावित करता है, जिससे ब्रेस्ट कैंसर की संभावना बढ़ सकती है, खासकर उन महिलाओं में जिनके परिवार में कैंसर पहले किसी सदस्य को हो चुका है।
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गर्भनिरोधक गोलियां अनचाहे गर्भधारण को रोकने में प्रभावी हो सकती हैं, लेकिन इनके लंबे समय तक उपयोग से स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं। इनफर्टिलिटी और ब्रेस्ट कैंसर के बढ़ते खतरे को ध्यान में रखते हुए, इन गोलियों का उपयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए। यदि, आपको इनसे किसी प्रकार की समस्या हो रही हो तो ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।