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PCOS वाली महिलाओं को प्रेग्नेंसी में झेलनी पड़ सकती हैं ये 5 समस्याएं, जरूर बरतें सावधानी

पीसीओएस महिलाओं को होने वाली एक आम समस्या है। इसमें कंसीव करने में परेशानी हो सकती है। वहीं, अगर किसी महिला ने कंसीव कर भी लिया तो भी उसको कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। आगे जानते हैं इस बारे में
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PCOS वाली महिलाओं को प्रेग्नेंसी में झेलनी पड़ सकती हैं ये 5 समस्याएं, जरूर बरतें सावधानी


आज के समय में महिलाओं के खानपान और लाइफस्टाइल में हुए बदलाव का असर उनकी सेहत पर देखने को मिलता है। यही वजह है की आज के समय में पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) महिलाओं में एक आम स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है। पीसीओएस महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन और मेटाबॉलिज्म से जुड़ी होती है। पीसीओएस से पीड़ित महिलाएं अक्सर प्रेग्नेंसी के दौरान और बाद में कई तरह की समस्याओं का सामना करती हैं। प्रेग्नेंसी के बाद भी पीसीओएस के लक्षण बने रह सकते हैं या और बढ़ सकते हैं। इस लेख में साईं पॉलीक्लीनिक की सीनियर गाइनाक्लॉजिस्ट डॉक्टर विभा बंसल से पीसीओएस से जुड़ी उन समस्याओं पर चर्चा करेंगे, जो प्रेग्नेंसी के बाद हो सकती हैं।

PCOS वाली महिलाओं को प्रेग्नेंसी में झेलनी पड़ सकती हैं ये समस्याएं - What Problems Can Occur in PCOS After Pregnancy in Hindi

हॉर्मोनल असंतुलन

प्रेग्नेंसी के बाद हॉर्मोनल असंतुलन बना रह सकता है या अधिक बढ़ सकता है। पीसीओएस महिलाओं में पहले से ही एंड्रोजन हार्मोन की मात्रा अधिक होती है, और प्रेग्नेंसी के बाद यह समस्या और गंभीर हो सकती है। इसके चलते बालों का झड़ना, मुंहासे, और चेहरे और शरीर पर अत्यधिक बाल उगने की समस्या हो सकती है। 

वजन बढ़ना और वजन कम करने में कठिनाई

प्रेग्नेंसी के बाद वजन बढ़ना सामान्य होता है, लेकिन पीसीओएस से ग्रस्त महिलाओं के लिए वजन कम करना एक चुनौती हो सकती है। पीसीओएस में इंसुलिन रेजिस्टेंस की समस्या होती है, जिससे वजन घटाना मुश्किल हो जाता है। अधिक वजन होने से टाइप 2 डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, और हृदय रोगों का खतरा भी बढ़ सकता है।

What Problems Can Occur in PCOS After Pregnancy in Hindi

टाइप 2 डायबिटीज का जोखिम

पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में इंसुलिन रेजिस्टेंस की समस्या आम होती है, और प्रेग्नेंसी के बाद यह स्थिति और खराब हो सकती है। यह समस्या टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम को बढ़ाती है। महिलाओं को ब्लड शुगर लेवल पर विशेष ध्यान देना चाहिए और नियमित रूप से डॉक्टर से जांच करानी चाहिए।

पोस्टपार्टम अवसाद (डिप्रेशन) का खतरा

प्रेग्नेंसी के बाद महिलाओं में हार्मोनल बदलाव के कारण मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। पीसीओएस से ग्रस्त महिलाओं में पोस्टपार्टम डिप्रेशन का खतरा अधिक होता है। इसमें निराशा, चिंता, चिड़चिड़ापन, और थकान की समस्या हो सकती है, जो नई मां की मानसिक और शारीरिक सेहत पर असर डाल सकती है।

मासिक धर्म की अनियमितता

डिलीवरी के बाद कई महिलाओं में मासिक धर्म चक्र सामान्य हो जाता है, लेकिन पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में अनियमित पीरियड्स की समस्या जारी रह सकती है। यह समस्या हार्मोनल असंतुलन के कारण होती है, जो पीसीओएस से जुड़ा हुआ है। लंबे समय तक अनियमित पीरियड्स महिलाओं की प्रजनन क्षमता और समग्र स्वास्थ्य पर असर डाल सकते हैं।

नर्सिंग में समस्याएं

प्रेग्नेंसी के बाद स्तनपान कराने में पीसीओएस से प्रभावित महिलाओं को कठिनाई हो सकती है। हॉर्मोनल असंतुलन के कारण दूध उत्पादन की कमी हो सकती है, जिससे बच्चे को पोषण देने में समस्या आ सकती है। इस स्थिति में, महिलाओं को अपने डॉक्टर से सलाह लेकर उचित उपाय अपनाने चाहिए।

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प्रेग्नेंसी के बाद पीसीओएस के लक्षण और समस्याएं अलग-अलग हो सकती हैं, लेकिन उचित देखभाल और जीवनशैली में बदलाव के साथ इन समस्याओं को नियंत्रित किया जा सकता है। समय पर इलाज और स्वास्थ्य पर ध्यान देना महिलाओं की समग्र सेहत को बेहतर बनाने में सहायक हो सकता है।

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